इस पेज पर आप शुद्ध और अशुद्ध शब्द एवं उच्चारण और वर्तनी की परिभाषा, उदाहरण, अपवाद, अशुद्धि और उनके निदान पढ़ेंगे और समझेंगे।
पिछले पेज पर हम शब्द और पद की परिभाषा उदाहरण सही पढ़ चुके है उसे भी जरूर पढ़े।
चलिए शुद्ध और अशुद्ध शब्द एवं उच्चारण और वर्तनी की परिभाषा की जानकारी को पढ़ना शुरू करते हैं।
उच्चारण और वर्तनी की परिभाषा
उच्चारण :- मुख से अक्षरों को बोलना उच्चारण कहलाता है।
सभी वर्णो के लिए मुख में उच्चारण स्थान होते हैं।
यदि वर्णों का उच्चारण शुद्ध न किया जाए तो लिखने में भी अशुद्धियाँ हो जाती हैं, क्योंकि हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा है। इसे जैसा बोला जाता है, वैसा ही लिखा भी जाता है।
वर्तनी :- लिखने की रीति को वर्तनी या अक्षरी कहते हैं। यह हिज्जे (Spelling) भी कहलाती है।
जिस शब्दों में जितने वर्ण या अक्षर जिस अनुक्रम में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें उसी क्रम में लिखना ही वर्तनी है।
जिस भाषा की वर्तनी में अपनी भाषा के साथ अन्य भाषाओं की ध्वनियों को ग्रहण करने की जितनी अधिक शक्ति होगी, उस भाषा की वर्तनी उतनी ही समर्थ समझी जायेगी।
अतः वर्तनी का सीधा सम्बन्ध भाषागत ध्वनियों के उच्चारण से है।
वर्तनी के उपयोगी और सर्वमान्य निर्णय
भारत सरकार के शिक्षा मन्त्रालय की ‘वर्तनी समिति’ ने 1962 में जो उपयोगी और सर्वमान्य निर्णय किये, वे निम्रलिखित हैं।
1. यदि सहिन्दी के विभक्ति-चिह्न, सर्वनामों को छोड़ शेष सभी प्रसंगों में, शब्दों से अलग लिखे जाएँ।
जैसे :- मोहन ने कहा, स्त्री को। सर्वनाम में- उसने, मुझसे, हममें, तुमसे, किसपर, आपको।
अपवाद :-
(क). यदि सर्वनाम के साथ दो विभक्तिचिह्न हों, तो उनमें पहला सर्वनाम से मिला हुआ हो और दूसरा अलग लिखा जाए।
जैसे :- उसके लिए, इनमें से।
(ख). संयुक्त क्रियाओं में सभी अंगभूत क्रियाएँ अलग रखी जाए।
जैसे :- आ सकता है, पढ़ा करता है।
2. संयुक्त क्रियाओं में सभी अंगभूत क्रियाएँ अलग रखी जाए।
जैसे :- पढ़ा करता है, आ सकता है।
3. तक, साथ आदि अव्यय अलग लिखे जाए।
जैसे:- आपके साथ, यहाँ तक।
4. पूर्वकालिक प्रत्यय ‘कर’ क्रिया से मिलाकर लिखा जाए।
जैसे :- मिलाकर, रोकर, खाकर, सोकर।
5. द्वन्द्वसमास में पदों के बीच हाइफ़न (-योजकचिह्न) लगाया जाए।
जैसे :- राम-लक्ष्मण, शिव-पार्वती आदि।
6. तत्पुरुष समास में हाइफ़न का प्रयोग केवल वहीं किया जाय, जहाँ उसके बिना भ्रम होने की सम्भावना हो, अन्यथा नहीं।
जैसे :- जैसे- भू-तत्त्व।
7. अब, प्रश्र उठता है कि ‘ये’ और ‘ए’ का प्रयोग कहाँ होना चाहिए। यह प्रश्र न केवल विद्यार्थियों को, बल्कि बड़े-बड़े विद्वानों को भी भ्रममें डालता है।
जहाँ तक उच्चारण का प्रश्र है, दोनों के उच्चारण-भेद इस प्रकार हैं।
जैसे :- ये=य्+ए, श्रुतिरूप, तालव्य अर्द्धस्वर (अन्तःस्थ)+ए, ए=अग्र अर्द्धसंवृत दीर्घ स्वर।
‘ये’ और ‘ए’ का प्रयोग अव्यय, क्रिया तथा शब्दों के बहुवचन बनाने में होता है। ये प्रयोग क्रियाओं के भूतकालिक रूपों में होते हैं। लोग इन्हें कई तरह से लिखते हैं।
जैसे :- आई-आयी, आए-आये, गई-गयी, गए-गये, हुवा-हुए-हुवे इत्यादि।
एक ही क्रिया की दो अक्षरी आज भी चल रही है। इस सम्बन्ध में कुछ आवश्यक नियम बनने चाहिए।
कुछ नियम इस प्रकार स्थिर किये जा सकते हैं।
(क). जिस क्रिया के भूतकालिक पुंलिंग एकवचन रूप में ‘या’ अन्त में आता है, उसके बहुवचन का रूप ‘ये’ और तदनुसार एकवचन स्त्रीलिंग में ‘यी’ और बहुवचन में ‘यीं’ का प्रयोग होना चाहिए।
उदाहरण :- गया-आया’ का स्त्रीलिंग में ‘गयी-गयीं’ होगा, ‘गई’ और ‘आई’ नहीं।
इसी प्रकार, बहुवचन के रूप ‘गये-आये’ होंगे, ‘गए-आए’ नहीं। इसी रीति से अन्य क्रियाओं के रूपों का निर्धारण करना चाहिए।
इसी प्रकार, बहुवचन के रूप ‘गये-आये’ होंगे, ‘गए-आए’ नहीं। इसी रीति से अन्य क्रियाओं के रूपों का निर्धारण करना चाहिए।
(ख). जिस क्रिया के भूतकालिक पुंलिंग एकवचन के अन्त में ‘आ’ आता है उसके पुंलिंग बहुवचन में ‘ए’ होगा और स्त्रीलिंग एकवचन में ‘ई’ तथा बहुवचन में ‘ई’।
उदाहरण :- हुआ’ का स्त्रीलिंग एकवचन ‘हुई’, बहुवचन ‘हुई’, और पुंलिंग बहुवचन ‘हुए’ होगा, ‘हुये-हुवे’, ‘हुयी-हुये’ आदि नहीं।
(ग). दे, ले, पी, कर- इन चार धातुओं को ह्रस्व इकार कर, फिर दीर्घ करने पर और ‘इए’ प्रत्यय लगाने पर उनकी विधि क्रियाएँ इस प्रकार बनती हैं।
उदाहरण :-
- दे (दि) + ज् + इए = दीजिए
- ले (लि) + ज् + इए = लीजिए
- पी (पि) + ज् + इए = पीजिए
- कर (कि) + ज् + इए = कीजिए
(घ). अव्यय को पृथक् रखने के लिए ‘ए’ का प्रयोग होना चाहिए। जैसे- इसलिए, चाहिए। सम्प्रदान-विभक्ति के ‘लिए’ में भी ‘ए’ का व्यवहार होना चाहिए।
उदाहरण :- जैसे- राम के लिए आम लाओ।
(ङ). विशेषण शब्द का अन्त जैसा हो, वैसा ही ‘ये’ या ‘ए’ का प्रयोग होना चाहिए।
उदाहरण :- ‘नया’ है तो बहुवचन में ‘नये’ और स्त्रीलिंग में नयी, ‘जाता हुआ’ आदि है तो बहुवचन में ‘जाते हुए’ और स्त्रीलिंग में ‘जाती हुई’।
इन नियमों से यह निष्कर्ष निकलता है कि भूतकालिक क्रियाओं में ‘ये’ का और अव्ययों में ‘ए’ का प्रयोग होता है।
विशेषण का रूप अन्तिम वर्ण के अनुरूप ‘ये’ या ‘ए’ का प्रयोग होता है।
विशेषण का रूप अन्तिम वर्ण के अनुरूप ‘ये’ या ‘ए’ होना चाहिए।
अच्छा यह होता है कि दोनों के लिए कोई एक सामान्य नियम बनता। भारत सरकार की वर्तनी समिति ‘ए’ के प्रयोग का समर्थन करती है।
8. संस्कृतमूलक तत्सम शब्दों की वर्तनी में सामान्यत : संस्कृत वाला रूप ही रखा जाए। परन्तु जिन शब्दों के प्रयोग में हिन्दी में हलन्त का चिह्न लुप्त हो चुका है, उनमें हलन्त लगाने की कोशिश न की जाए।
जैसे :- महान, विद्वान, जगत। किन्तु सन्धि या छन्द समझाने की स्थिति हो, तो इन्हें हलन्तरूप में ही रखना होगा।
उदाहरण :- जगत्+नाथ।
9. जहाँ वर्गों के पंचमाक्षर के बाद उसी के वर्ग के शेष चार वर्णों में से कोई वर्ण हो वहाँ अनुस्वार का ही प्रयोग किया जाए।
उदाहरण :- जैसे- वंदना, नंद, नंदन, अंत, गंगा, संपादक आदि।
10. नहीं, मैं, हैं, में इत्यादि के ऊपर लगी मात्राओं को छोड़कर शेष आवश्यक स्थानों पर चन्द्रबिन्दु का प्रयोग करना चाहिए।
उदाहरण :- नहीं तो हंस और हँस तथा अँगना और अंगना का अर्थभेद स्पष्ट नहीं होगा।
11. अरबी-फारसी के वे शब्द जो, हिन्दी के अंग बन चुके हैं और जिनकी विदेशी ध्वनियों का हिन्दी ध्वनियों में रूपान्तर हो चुका है, उन्हें हिन्दी रूप में ही स्वीकार किया जाए।
जैसे :- जरूर, कागज आदि।
जहाँ उनका शुद्ध विदेशी रूप में प्रयोग अभीष्ट हो, वहाँ उनके हिन्दी में प्रचलित रूपों में यथास्थान ‘नुक्ते’ लगाये जाए, ताकि उनका विदेशीपन स्पष्ट रहे।
उदाहरण :- जैसे- राज, नाज।
12. अंग्रेजी के जिन शब्दों में अर्द्ध ‘ओ’ ध्वनि का प्रयोग होता है, उनके शुद्ध रूप का हिन्दी में प्रयोग अभीष्ट होने पर ‘आ’ की मात्रा पर अर्द्धचन्द्र का प्रयोग किया जाए।
उदाहरण :- डॉक्टर, कॉलेज, हॉंस्पिटल।
13. संस्कृत के जिन शब्दों में विसर्ग का प्रयोग होता है, वे यदि तत्सम रूप में प्रयुक्त हों तो विसर्ग का प्रयोग अवश्य किया जाए।
उदाहरण :- जैसे-स्वान्तः सुखाय, दुःख।
यदि उस शब्द के तद्भव में विसर्ग का लोप हो चुका हो, तो उस रूप में विसर्ग के बिना भी काम चल जायेगा।
उदाहरण :- जैसे-दुख, सुख।
14. हिन्दी में ‘ऐ’ (ै) और ‘औ’ (ौ) का प्रयोग दो प्रकार की ध्वनियों को व्यक्त करने के लिए होता है।
पहले प्रकार की ध्वनियाँ ‘है’, ‘और’ आदि में हैं तथा दूसरे प्रकार की ‘गवैया’, ‘कौआ’ आदि में।
इन दोनों ही प्रकार की ध्वनियों को व्यक्त करने के लिए इन्हीं चिह्नों ( ऐ, ौ ; ओ, ौ ) का प्रयोग किया जाय। गवय्या, कव्वा आदि संशोधनों की व्यवस्था ठीक नहीं है।
शुद्ध और अशुद्ध शब्द
नीचे कुछ अशुद्धियों की सूची उनके शुद्ध रूपों के साथ यहाँ दी जा रही है।
अ’, ‘आ’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
अहार | आहार |
अत्याधिक | अत्यधिक |
आधीन | अधीन |
अजमायश | आजमाइश |
सप्ताहिक | साप्ताहिक |
अवश्यक | आवश्यक |
नराज | नाराज |
अलोचना | आलोचना |
अजादी | आजादी |
आधीन | अधीन |
चहिए | चाहिए |
‘इ’, ‘ई’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
तिथी | तिथि |
दिवार | दीवार |
बिमारी | बीमारी |
श्रीमति | श्रीमती |
क्योंकी | क्योंकि |
कवियत्री | कवयित्री |
दिवाली | दीवाली |
अतिथी | अतिथि |
दिपावली | दीपावली |
पत्नि | पत्नी |
मुनी | मुनि |
परिक्षा | परीक्षा |
रचियता | रचयिता |
उन्नती | उन्नति |
कोटी | कोटि |
कालीदास | कालिदास |
‘उ’, ‘ऊ’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
हिंदु | हिंदू |
पशू | पशु |
रुमाल | रूमाल |
रूपया | रुपया |
रूई | रुई |
तुफान | तूफान |
पुज्यनीय | पूजनीय |
प्रभू | प्रभु |
साधू | साधु |
गेहुँ | गेहूँ |
वधु | वधू |
‘ए‘ऋ’, ‘र’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
श्रगाल/श्रृगाल | शृगाल |
ग्रहस्थी | गृहस्थी |
उरिण | उऋण |
आदरित | आदृत |
रिषि | ऋषि |
प्रथक् | पृथक् |
प्रथ्वी | पृथ्वी |
घ्रणा | घृणा |
ग्रहिणी | गृहिणी |
रितु | ऋतु |
व्रक्ष | वृक्ष |
श्रृंगार/श्रंगार | शृंगार |
‘‘ए’, ‘ऐ’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
सैना | सेना |
चाहिये | चाहिए |
एनक | ऐनक |
नैन | नयन |
सैना | सेना |
एश्वर्य | ऐश्वर्य |
‘ओ’, ‘औ’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
त्यौहार | त्योहार |
भोगोलिक | भौगोलिक |
बोद्धिक | बौद्धिक |
परलोकिक | पारलौकिक |
रौशनी | रोशनी |
पोधा | पौधा |
चुनाउ | चुनाव |
होले | हौले |
र’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
आर्दश | आदर्श |
आर्शीवाद | आशीर्वाद |
स्त्रोत | स्रोत |
क्रपा | कृपा |
गर्म | गरम |
नर्मी | नरमी |
कार्यकर्म | कार्यक्रम |
‘श’, ‘ष’, ‘स’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
प्रशाद | प्रसाद |
कश्ट | कष्ट |
सुशमा | सुषमा |
अमावश्या | अमावस्या |
दुसाशन | दुशासन |
प्रसंशा | प्रशंसा |
नमश्कार | नमस्कार |
विषेशण | विशेषण |
अन्य अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
विधालय | विद्यालय |
व्रंदावन | वृंदावन |
सकूल | स्कूल |
सप्ता | सप्ताह |
समान (वस्तु) | सामान |
दुरदशा | दुर्दशा |
परिच्छा | परीक्षा |
बिमार | बीमार |
आस्मान | आसमान |
अकाश | आकाश |
अतऐव | अतएव |
रक्शा | रक्षा |
रिक्सा | रिक्शा |
गयी | गई |
ग्रहकार्य | गृहकार्य |
छमा | क्षमा |
जायेंगे | जाएँगे |
जोत्सना | ज्योत्स्ना |
सुरग | स्वर्ग |
सेनिक | सैनिक |
‘अनुस्वार’, ‘अनुनासिक’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
महंगी | महँगी |
बांस | बाँस |
अंगना | अँगना |
कंगना | कँगना |
उंचा | ऊँचा |
जाऊंगा | जाऊँगा |
दुंगा | दूँगा |
दांत | दाँत |
कहां | कहाँ |
अँगुली | अंगुली |
सांप | साँप |
बांसुरी | बाँसुरी |
चांदनी | चाँदनी |
गांधी | गाँधी |
हंसी | हँसी |
महंगा | महँगा |
मुंह | मुँह |
उंगली | ऊँगली |
जहां | जहाँ |
डांट | डाँट |
कांच | काँच |
छटांक | छटाँक, छटाक |
पांचवा | पाँचवाँ |
शिघ्र | शीघ्र |
गुंगा | गूँगा |
पहुंचा | पहुँचा |
गांधीजी | गाँधीजी |
सूंड | सूँड |
बांसुरी | बाँसुरी |
वर्ण-सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
कलस | कलश |
कालीदास | कालिदास |
कैलाश | कैलास |
कंकन | कंकण |
आर्द | आर्द्र |
इकठ्ठा | इकट्ठा |
उपरोक्त | उपर्युक्त |
उज्वल | उज्ज्वल |
उपलक्ष | उपलक्ष्य |
उन्मीलीत | उन्मीलित |
अनिष्ठ | अनिष्ट |
अध्यन | अध्ययन |
अद्वितिय | अद्वितीय |
अहिल्या | अहल्या |
अगामी | आगामी |
अन्तर्ध्यान | अन्तर्धान |
अमावश्या | अमावास्या |
आधीन | अधीन |
अकांछा | आकांक्षा |
अनाधिकार | अनधिकार |
अनुशरण | अनुसरण |
अभ्यस्थ | अभ्यस्त |
अस्थान | स्थान |
अनुकुल | अनुकूल |
प्रत्यय-सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
धैर्यता | धैर्य |
अभ्यन्तरिक | आभ्यन्तरिक |
असहनीय | असह्य |
इतिहासिक | ऐतिहासिक |
उत्तरदाई | उत्तरदायी |
ऐक्यता | ऐक्य |
गुणि | गुणी |
चारुताई | चारुता |
तत्व | तत्त्व |
तत्कालिक | तात्कालिक |
दारिद्रता | दरिद्रता |
द्विवार्षिक | द्वैवार्षिक |
नैपुण्यता | निपुणता |
अनुसंगिक | आनुषंगिक |
अध्यात्मक | आध्यात्मिक |
एकत्रित | एकत्र |
गोपित | गुप्त |
चातुर्यता | चातुर्य |
त्रिवार्षिक | त्रैवार्षिक |
देहिक | दैहिक |
दाइत्व | दायित्व |
प्राप्ती | प्राप्ति |
पूज्यास्पद | पूजास्पद |
पुष्टी | पुष्टि |
लिंग प्रत्यय-सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
गोपिनी | गोपी |
नारि | नारी |
श्रीमान् रानी | श्रीमती रानी |
पिशाचिनी | पिशाची |
भुजंगिनी | भुजंगी |
सुलोचनी | सुलोचना |
अनाथिनी | अनाथा |
गायकी | गायिका |
दिगम्बरी | दिगम्बरा |
सन्धि-सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | अशुद्ध |
---|---|
अनाधिकारी | अनधिकारी |
अध्यन | अध्ययन |
आर्शिवाद | आशीर्वाद |
इतिपूर्व | इतःपूर्व |
जगरनाथ | जगत्राथ |
तरुछाया | तरुच्छाया |
दुरावस्था | दुरवस्था |
नभमंडल | नभोमंडल |
निरवान | निर्वाण |
निसाद | निषाद |
निर्पेक्ष | निरपेक्ष |
पयोपान | पयःपान |
पुरष्कार | पुरस्कार |
अधगति | अधोगति |
अत्योक्ति | अत्युक्ति |
अत्याधिक | अत्यधिक |
अद्यपि | अद्यापि |
समास-सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
निर्दोषी | निर्दोष |
निर्दयी | निर्दय |
पिताभक्ति | पितृभक्ति |
भ्रातागण | भ्रातृगण |
महात्मागण | महात्मगण |
राजापथ | राजपथ |
वक्तागण | वक्तृगण |
शशीभूषण | शशिभूषण |
सतोगुण | सत्त्वगुण |
अहोरात्रि | अहोरात्र |
आत्मापुरुष | आत्मपुरुष |
अष्टवक्र | अष्टावक्र |
एकतारा | इकतारा |
एकलौता | इकलौता |
दुरात्मागण | दुरात्मगण |
अहोरात्रि | अहोरात्र |
आत्मापुरुष | आत्मपुरुष |
अष्टवक्र | अष्टावक्र |
एकतारा | इकतारा |
एकलौता | इकलौता |
दुरात्मागण | दुरात्मगण |
वक्तागण | वक्तृगण |
शशीभूषण | शशिभूषण |
सतोगुण | सत्त्वगुण |
अहोरात्रि | अहोरात्र |
आत्मापुरुष | आत्मपुरुष |
अष्टवक्र | अष्टावक्र |
एकतारा | इकतारा |
एकलौता | इकलौता |
दुरात्मागण | दुरात्मगण |
हलन्त-सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
भाग्यमान | भाग्यवान् |
विद्वान | विद्वान् |
धनमान | धनवान् |
बुद्धिवान | बुद्धिमान् |
भगमान | भगवान् |
सतचित | सच्चित् |
साक्षात | साक्षात् |
श्रीमान | श्रीमान् |
विधिवत | विधिवत् |
बुद्धिवान | बुद्धिमान् |
शब्दों की सामान्य अशुद्धियां
हिंदी व्याकरण के सामान्य नियमों की सही-सही जानकारी नही होने के कारण विद्यार्थियों से बोलने और लिखने में कभी कभी गलतियां हो जाया करती हैं।
शुद्ध भाषा के प्रयोग के लिए वर्णों का शुद्ध उच्चारण, शब्दों के शुद्ध रूप और वाक्यों के शुद्ध रूप को जानना आवश्यक हैं।
भाषा संबंधी गलतियों के प्रकार
विद्यार्थीयों से मुख्यतः दो तरह की गलतियां होती हैं:
- शब्द-संबंधी
- वाक्य-संबंधी
शब्द-संबंधी अशुद्धियों को दूर करने के लिए छात्रों को श्रुतिलिपि का अभ्यास करना चाहिए।
कुछ अशुद्ध शब्द और उनके शुद्ध रूपों की सूची नीचे दी जा रही है।
अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
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अनुकुल | अनुकूल |
अध्यन | अध्ययन |
अस्थान | स्थान |
अद्वितिय | अद्वितीय |
अरमुद | अमरूद |
ईर्षा | ईर्ष्या |
उन्नती | उन्नति |
नमष्कार | नमस्कार |
नबाव | नवाब |
नछत्र | नक्षत्र |
नारि | नारी |
नीरोग | निरोग |
राज्यमहल | राजमहल |
पुष्टी | पुष्टि |
प्रंतु | परंतु |
पूष्प | पुष्प |
पूण्य | पुण्य |
छीः छीः | छी छी |
उपर | ऊपर |
उज्वल | उज्ज्वल |
उत्कृष्ठ | उत्कृष्ट |
कलस | कलश |
कल्यान | कल्याण |
गनित | गणित |
गृहस्थ्य | गृहस्थ |
चिन्ह | चिह्न |
छमा | क्षमा |
ज्येष्ट | ज्येष्ठ |
यथेष्ठ | यथेष्ट |
शत्रुहन | शत्रुघ्न |
रसायण | रसायन |
रामायन | रामायण |
लछिमन | लक्ष्मण |
लिक्खा | लिखा |
लछन | लक्षण |
बनावास | वनवास |
छः | छह |
पृष्ट | पृष्ठ |
प्राप्ती | प्राप्ति |
पत्नि | पत्नी |
प्रसंशा | प्रशंसा |
प्रनाम | प्रणाम |
पमेश्वर | परमेश्वर |
परिक्षा | परीक्षा |
पुज्य | पूज्य |
पुरष्कार | पुरस्कार |
प्रशाद | प्रसाद |
प्रतिकुल | प्रतिकूल |
प्रान | प्राण |
परस्थिति | परिस्थिति |
पिचास | पिशाच |
ब्रम्ह | ब्रह्म |
बुढा | बूढ़ा |
ब्राम्हन | ब्राह्मण |
भष्म | भस्म |
मट्टी | मिट्टी |
मैथलीशरण | मैथिलीशरण |
दांत | दाँत |
हिंदु | हिंदू |
हसना | हंसना |
हिंदूस्तान | हिंदुस्तान |
मैत्रता | मित्रता, मैत्री |
ऐक्यता | एकता, ऐक्य |
धैर्यता | धीरता, धैर्य |
मधुर्यता | मधुर, माधुर्य |
पैत्रिक | पैतृक |
सकुशलपूर्वक | कुशलतापूर्वक, सकुशल |
उपरोक्त | उपर्युक्त |
उपरीलिखित | उपरिलिखित |
निरस | नीरस |
सन्यास | संन्यास |
मंत्रीमंडल | मंत्रिमंडल |
योगीराज | योगिराज |
भाग्यमान | भाग्यवान् |
विद्वान | विद्वान् |
व्यावहार | व्यवहार |
धनमान | धनवान् |
बिठाया | बैठाया |
पहिले | पहले |
वीना | वीणा |
वानी | वाणी |
वास्प | वाष्प |
सप्ताहिक | साप्ताहिक |
सन्मान | सम्मान |
सिंदुर | सिंदूर |
सुर्य | सूर्य |
सामुद्रीक | सामुद्रिक |
साशन | शासन |
सृष्टी | सृष्टि |
स्मशान | श्मशान |
सम्राज्य | साम्राज्य |
संसारिक | सांसारिक |
समीती | समिति |
सूचिपत्र | सूचीपत्र |
स्वास्थ | स्वास्थ्य |
स्मरन | स्मरण |
शृंगार | श्रृंगार |
शक्ती | शक्ति |
षष्ट | षष्ठ |
बुद्धिवान | बुद्धिमान् |
भगमान | भगवान् |
घनिस्ट | घनिष्ठ |
आंख | आँख |
उंचा | ऊँचा |
पांचवा | पांचवां |
शिघ्र | शीघ्र |
गुंगा | गूंगा |
पहुंचा | पहुँच |
सुंड | सूंड |
महंगा | महँगा |
मुंह | मुँह |
उंगली | ऊंगली |
जहां | जहाँ |
भिजवाया | भेजवाया |
पछिताना | पछताना |
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