अपादान कारक की परिभाषा, प्रयोग और उदाहरण

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चलिए आज हम अपादान कारक की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।

अपादान कारक किसे कहते हैं

जब किसी स्थिर वस्तु से कोई वस्तु अलग होती हैं तब स्थिर वस्तु को आपादान कारक और अलग हुई वस्तु को कर्ता कारक कहा जाता हैं। 

दूसरे शब्दों में संज्ञा के जिस रूप से किसी वस्तु के अलग होने का बोध होता है, उसे अपादान कारक कहा जाता है।इसकी विभक्ति ‘से’ होती है। 

जैसे :  

”दूल्हा घोड़े से गिर पड़ा”

इस वाक्य में ‘गिरने’ की क्रिया ‘घोड़े से’ हुई अथवा गिरकर दूल्हा घोड़े से अलग हो गया हैं। इसलिए यहां ‘घोड़े से’ अपादान कारक होगा।

जिस शब्द में अपादान का विभक्ति प्रत्यय लगता है, उससे किसी दूसरी वस्तु के अलग होने का बोध होता है। 

जैसे :

  • हिमालय से गंगा निकलती है। 
  • मोहन ने घड़े से पानी ढाला। 
  • बिल्ली छत से कूद पड़ी। 
  • चूहा बिल से बाहर निकला।

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