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चलिए आज हम प्रेरणार्थक क्रिया की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।
प्रेरणार्थक क्रिया क्या हैं
जिस क्रियाओं के प्रयोग से यह पता चलता है की कर्ता खुद कार्य न करके किसी और से कार्य करवा रहा है या किसी और को कार्य करने की प्रेरणा दे रहा है तो उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं।
जैसे :- करवाना, कटवाना, पिलवाना, पढवाना, लिखवाना, खिलवाना, सुनाना, बोलवाना, पिलवाता, पिलवाती इत्यादि।
वाक्य उदहारण :-
- मालिक नौकर से कार साफ करवाता है।
- अध्यापक बच्चे से पाठ पढवाते है।
- मैंने राधा से पत्र लिखवाया।
- तुमने माली से सिंचाई करवाया।
- राधा से कृष्ण से बांसुरी बजवाया।
- तुमने मुझे शिक्षक से पिटवाया।
- उसने हमें खाना खिलवाया।
प्रेरणार्थक क्रिया के प्रेरक
प्रेणार्थक क्रिया के दो प्रेरक होते हैं।
- प्रेरक कर्ता
- प्रेरित कर्ता
1. प्रेरक कर्ता :- जो किसी और को प्रेरणा प्रदान करता है या प्रेरणा देता है उसे प्रेरक कर्ता अर्थात प्रेरक करने वाला कहते हैं।
जैसे :- मालिक, अध्यापिका इत्यादि।
2. प्रेरित कर्ता :- जो किसी और से प्रेरणा लेता है उसे प्रेरित कर्ता अर्थात प्रेरित हुआ कर्ता कहते हैं।
जैसे :- नौकर, छात्र इत्यादि।
प्रेरणार्थक क्रिया के रूप
प्रेरणार्थक क्रिया के दो रूप होते हैं।
- प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया
- द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया
1. प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया :- जिस प्रेरणार्थक क्रिया में कर्ता प्रेरक बनकर प्रेरणा देता है उसे प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। यह सभी क्रियाएँ सकर्मक होती हैं।
जैसे :-
- माँ परिवार के लिए भोजन बनाती है।
- जोकर सर्कस में खेल दिखाता है।
- मै विद्यालय में भाषण देता हू।
- वह घर पर मुझे डांटती है।
2. द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया :- जिस प्रेरणार्थ क्रिया में कर्ता खुद दूसरे को काम करने की प्रेरणा देता है उसे द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं।
जैसे :-
- माँ पुत्री से भोजन बनवाती है।
- जोकर सर्कस में हाथी से करतब करवाता है।
- राधा रामसखी से पत्र लिखवाती है।
जरूर पढ़िए :
- सकर्मक क्रिया की परिभाषा
- अकर्मक क्रिया की परिभाषा
- संयुक्त क्रिया की परिभाषा
- नामधातु क्रियाएँ की परिभाषा
प्रेरणार्थक क्रिया बनाने के कुछ नियम
प्रेरणार्थक क्रिया बनाने के कुछ नियम नीचे दिए गए हैं।
1. दो अक्षर वाले धातुओं में आना या वाना जोड़कर प्रेरणार्थक क्रिया बनाया जाता है।
जैसे : –
पढ़ | पढ़ाना | पढवाना |
चल | चलाना | चलवाना |
लिख | लिखना | लिखवाना |
सुन | सुनना | सुनवाना |
2. दो अक्षर वाले धातुओं में ऐ या ओ जोड़ दिया जाता है या दीर्घ स्वर को हस्व स्वर बना दिया जाता है।
जैसे :-
जीत | जिताना | जितवाना |
लेट | लिटाना | लिटवाना |
3. तीन अक्षर वाले धातुओं में आना और वाना जोड़ दिया जाता है।
जैसे :-
समझ | समझाना | समझवाना |
बदल | बदलाना | बदलवाना |
4. कुछ धातुओं में आवश्यकता के अनुसार प्रत्यय लगाए जाते हैं।
जैसे :-
जी | जिलाना | जिलवाना |
प्रेरणार्थक क्रिया के उदहारण
उठना | उठाना | उठवाना |
उड़ना | उड़ाना | उडवाना |
चलना | चलाना | चलवाना |
देना | दिलाना | दिलवाना |
जीना | जिलाना | जिलवाना |
लिखना | लिखाना | लिखवाना |
जगना | जगाना | जगवाना |
सोना | सुलाना | सुलवाना |
पीना | पिलाना | पिलवाना |
देना | दिलाना | दिलवाना |
धोना | धुलाना | धुलवाना |
रोना | रुलाना | रुलवाना |
घूमना | घुमाना | घुमवाना |
पढना | पढ़ाना | पढवाना |
देखना | दिखाना | दिखवाना |
खाना | खिलाना | खिलवाना |
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