तत्पुरुष समास की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण

इस पेज पर आप तत्पुरुष समास की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण की समस्त जानकारी पढ़ेंगे।

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चलिए आज हम तत्पुरुष समास की समस्त जानकारी को पढ़ते और समझते है।

तत्पुरुष समास की परिभाषा

जिस सामासिक शब्द का उत्तर पद प्रधान होता है उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। इसमें दोनों पदों के मध्य आने वाले परसर्गों (के लिए, को, से, के द्वारा, का, के, की, में, पर) का लोप हो जाता है।

जिस समस्त पद का उत्तरपद प्रधान होता है अर्थात दूसरा शब्द प्रधान होता है वहां तत्पुरुष समास माना जाता है।

तत्पुरुष समास के प्रकार

तत्पुरुष समास के छः भेद है जो निम्न अनुसार है।

  1. कर्म तत्पुरुष 
  2. करण तत्पुरुष 
  3. संप्रदान तत्पुरुष 
  4. अपादान तत्पुरुष 
  5. संबंध तत्पुरुष 
  6. अधिकरण तत्पुरुष

1. कर्म तत्पुरुष :- कर्म तत्पुरुष में कर्म कारक की विभक्ति को’ का लोप हो जाता है।

उदाहरण :-

सामासिक शब्दविग्रह
स्वर्गप्राप्तस्वर्ग को प्राप्त
यशप्राप्तयश को प्राप्त
ग्रामगतग्राम को गया हुआ
परलोक गमनपरलोक को गमन
स्वर्गगतस्वर्ग को गया हुआ
गृहागतगृह को आगत
शरणागतशरण को आगत
मरणासन्नमरण को पहुँचा हुआ
सुखप्राप्तसुख को प्राप्त करने वाला
चिड़ीमारचिड़ियों को मारने वाला
पतितपावनपापियों को पवित्र करने वाला
माखनचोरमाखन को चुराने वाला
कष्टापन्नकष्ट को आपन्न (प्राप्त)
संकटापन्नसंकट को आपन्न (प्राप्त)
कठफोड़ाकाठ को फोड़ने वाला
विद्युतमापीविद्युत को मापने वाला
वयःप्राप्तवय (उम्र) को प्राप्त
पक्षधरपक्ष को धारण करने वाला
दिलतोड़दिल को तोड़ने वाला
प्राप्तोदकउदक (जल) को प्राप्त
कनकटाकान को कटवाया हुआ
नककटानाक को कटवाया हुआ
जेबकतराजेब को कतरने वाला
जगसुहाताजग को सुहाने वाला
सर्वज्ञसर्व (सब) को जानने वाला
मनोहरमन को हरने वाला

2. करण तत्पुरुष :- करण तत्पुरुष में करण कारक की विभक्ति से’ का लोप हो जाता है।

सामासिक शब्द विग्रह
देशनिकालादेश से निकाला
जन्मरोगीजन्म से रोगी
देशनिर्वासितदेश से निर्वासित
स्थानभ्रष्टस्थान से भ्रष्ट
धर्मभ्रष्टधर्म से भ्रष्ट
पदभ्रष्टपद से भ्रष्ट
भाग्यहीनभाग्य से हीन
दूरागतदूर से आगत
जन्माधजन्म से अंधा
रणविमुखरण से विमुख
भार रहिभार से रहित
धर्मविमुखधर्म से विमुख
पदच्युतपद से हटाया हुआ
भयमीतभय से भीत
कर्मरहितकर्म से रहित
बलहीनबल से हीन
नेत्रहीननेत्र से हीन
बलहीनबल से हीन
शक्तिहीनशक्ति से हीन
धनहीनधन से हीन
पापमुक्तपाप से मुक्त
व्ययमुक्तव्यय से मुक्त
मायारिक्तमाया से रिक्त
बंधनमुक्तबंधन से मुक्त

3. संप्रदान तत्पुरुष :- संप्रदान तत्पुरुष में संप्रदान कारक की विभक्ति ‘के लिए’ का लोप हो जाता है।

सामासिक शब्द विग्रह
डाकगाड़ीडाक के लिए गाड़ी
विधानसभाविधान के लिए सभा
विधान भवनविधान के लिए भवन
क्रीड़ास्थलक्रीडा के लिए स्थल
आरामकुर्सीआराम के लिए कुर्सी
आवेदन पत्रआवेदन के लिए पत्र
समाचार पत्रसमाचार के लिए पत्र
काकबलिकाक (कौआ) के लिए बलि
शपथपत्रशपथ के लिए पत्र
कर्णफूलकर्ण (कान) के लिए फूल
सभाभवनसभा के लिए भवन
पुत्रशोकपुत्र के लिए शोक
डाकमहसूलडाक के लिए महसूल (कर अथवा लगान)
मालगोदाममाल के लिए गोदाम
हथकड़ीहाथों के लिए कड़ी
सत्याग्रहसत्य के लिए आग्रह
शक्तिसम्पन्नशक्ति से संपन्न
जेबखर्चजेब के लिए खर्च

4. अपादान तत्पुरुष :- अपादान तत्पुरुष में अपादान कारक की विभक्ति ‘से’ का लोप हो जाता है।

सामासिक शब्द विग्रह
धर्मभ्रष्टधर्म से भ्रष्ट
पदभ्रष्टपद से भ्रष्ट
देशनिकालादेश से निकाला
देशनिर्वासितदेश से निर्वासित
स्थानभ्रष्टस्थान से भ्रष्ट
भाग्यहीनभाग्य से हीन
पथभ्रष्टपथ से भ्रष्ट
दूरागतदूर से आगत
जन्माधजन्म से अंधा
रणविमुखरण से विमुख
भार रहितभार से रहित
धर्मविमुखधर्म से विमुख
जातिच्युतजाति से च्युत
भयमीतभय से भीत
कर्मरहितकर्म से रहित
मरणोत्तरमरण ‘से’ उत्तर
लोकोतरलोक ‘से उतर
नेत्रहीननेत्र से हीन
बलहीनबल से हीन
शक्तिहीनशक्ति से हीन
धनहीनधन से हीन
पापमुक्तपाप से मुक्त
व्ययमुक्तव्यय से मुक्त
बंधनमुक्तबंधन से मुक्त
रोजगारवंचितरोजगार से वंचित
सेवानिवृत्तसेवा से निवृत्त
विवाहेतरविवाह से इतर
कामचोरकाम से जी चुराने वाला

5. संबंध तत्पुरुष :- संबंध तत्पुरुष में सम्बन्ध कारक की विभक्ति ‘का, के, की’ का लोप हो जाता है।

सामासिक शब्द विग्रह
कृष्णमूर्तिकृष्ण की मूर्ति
देवमूर्तिदेवों की मूर्ति
भारतरत्नभारत के रत्न
सचिवालयसचिव की आलय
देशसुधारदेश का सुधार
देशरक्षादेश की रक्षा
देशसेवादेश की सेवा
देशवासीदेश के वासी
स्वास्थ्यरक्षास्वास्थ की रक्षा
गोबरगणेशगोबर का गणेश
ब्राह्मणपुत्रब्राह्मण का पुत्र
राजपुत्रराजा का पुत्र
राजमाताराजा की माता
राजकन्याराजा की कन्या
वीरकन्यावीर की कन्या
राजभवनराजा का भवन
राजगृहराजा का गृह
अन्नदाताअन्न को देने वाला
अन्नदानअन्न का दान
प्रसंगानुसारप्रसंग के अनुसार
कनकघरकनक (सोने) का घर
श्रमदानश्रम का दान
वस्तुदानवस्तु का दान
चन्द्रोदयचंद्रमा का उदय
सूर्योदयसूर्य का उदय
गंगाजलगंगा का जल
गंगातटगंगा का तट
रामोपासकराम का उपासक
खरारिखर का अरि
रामायणराम का अयन
देवालयदेव का आलय
पुस्तकालयपुस्तक का आलय
हिमालयहिम का आलय
आनंदाश्रमआनंद का आश्रम
चरित्रचित्रणचरित्र का चित्रण
आमरसआम का रस
राजदरबारराजा का दरबार
सभापतिसभा का पति
घुड़दौड़घोड़ों की दौड़
जीवनसाथीजीवन का साथी
उद्योगपतिउद्योगों का पति
राष्ट्रपतिराष्ट्र का पति
प्रधानपतिप्रधान का पति
विद्यासागरविद्या का सागर
गुरुसेवागुरु की सेवा
सेनानायकसेना का नायक

6. अधिकरण तत्पुरुष :- अधिकरण तत्पुरुष में अधिकरण कारक की विभक्ति ‘में’, ‘पर का लोप हो जाता है।

सामासिक शब्द विग्रह
ग्रामवासग्राम में वास
नगरवासनगर में वास
कुलश्रेष्ठकुल में श्रेष्ठ
मुनिश्रेष्ठमुनियों में श्रेष्ठ
कलानिपुणकला में निपुण
नीतिनिपुणनीति में निपुण
आनंदमग्नआनंद में मग्न
विचारमग्नविचार में मग्न
पेटदर्दपेट में दर्द
सिरदर्दसिर में दर्द
पुरुषसिंहपुरुषों में सिंह
पुरुषोत्तमपुरुषों में उत्तम
स्वर्गवासीस्वर्ग में बसने वाला
ध्यानमग्नध्यान में मग्न
जलमग्नजल में मग्न
आपबीतीअपने पर बीती
घुड़सवारघोड़े पर सवार
रथारूढ़रथ पर आरूढ़
आत्मविश्वासआत्म में विश्वास
गृहप्रवेशगृहप्रवेश
ग्रामवासग्राम में वास
शरणागतशरण में आगत
विचारलीनविचारों में लीन
लोकप्रियलोक में प्रिय
विद्याप्रवीणविद्या में प्रवीण
डिब्बाबंदडिब्बा में बन्द

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उम्मीद हैं आपको तत्पुरुष समास की समस्त जानकारी समझ में आयी होगी।

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