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चलिए आज हम कर्ता कारक की परिभाषा, प्रयोग और उदाहरण की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।
कर्ता कारक किसे कहते हैं
किसी वाक्य में जो शब्द, व्यक्ति, वस्तु या जानवर कार्य करते है तो उसे कर्ता कहते है।
दूसरे शब्द में क्रिया करने वाला ‘कर्ता’ कहलाता है।
उदाहरण :-
- मोहन खाता है।
इस वाक्य में खाने का काम मोहन करता है अतः मोहन कर्ता है ।
- मनोज ने पत्र लिखा।
इस वाक्य में ‘मनोज’ कर्ता है।
नोट : कभी-कभी कर्ता कारक में ‘ने’ चिह्न नहीं भी लगता है।
जैसे : घोड़ा दौड़ता है।
वाक्य में कर्ता का प्रयोग
वाक्य में कर्ता का प्रयोग दो रूपों में होता है।
1. अप्रत्यय कर्ता कारक
पहला वह, जिसमें ‘ने’ विभक्ति नहीं लगती है मतलब जिसमें क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्ता के अनुसार होते हैं। इसे ‘अप्रत्यय कर्ता कारक’ कहते है। इसे ‘प्रधान कर्ता कारक’ भी कहा जाता है।
उदाहरण :-
मोहन खाता है। यहाँ ‘खाता हैं’ क्रिया है, जो कर्ता ‘मोहन’ के लिंग और वचन के अनुसार है।
2. सप्रत्यय कर्ता कारक
इसके विपरीत जहाँ क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्ता के अनुसार न होकर कर्म के अनुसार होती है, वहाँ ‘ने’ विभक्ति लगती है। इसे ‘सप्रत्यय कर्ताकारक’ कहते हैं। इसे ‘अप्रधान कर्ताकारक’ भी कहा जाता है।
उदाहरण :-
‘श्याम ने मिठाई खाई’। इस वाक्य में क्रिया ‘खाई’ कर्म ‘मिठाई’ के अनुसार आयी है।
कर्ता के ‘ने’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग कहाँ किया जाता हैं
‘ने’ विभक्ति का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों के लिए किया जाता है।
1. ‘ने’ का प्रयोग कर्ता के साथ तब किया जाता है, जब एक पदीय या संयुक्त क्रिया सकर्मक भूतकालिक होती है। केवल सामान्य भूत, आसन्न भूत, पूर्ण भूत, संदिग्ध भूत, हेतुहेतुमद् भूत कालों में ‘ने’ विभक्ति का प्रयोग किया जाता है।
जैसे :-
सामान्य भूत | राम ने रोटी खायी। |
आसन्न भूत | राम ने रोटी खायी है। |
पूर्ण भूत | राम ने रोटी खायी थी। |
संदिग्ध भूत | राम ने रोटी खायी होगी। |
हेतुहेतुमद् भूत | राम ने पुस्तक पढ़ी होती, तो उत्तर ठीक होता। |
अतः अपूर्ण भूत को छोड़ शेष पाँच भूतकालों में ‘ने’ का प्रयोग किया जाता है।
2. सामान्यतः अकर्मक क्रिया में ‘ने’ विभक्ति का प्रयोग नहीं किया जाता हैं किन्तु कुछ ऐसी अकर्मक क्रियाएँ है।
जैसे:- नहाना, छींकना, थूकना, खाँसना जिनमें ‘ने’ चिह्न का प्रयोग अपवाद के रुप मे किया जाता है। इन क्रियाओं के बाद कर्म नहीं आता है।
उदाहरण :-
- उसने थूका।
- राम ने छींका।
- उसने खाँसा।
- उसने नहाया।
3. जब अकर्मक क्रिया सकर्मक बन जाती हैं, तब ‘ने’ का प्रयोग किया जाता हैं अन्यथा नहीं।
जैसे :
- उसने टेढ़ी चाल चली।
- उसने लड़ाई लड़ी।
4. जब संयुक्त क्रिया के दोनों खण्ड सकर्मक होंते हैं, तो अपूर्ण भूत को छोड़ शेष सभी भूतकालों में कर्ता के आगे ‘ने’ चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
जैसे :
- श्याम ने उत्तर कह दिया।
- किशोर ने खा लिया।
5. प्रेरणार्थक क्रियाओं के साथ, अपूर्ण भूत को छोड़ कर शेष सभी भूतकालों में ‘ने’ का प्रयोग किया जाता है।
जैसे :
- मैंने उसे पढ़ाया।
- उसने एक रुपया दिलवाया।
कर्ता के ‘ने’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग कहां नहीं किया जाता हैं
‘ने’ विभक्ति का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में नहीं किया जाता है :
1. वर्तमान और भविष्यत् काल की क्रिया के कर्ता के साथ ‘ने’ का प्रयोग नहीं किया जाता हैं।
जैसे :
- राम जाता है।
- राम जायेगा।
2. बकना, बोलना, भूलना यह सभी क्रियाएँ सकर्मक क्रियाएं हैं। अपवाद में सामान्य, आसत्र, पूर्ण और सन्दिग्ध भूतकालों के कर्ता के साथ ‘ने’ चिह्न प्रयोग नहीं किया जाता हैं।
जैसे :
- वह गाली बका।
- वह बोला।
- वह मुझे भूला।
3. यदि संयुक्त क्रिया का अन्तिम भाग अकर्मक हो, तो उसमें ‘ने’ का प्रयोग नहीं किया जाता हैं।
जैसे :
- मैं खा चुका।
- वह पुस्तक ले आया।
- उसे रेडियो ले जाना है।
4. जिन वाक्यों में लगना, जाना, सकना तथा चुकना सहायक क्रियाएँ आती हैं उनमे ‘ने’ का प्रयोग नहीं किया जाता हैं।
जैसे :
- वह खा चुका।
- मैं पानी पीने लगा।
- उसे पटना जाना हैं।
कर्ता में ‘को’ का प्रयोग
विधि-क्रिया (‘चाहिए’) और संभाव्य भूत (‘जाना था’, ‘करना चाहिए था’ आदि) में कर्ता ‘को’ के साथ आता है।
जैसे :
- राम को जाना चाहिए।
- राम को जाना था या जाना चाहिए था।
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