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चलिए आज हम शब्द और पद की परिभाषा, प्रकार, अंतर और उदाहरण की समस्त जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।
शब्द की परिभाषा
बोलते समय हमारे मुँह से जो ध्वनियाँ निकलती हैं। इन ध्वनियों के छोटे से छोटे टुकड़े को वर्ण कहा जाता है। इन्हीं वर्णों के सार्थक मेल से शब्द बनते हैं। वर्णों का सार्थक एवं व्यवस्थित मेल शब्द कहलाता है।
एक या अधिक अक्षरों से बनी हुई स्वतंत्र, सार्थक ध्वनि को ‘शब्द’ कहते हैं।
जैसे :- राम, गंगा, कमल, किताब, स्कूल, आत्मा, विद्वान, आगमन, क्षत्रिय आदि।
पद की परिभाषा
जब तक शब्द का प्रयोग वाक्य में नहीं किया जाता है तब तक वह शब्द कहलाते है, जब शब्द का प्रयोग वाक्य में किया जाता है तो वे पद बन जाते है।
जैसे :-
- राम किताब पढ़ता है।
इस वाक्य में किताब एक पद है।
- गंगा भारत की महत्वपूर्ण नदी है।
इस वाक्य में गंगा एक पद है।
शब्द के प्रकार
प्रयोग के आधार पर शब्द के दो भेद होते है।
- विकारी शब्द
- अविकारी शब्द
1. विकारी शब्द
विकारी शब्द वे शब्द कहलाते है जिन्हें किसी वाक्य में प्रयोग करने से उनके रूप बढ़ जाते है।
उदाहरण :-
1. कुत्ता, कुत्ते, कुत्तो,
2. मै, मुझे, हमे,
3. किताब, किताबें, किताबों
4. लड़का लड़के लड़को आदि
विकारी शब्द के प्रकार
विकारी शब्द के चार प्रकार होते है।
2. अविकारी शब्द
वे शब्द जिनके रूप परिवर्तन नहीं होते है अविकारी शब्द कहलाते है।
उदाहरण :-
धीरे-धीरे, पीछे-पीछे, कभी-कभी, हाँ, नहीं, लेकिन, जल्दी, शीघ्, अब, कब, क्यों, में, बहुत, पर, अधिक, कम आदि।
अविकारी शब्द के प्रकार
अविकारी शब्द चार प्रकार के होते है।
- क्रिया विशेषण
- समुच्चय बोधक
- संबंध बोधक
- विस्मयादिबोधक
1. क्रिया विशेषण
जिन शब्दों से क्रिया की विशेषता का बोध होता है उन्हें क्रिया विशेषण कहते हैं।
जैसे :- वह पीछे-पीछे चलना चलती है।
इस वाक्य में चलना क्रिया हो गई और ‘पीछे-पीछे’ चलना उसकी विशेषता बता रहा है।
क्रिया विशेषण के प्रकार
क्रिया विशेषण चार प्रकार की होते है।
- स्थानवाचक
- कालवाचक
- परिणामवाचक
- रीति वाचक
2. समुच्चयबोधक
ऐसे शब्द जो दो या दो से अधिक शब्द, वाक्य या वाक्यांशों को जोड़ने का काम करते है वे शब्द समुच्चयबोधक कहलाते है।
जैसे :- श्रुति और गुंजन पढ़ रहे है।
3. संबंध बोधक
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य के अन्य शब्दों के साथ बताते हैं उन्हें संबंध बोधक कहते हैं।
जैसे :- और, या, एवं आदि।
4. विस्मयादिबोधक
ऐसे शब्द जो वाक्य में आश्चर्य, हर्ष, शोक, घृणा आदि भाव व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त हों, वे विस्मयादिबोधक कहलाते हैं।
ऐसे शब्दों के साथ विस्मयादिबोधक चिन्ह (!) का प्रयोग किया जाता है।
जैसे :- अरे!, ओह!, शाबाश!, काश! आदि।
शब्द और पद में अंतर
क्र. | शब्द | पद |
---|---|---|
1. | वर्णों की स्वतंत्रा और सार्थक को शब्द कहते हैं। | वाक्य में प्रयुक्त शब्द को पद कहते हैं। |
2. | सार्थक और निरर्थक दोनों में शब्द होता है। | वाक्य के अर्थ को संकेत देने के लिए पद का उपयोग होता है। |
3. | शब्द का मात्रा अर्थ परिचय के बारे में होता है। | पद का मात्रा व्यवहारिक परिचय के बारे में होता है। |
4. | लिंग, वचन, क्रिया और कारक से शब्द का किसी भी प्रकार का संबंध नहीं होता है। | लिंग, वचन, कारक और क्रिया से पद का संबंध होता है। |
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