विसर्ग संधि की परिभाषा, नियम और उदाहरण

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चलिए आज हम विसर्ग संधि की परिभषा, नियम, भेद और उदाहरण को पढ़ना शुरू करते हैं।

विसर्ग संधि की परिभाषा

विसर्ग का स्वर या व्यंजन के साथ मेल होने पर जो परिवर्तन होता है उसे विसर्ग संधि कहते हैं।

जब संधि करते समय विसर्ग के बाद स्वर या व्यंजन वर्ण के आने से जो विकार उत्पन्न होता हैं, उसे हम विसर्ग संधि कहते हैं।

विसर्ग संधि के नियम

विसर्ग संधि के आठ नियम हैं जो निम्नानुसार हैं।

1. अगर कभी शब्द में विसर्ग के बाद च या छ हो तो विसर्ग श हो जाता है। ट या ठ हो तो ष तथा त् या थ हो तो स् हो जाता हैं।

उदाहरण :-

धनु: + टकारधनुष्टकार
नि: + चलनिश्चल
नि: + तारनिस्तार

2. अगर कभी संधि के समय विसर्ग के बाद श, ष या स आये तो विसर्ग अपने मूल रूप में बना रहता है या उसके स्थान पर बाद का वर्ण हो जाता है।

उदाहरण :-

दू: + शासनदुशासन
नि: + संदेहनिस्संदेह

3. अगर संधि के समय विसर्ग के बाद क, ख या प, फ हों तो विसर्ग में कोई विकार नहीं होता।

उदाहरण :-

पय: + पानपय:पान
रज: + कणरज:कण

4. अगर संधि के समय विसर्ग से पहले ‘अ’ हो और बाद में घोष व्यंजन या ह हो तो विसर्ग ओ में बदल जाता है।

उदाहरण :-

मनः + भावमनोभाव
यशः + दायशोदा

5. अगर संधि के समय विसर्ग से पहले अ या आ को छोड़कर कोई अन्य स्वर हो तथा बाद में कोई घोष वर्ण हो तो विसर्ग के स्थान र आ जाता है।

उदाहरण :-

दु: + उपयोगदुरूपयोग
निः + गुणनिर्गुण

6. अगर संधि के समय विसर्ग के बाद त, श या स हो तो विसर्ग के बदले श या स् हो जाता है।

उदाहरण :-

निः + तेज़निस्तेज
दु: + शाशनदुश्शाशन
निः + संताननिस्संतान

7. अगर संधि करते समय विसर्ग से पहले अ या आ हो तथा उसके बाद कोई विभिन्न स्वर हो, तो विसर्ग का लोप हो जाता है एवं पास-पास आये हुए स्वरों की संधि नहीं होती।

उदाहरण :-

अंत: + पुरअंत:पुर
अंत: + कारणअंत:कारण
पय: + पानपय:पान
प्रात: + कालप्रात:काल
मन: + कल्पितमन:कल्पित
मन: + कामनामन:कामना

8. अगर संधि करते समय विसर्ग से पहले अ या आ हो तथा उसके बाद कोई विभिन्न स्वर हो, तो विसर्ग का लोप हो जाता है एवं पास-पास आये हुए स्वरों की संधि नहीं होती।

उदाहरण :-

अत: + एवअतएव
तप: + उत्तमतपउत्तम
मन: + उच्छेदमनउच्छेद
यश: + इच्छायशइच्छा
हरि: + इच्छाहरिइच्छा

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