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चलिए आज हम अव्यय की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण की समस्त जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।
अव्यय किसे कहते है
अव्यय उन शब्दों को कहते हैं जिनमें लिंग, वचन, कारक इत्यादि के कारण कोई परिवर्तन या बदलाव नहीं होता है। अव्यय शब्द हर स्थिति में अपने मूल रूप में रहते हैं। इन शब्दों को अविकारी शब्द भी कहा जाता हैं।
जैसे :-
- तुम धीरे-धीरे पढ़ते हो।
- वह तेज दौड़ता है।
- मैं अवश्य पढ़ लूंगा।
- वह ठीक कहता है।
- ऐसा मत करो।
- तुम लोग आगे पीछे हो जाओ।
यहां वाक्य में जिन शब्दों को हाइलाइट किया गया है वह सभी शब्द अवयव अर्थात अविकारी शब्द है, क्योंकि इन में कभी भी विकार या परिवर्तन नहीं होता है।
अव्यय के प्रकार
अव्यय के मुख्य पांच प्रकार हैं।
- क्रिया विशेषण अव्यय
- संबंध वाचक अव्यय
- समुच्चयबोधक अव्यय
- विस्मयादिबोधक अव्यय
- निपात अव्यय अव्यय
1. क्रिया विशेषण अव्यय
जिस शब्द से क्रिया की विशेषता प्रकट हो उसे क्रिया विशेषण अव्यय कहते हैं।
जैसे :-
- वह धीरे-धीरे पढ़ता है।
यहां ‘पढ़ता है’ क्रिया है और पढ़ने का काम धीरे-धीरे हो रहा है। अतः धीरे-धीरे क्रिया विशेषण अव्यय अर्थात अविकारी है। जिसका मूल रूप कभी नहीं बदलता है।
क्रिया विशेषण के प्रकार
(क). स्थान वाचक :- जिस क्रियाविशेषण अव्यय से वाक्य में स्थान का बोध हो उसे क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।
जैसे :- यहां, वहां, जहां, तहां, आगे, पीछे इत्यादि।
(ख). कालवाचक :- जिस क्रियाविशेषण अव्यय से वाक्य में समय का बोध हो उसे कालवाचक अव्यय कहते हैं।
जैसे :- आज, कल, परसो, अब, जब, कब, तक, अभी इत्यादि।
(ग). रीतिवाचक :- जिस क्रिया विशेषण से कार्य कैसे या किस ढंग से हो रहा है इस बात का बोध हो तो उसे रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।
जैसे :- ऐसे, वैसे, कैसे, अचानक, धीरे, अवश्य, सचमुच, बेशक, हां, जी, ठीक, सच, इसलिए, तो, ही, भी, मात्र, भर, तक इत्यादि।
(घ). परिमाणवाचक :- जिस क्रियाविशेषण अव्यय से वाक्य में किसी परिमाण का बोध हो, उसे परिमाणवाचक अव्यय कहते हैं।
जैसे :- बहुत, बड़ा, भारी, बिल्कुल, खूब इत्यादि।
(च). प्रश्नवाचक :- जिस क्रिया विशेषण अव्यय से वाक्य में प्रश्न पूछने का बोध हो, उसे प्रश्नवाचक अव्यय कहते हैं।
जैसे :- क्यों, क्या, किस लिए, किस कारण, कहां, कैसे, कब इत्यादि।
2. संबंधवाचक अव्यय
वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ संज्ञा या सर्वनाम का संबंध बताने वाले अव्यय शब्दों को संबंध वाचक अव्यय कहते हैं।
जैसे :-
- उसके बिना मेरा काम नहीं चलता।
यहां बिना एक संबंधवाचक अव्यय है।
संबंधवाचक अव्यय के प्रकार
(क). संबद्ध संबंध वाचक :- यह विभक्ति के बाद आता है।
जैसे :-
- जाने के पहले
- पिता की तरह
- घर के भीतर
- उसके बिना
(ख). अनुबद्ध संबंध वाचक :- यह किसी संज्ञा या शब्द के बाद आता है।
जैसे :-
- किनारे तक
- घर तक
- रत्ती भर
- सखियों सहित
3. समुच्यवाचक अव्यय
दो शब्दों, वाक्यांशों अथवा वाक्यों को जोड़ने वाले अव्यय शब्दों को समुच्यवाचक अव्यय कहते हैं।
जैसे :- और, तथा, व, किंतु, परंतु, क्योंकि, ताकि, इसलिए, कि इत्यादि।
उदाहरण :-
- तुम और मैं साथ रहेंगे।
- तुम जीतोगे क्योंकि तुम हिम्मत वाले हो।
- तुम उठो ताकि मैं बैठू।
समुच्चय बोधक अव्यय के प्रकार
(क). समानाधिकरण समुच्चयबोधक :- मुख्य वाक्य को जोड़ने वाले अव्यय को समानाधिकरण कहते हैं।
जैसे :- और, तथा, एवं, अथवा, कि, नहीं, तो, या इत्यादि।
(ख). व्यधिकरण समुच्य वाचक :- एक वाक्य में जब एक या अधिक आश्रित वाक्य अव्यय को जोड़े जाते हैं, तब व्यधिकरण समुच्यवाचक कहलाते हैं।
जैसे :- क्योंकि, जो कि, इसलिए की, ताकि इत्यादि।
4. विस्मयादिबोधक अव्यय
जिन अव्यय शब्दों से हर्ष अर्थात खुशी, शोक अर्थात दुख, आश्चर्य इत्यादि जैसे भाव प्रकट हो उसे विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं।
जैसे :- हाय, अजी, ओह, अरे, वाह इत्यादि।
उदाहरण :-
- अरे! तुम तो गिर गए।
- वाह! मै जीत गया।
- हाय! अब क्या होगा?
5. निपात अव्यय
जो अव्यय वाक्य में नयापन या चमत्कार उत्पन्न करते हैं उन्हें निपात अव्यय कहते हैं। इसे अवधारक शब्द भी कहते हैं।
जैसे :- ही, भी, तो, तक, मात्र, भर, मत, सा, जी इत्यादि।
उदाहरण :-
- यह कार्य प्रशांत को ही करना होगा।
- कमल भी आयेगा।
- तुम तो जीतोगे ही।
FAQ
उत्तर :- किसी भी भाषा के वे शब्द अव्यय या अविकारी कहलाते हैं जिनके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक, काल इत्यादि के कारण कोई विकार उत्पन्न नहीं होता। ऐसे शब्द हर स्थिति में अपने मूल रूप में बने रहते हैं।
उत्तर :- अव्यय का शाब्दिक अर्थ है ‘जो व्यय न हो’।
उत्तर :- जिसका नाश न किया जा सके, जिसका नाश न किया जा सके ।
उत्तर :- पाँच
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