इस पेज पर आप स्वर संधि की परिभाषा, नियम और उदाहरण सहित पढ़ेंगे और समझेंगे।
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चलिए आज स्वर संधि किसे कहते हैं, स्वर संधि के नियम और उदाहरण की समस्त जानकारी को पढ़ना शुरू करते हैं।
स्वर संधि किसे कहते हैं
स्वर के बाद स्वर अर्थात दो स्वरों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होते हैं, उसे स्वर सन्धि कहते हैं।
उदाहरण :
पर + उपकार | परोपकार |
पुस्तक + आलय | पुस्तकालय |
सूर्य + अस्त | सूर्यास्त |
महा + आत्मा | महात्मा |
स्वर संधि के प्रकार
स्वर संधि पांच प्रकार की होती हैं।
1. दीर्ध स्वर सन्धि
जब दो सवर्णी स्वर पास-पास आते हैं तो दोनों मिलकर दीर्ध स्वर सन्धि हो जाते हैं।
नियम : हस्व या दीर्घ ‘अ’, ‘ई’, ‘उ’, के पश्चात क्रमशः हस्व या दीर्घ ‘अ’, ‘ई’, ‘उ’ स्वर आए तो दोनों को मिलाकर दीर्घ, ‘आ’, ‘ई’, ‘ऊ’, हो जाते हैं।
उदाहरण :
हिम + आलय | हिमालय |
विघा + अर्थी | विघार्थी |
शची + इन्द्र | शचीन्द्र |
सती + ईश | सतीश |
मुनी + इन्द्र | मुनींद्र |
अनु + उदित | अनुदित |
महि + इन्द्र | महिंद्र |
रवि + अर्थ | रवींद्र |
दीक्षा + अन्त | दीक्षांत |
भानु + उदय | भानूदय |
परम + अर्थ | परमार्थ |
महा + आत्मा | महात्मा |
गिरि + ईश | गिरीश |
2. गुण स्वर सन्धि
नियम : यदि ‘अ,’औ’, ‘आ’ के बाद ‘इ’, या ‘ई’ ‘उ’ या ‘ऊ’ और ‘ऋ’ स्वर आए तो दोनों के मिलने से क्रमशः ‘ए’, ‘औ’ और अर हो जाते हैं।
उदाहरण :
देव + ईश | देवेश |
नर + इन्द्र | नरेंद्र |
महा + इन्द्र | महेन्द्र |
भाग्य + उदय | भाग्योदय |
सूर्य + उदय | सूर्योदय |
भव + ईश | भवेश |
राजा + इन्द्र | राजेन्द्र |
राजा + ईश | राजेश |
पर + उपकार | परोपकार |
गज + इन्द्र | गजेन्द्र |
3. यण स्वर सन्धि
नियम : यदि इ ई उ औ और ऋ के बाद भिन्न स्वर आए तो इ और ई का य, उ औ ऊ का व तथा त्रा का र हो जाता हैं।
उदाहरण :
प्रति + एक | प्रत्येक |
यदि + अपि | यद्दपि |
इति + आदि | इत्यादि |
अभी + अर्थी | अभ्यर्थी |
अधि + आदेश | अध्यादेश |
अति + अन्त | अत्यन्त |
अति + अधिक | अत्यधिक |
प्रति + अर्पण | प्रत्यर्पण |
नि + ऊन | न्यून |
सु + आगत | स्वागत |
अधि + आहार | अध्याहार |
प्रति + आशा | प्रत्याशा |
प्रति + उपकार | प्रत्युपकार |
अधि + अक्ष | अध्यक्ष |
4. वृद्धि स्वर सन्धि
नियम : अ या आ के बाद ए या ऐ आए तो दोनों के मेल से ऐ हो जाता हैं तथा अ और आ के पश्चात ओ या औ आए तो दोनों के मेल से औ हो जाता हैं।
उदाहरण :
मत + ऐक्य | मतैक्य |
महा + ऐश्वर्य | माहेश्वर्य |
परम + ओषध | परमौषधि |
जल + ओघ | जलौघ |
महा + औदार्य | महौदार्य |
एक + एक | एकैक |
सदा + एव | सदैव |
तथा + एव | तथैव |
5. अयादि स्वर सन्धि
यदि ए, ऐ, ओ, औ स्वरों का मेल दूसरे स्वरों से हो तो ए का अय ऐ का आय, ओ, व अव, तथा औ का आव के रूप में परिवर्तन हो जाता हैं।
उदाहरण :
पो + अन | पवन |
पौ + अन | पावन |
शे + अन | शयन |
शै + अन | शायक |
नै + अक | नायक |
पौ + अक | पावक |
ने + अन | नयन |
चे + अन | चयन |
भो + अन | भवन |
स्वर संधि के नियम
1. जब अ, आ के साथ अ, आ हो तो आ बनता है। जब इ, ई के साथ इ, ई हो तो ई बनती है। जब उ, ऊ के साथ उ, ऊ हो तो ऊ बनता है।
जैसे :-
अ + अ | आ |
अ + आ | आ |
आ + अ | आ |
आ + आ | आ |
इ + इ | ई |
इ + ई | ई |
ई + इ | ई |
ई + ई | ई |
उ + उ | ऊ |
उ + ऊ | ऊ |
ऊ + उ | ऊ |
ऊ + ऊ | ऊ |
उदाहरण :-
पुस्तक + आलय | पुस्तकालय |
विधा + अर्थी | विधार्थी |
रवि + इंद्र | रविंद्र |
गिरी + ईश | गिरीश |
भानु + उदय | भानुदय |
2. जब अ, आ के साथ इ, ई होती है तो ए बनता है। जब अ, आ के साथ उ, ऊ होता है तो ओ बनता है। जब अ, आ के साथ ऋ हो तो अर बनता है।
जैसे :-
अ + इ | ए |
अ + ई | ए |
आ + इ | ए |
आ + ई | ए |
अ + उ | ओ |
अ + ऊ | ओ |
आ + उ | ओ |
आ + ऊ | ओ |
अ + ऋ | अर |
आ + ऋ | अर |
उदाहरण :-
नर + इंद्र | नरेंद्र |
सुर + इंद्र | सुरेंद्र |
भारत + इंदु | भारतेन्दु |
देव + ऋषि | देवषि |
सर्व + ईक्षण | सर्वेक्षण |
3. जब अ, आ के साथ ए, ऐ होता है तो ऐ बनता है, जब अ, आ के साथ ओ, औ होता है तो औ बनता है उसे वृद्धि संधि कहते है।
जैसे :-
अ + ए | ऐ |
अ + ऐ | ऐ |
आ + ए | ऐ |
आ + ऐ | ऐ |
अ + ओ | औ |
अ + औ | औ |
आ + ओ | औ |
आ + औ | औ |
उदाहरण :-
एक + एक | एकैक |
मत + एकता | मतैकता |
धन + एषणा | धनैषणा |
सदा + एव | सदैव |
महा + ओज | महौज |
4. जब इ, ई के साथ कोई अन्य स्वर हो तो य बनता है, जब उ, ऊ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो व् बनता है जब ऋ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो र बनता है।
जैसे :-
इ + अ | य |
ई + आ | या |
उ + अ | व् |
ऊ + आ | व् |
उदाहरण :-
इति + आदि | इत्यादि |
परि + आवरण | पर्यावरण |
अनु + अय | अन्वय |
सु + आगत | स्वागत |
अभी + आगत | अभ्यागत |
5. जब ए, ऐ के बाद ए के अतिरिक्त अन्य स्वर आये तो ए का ‘अय’ हो जाता है और ऐ की जगह ‘आय’ हो जाता है।
यदि ओ, औ के बाद ओ स्वर के अतिरिक्त अन्य स्वर आये तो ओ का ‘अव’ हो जाता है और औ का ‘औव’ हो जाता है।
जैसे :-
ए + अ | अय |
ए + आ | अय |
ऐ + अ | आय |
ऐ + आ | आय |
ओ + अ | अव |
ओ + आ | अव |
औ + अ | औव |
औ + आ | औव |
उदाहरण :-
ने + अयन | नयन |
नौ + एक | नाविक |
भो + अन | भवन |
गै + अक | गायक |
6. व्यंजन के बाद कोई स्वर या व्यंजन के आ जाने से उस व्यंजन में जो परिवर्तन होता है।
जैसे :-
र् + म | ण |
प्र + मान | प्रमाण |
ऋ + न | ऋण |
भि + स् | ष |
क् + ग | ग्ग |
क् + ई | गी |
च् + अ | ज् |
ट् + आ | डा |
पत् + भ | द् |
प् + ज | ब् |
उदाहरण :-
अभि + सेक | अभिषेक |
नि + सिद्ध | निषिद्ध |
वि + सम | विषम |
सु + सुप्त | सुषुप्त |
शरत् + चंद्र | शरच्चंद्र |
षट् + आनन | षडानन |
जगत् + ईश | जगदीश |
दिक् + गज | दिग्गज |
वाक् + ईश | वागीश |
अच् + अंत | अजंत |
षट् + आनन | षडानन |
सत् +भावना | सद्भावना |
अप् + ज | अब्ज |
7. विसर्ग के बाद स्वर या व्यंजन आ जाने से विसर्ग में जो परिवर्तन होता है।
उदाहरण :-
अंतः + करण | अन्त करण |
अंतः + गत | अंतर्गत |
अंतः + ध्यान | अंतर्ध्यान |
अंतः + राष्ट्रीय | अंतर्राष्ट्रीय |
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