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उपवाक्य की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण

upvakya

इस पोस्ट में आप उपवाक्य के बारे में समस्त जानकारी पढ़ेंगे तो पोस्ट को पुरा जरूर पढ़ें।

पिछले पोस्ट में हमने स्त्रीलिंग से संबंधित जानकारी शेयर की है तो उसे भी जरूर पढ़ें।

चलिए आज हम उपवाक्य की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण की समस्त जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।

उपवाक्य किसे कहते हैं

उपवाक्य वाक्य का अंश होता है जिसमें उद्देश्य और विधेय होते हैं। अतः पदों का ऐसा समूह जिसका अपना अर्थ हो, जो सामान्यतः एक वाक्य का भाग हो तथा जिसमें उद्देश्य एवं विधेय सम्मिलित हो, उपवाक्य कहलाता है।

उपवाक्य के प्रकार

उप वाक्य के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं।

1. प्रधान उपवाक्य

जो उपवाक्य वाक्य से अलग होकर भी पूरा अर्थ प्रकट करें उसे प्रधान उप वाक्य कहते है।

2. आश्रित उपवाक्य

जो उप वाक्य मुख्य वाक्य के बिना पूरा अर्थ ना दे उसे आश्रित उप वाक्य कहते हैं।

उदाहरण :-

उपर दिए गए वाक्य में तो मैं चलूंगा प्रधान उप वाक्य है तथा यदि बस आ जाए आश्रित उप वाक्य है।

आश्रित उप वाक्य के प्रकार

आश्रित उप वाक्य तीन प्रकार के होते हैं।

(i). संज्ञा उप वाक्य

जो आश्रित उप वाक्य प्रधान उप वाक्य की क्रिया के कर्ता, कर्म अथवा क्रिया पूरक के रूप में प्रयोग हो, उन्हें संज्ञा उप वाक्य कहते हैं। संज्ञा उप वाक्य के आरंभ में कि शब्द होता है।

जैसे :

ऊपर दिए गए वाक्यों में “वह कहां है” और “मेरा लड़का डॉक्टर बनेगा” संज्ञा उप वाक्य है।

(ii). विशेषण उप वाक्य

जो आश्रित उप वाक्य प्रधान उप वाक्य के संज्ञा पद की विशेषता बतलाता है, उसे विशेषण उप वाक्य कहते हैं। इसमें जो, जिसे, जैसा, जितना आदि शब्दों का प्रयोग होता है।

जैसे :

ऊपर दिए गए वाक्यों में “जो कल रोया था” और “जिनको आप लाए थे” विशेषण उप वाक्य है।

(iii). क्रिया विशेषण उपवाक्य

जो आश्रित उप वाक्य प्रधान उप वाक्य की क्रिया की विशेषता बताता है, उसे क्रिया विशेषण उप वाक्य कहते हैं। इसमें जब, जहां, जिधर, ज्यों आदि शब्दों का प्रयोग होता है।

जैसे :

ऊपर दिए गए वाक्यों में “जब आग लगती है” और “जब कोई गलती करता है” क्रिया विशेषण उपवाक्य है।

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उम्मीद हैं आपको उपवाक्य की जानकारी पसंद आयी होगी।

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