यण स्वर संधि की परिभाषा और यण संधि के उदाहरण

इस पेज पर आप यण स्वर संधि की परिभाषा को उदाहरण सहित पढ़ेंगे और समझेंगे।

पिछले पेज पर हमने गुण स्वर संधि की जानकारी शेयर की हैं तो उस पोस्ट को भी जरूर पढ़े।

चलिए आज यण स्वर संधि की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।

यण स्वर संधि की परिभाषा

जब इ, ई, उ, ऊ, ऋ के आगे कोई भिन्न स्वर आता है तो ये क्रमश: य, व, र, ल् में परिवर्तित हो जाते हैं, इस परिवर्तन को यण सन्धि कहते हैं।

जब इ, ई के आगे कोई विजातीय (असमान) स्वर होने पर इ ई को ‘य्’ हो जाता है। जब उ, ऊ के आगे किसी विजातीय स्वर के आने पर उ ऊ को ‘व्’ हो जाता है। जब ‘ऋ’ के आगे किसी विजातीय स्वर के आने पर ऋ को ‘र्’ हो जाता है। इन्हें यण-संधि कहते हैं।

जैसे :-

उ + ए व्
इ + आया
इ + अ
उ + इवि
इ + आया
इ + एये
इ + आया

उदाहरण :-

अति + आवश्यकअत्यावश्यकइ + आ = या
प्रति + अक्षप्रत्यक्षइ + अ = य
अति + अधिकअत्यधिकइ + अ = य
प्रति + आघातप्रत्याघातइ + आ = या
यदि + अपियद्यपिइ + अ = य
पितृ + आदेशपित्रादेशऋ + आ = रा
अनु + एषणअन्वेषणउ + ए = वे
गुरु + औदार्यगुरवौदार्यउ + औ = वौ
गुरु + ओदनगुर्वोदनउ + ओ = वो
मधु + आलयमध्वालयउ + आ = वा
अति + उष्मअत्यूष्मइ + ऊ = यू
अति + उत्तमअत्युत्तमइ + उ = यु
अति + अल्पअत्यल्पइ + अ = य्
देवी + अर्पणदेव्यर्पणई + अ = य्
सु + आगतस्वागतउ + अ = व्
वधू + आगमनवध्वागमनऊ + आ = व
अति + उष्मअत्यूष्मइ + ऊ = यू
अनु + आयअन्वयउ + अ= व
पितृ + अंशपित्रंशऋ + अ = र
अनु + अयअन्वयउ + अ = व
देवी + ओजदेव्योजई + ओ = यो
देवी + ऐश्वर्यदेव्यैश्वर्यई + ऐ = यै
नदी + ऊर्मीनद्यूर्मीई + ऊ = यू
नि + ऊनन्यूनइ + ऊ = यू
अति + आचारअत्याचारइ + आ = य्

जरूर पढ़े :-

उम्मीद हैं आपको यण स्वर संधि की समस्त जानकारी पसंद आयी होगी।

यदि आपको यह पोस्ट पसंद आयी हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे।

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.