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चलिए आज हम कर्म कारक की परिभाषा, नियम और उदाहरण की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।
कर्म कारक किसे कहते हैं
जिस संज्ञा या सर्वनाम पर कर्ता द्वारा किए गए क्रिया का प्रभाव पड़ता हैं उसे कर्म कारक कहते है।
दूसरे शब्दों में वाक्य में क्रिया का फल जिस शब्द पर पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते है। इसकी विभक्ति ‘को’ होती है।
जैसे :
- माँ बच्चे को सुला रही है।
इस वाक्य में सुलाने की क्रिया का प्रभाव बच्चे पर पड़ रहा है। इसलिए ‘बच्चे को’ कर्म कारक है।
- राम ने रावण को मारा।
यहाँ ‘रावण को’ कर्म कारक है।
नोट : कभी-कभी ‘को’ चिह्न का प्रयोग नहीं भी होता है।
जैसे :
- मोहन पुस्तक पढता है।
कर्म कारक के उपयोग के नियम
कर्म कारक के उपयोग के नियम निम्नलिखित है।
1. बुलाना, सुलाना, कोसना, पुकारना, जगाना, भगाना इत्यादि क्रियाओं के कर्मों के साथ ‘को’ विभक्ति का प्रयोग किया जाता है।
जैसे :
- मैंने हरि को बुलाया।
- माँ ने बच्चे को सुलाया।
- शीला ने सावित्री को जी भर कोसा।
- पिता ने पुत्र को पुकारा।
- हमने उसे (उसको) खूब सबेरे जगाया।
- लोगों ने शोरगुल करके डाकुओं को भगाया।
2. ‘मारना’ क्रिया का मतलब जब ‘पीटना’ होता है, तब कर्म के साथ विभक्ति का प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन यदि उसका अर्थ ‘शिकार करना’ होता है, तब विभक्ति का प्रयोग नहीं किया जा सकता हैं अर्थात कर्म अप्रत्यय रहता है।
जैसे :
- लोगों ने चोर को मारा।
- शिकारी ने बाघ मारा।
उपर दिए गए वाक्य में पहले वाक्य में चोर को मारना पीटने के अर्थ में आता है जबकि बाघ को मारना शिकार के अर्थ में आता है। इसीलिए पहले वाक्य में को का प्रयोग किया गया हैं लेकिन दूसरे वाक्य में नही।
एक और उदाहरण :
- हरि ने बैल को मारा।
- मछुए ने मछली मारी।
3. बहुधा कर्ता में विशेष कर्तृत्व शक्ति को जताने के लिए कर्म सप्रत्यय रखा जाता है।
जैसे :
- मैंने यह तालाब खुदवाया है।
- मैंने इस तालाब को खुदवाया है।
दोनों वाक्यों में अन्तर है। पहले वाक्य के कर्म से कर्ता में साधारण कर्तृत्वशक्ति का जबकि दूसरे वाक्य में कर्म से कर्ता में विशेष कर्तृत्वशक्ति का बोध होता है।
इस तरह के अन्य वाक्य है।
- बाघ बकरी को खा गया।
- हरि ने ही पेड़ को काटा है
- लड़के ने फलों को तोड़ लिया इत्यादि।
जहाँ कर्ता में विशेष कर्तृत्वशक्ति का बोध कराने की आवश्यकता न हो, वहाँ सभी स्थानों पर कर्म को सप्रत्यय नहीं रखना चाहिए।
इसके अलावा जब कर्म निर्जीव वस्तु हो, तब ‘को’ का प्रयोग नहीं किया जा सकता हैं।
जैसे :
- राम ने रोटी को खाया।
- मैं कॉंलेज को जा रहा हूँ।
- मैं आम को खा रहा हूँ।
- मैं कोट को पहन रहा हूँ।
उपर के उदाहरणों में ‘को’ का प्रयोग सही नहीं है। अधिकतर सजीव पदार्थों के साथ ‘को’ चिह्न का प्रयोग होता है और निर्जीव के साथ नहीं। पर यह अन्तर वाक्य-प्रयोग पर निर्भर करता है।
4. कर्म सप्रत्यय रहने पर क्रिया हमेशा पुंलिंग होगी लेकिन अप्रत्यय रहने पर कर्म के अनुसार होगी।
जैसे :
- राम ने रोटी को खाया (सप्रत्यय)।
- राम ने रोटी खायी (अप्रत्यय)।
5. यदि विशेषण संज्ञा के रूप में प्रयोग किया जाता हों, तो कर्म में ‘को’ अवश्य लगता है।
जैसे :
- बड़ों को पहले आदर दो।
- छोटों को प्यार करो।
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