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अधिकरण कारक की परिभाषा, नियम और उदाहरण

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इस पेज पर आप अधिकरण कारक की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो पोस्ट को पूरा जरूर पढ़िए।

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चलिए आज हम अधिकरण कारक की परिभाषा, नियम और उदाहरण की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।

अधिकरण कारक किसे कहते हैं

शब्द के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध होता है, उसे अधिकरण कारक कहते है।

दूसरे शब्दों में क्रिया या आधार को सूचित करने वाली संज्ञा या सर्वनाम के रूप को अधिकरण कारक कहते है। इसकी विभक्ति ‘में’ और ‘पर’ होती हैं।

जैसे :

इस वाक्य से यह प्रश्न उठता हैं कि ‘खेलने’ की क्रिया किस स्थान पर हो रही है ? तो उत्तर हैं “मैदान में”। इसलिए मैदान में अधिकरण कारक होगा।

इस वाक्य में ‘खेलने’ की छत पर हो रही है। इसलिए यहां ‘छत पर’ अधिकरणकारक होगा।

अधिकरण कारक से जुड़े नियम

अधिकरणकारक के प्रयोग से जुड़े नियम निम्नलिखित हैं।

1. कभी-कभी ‘में’ के अर्थ में ‘पर’ और ‘पर’ के अर्थ में ‘में’ का प्रयोग भी किया जाता है।

जैसे : 

2. कभी-कभी अधिकरणकारक की विभक्तियों का लोप भी हो जाता है।

जैसे :

जरूर पढ़िए :
कर्ता कारकअपादान कारककरण कारक
कर्म कारकसम्बन्ध कारकसम्प्रदान कारक

उम्मीद हैं आपको अधिकरणकारक की जानकारी पसंद आयी होगी।

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