इस पेज पर आप व्यंजन संधि की परिभाषा, व्यंजन संधि के नियम और उदाहरण की जानकारी पढ़ेंगे।
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चलिए आज हम व्यंजन संधि की परिभाषा, व्यंजन संधि के नियम और उदाहरण की समस्त जानकारी पढ़ना शुरू करते हैं।
व्यंजन संधि की परिभाषा
जब किसी व्यंजन का मेल किसी स्वर या व्यंजन से होता हैं तो उस व्यंजन में आने वाला परिवर्तन व्यंजन संधि कहलाता हैं।
व्यंजन का व्यंजन से अथवा किसी स्वर से मेल होने पर जो परिवर्तन होता है उसे व्यंजन संधि कहते हैं।
व्यंजन संधि के नियम
व्यंजन संधि के 12 नियम है जो निम्नानुसार है।
नियम 1. किसी वर्ग के पहले वर्ण क्, च्, ट्, त्, प् का मेल किसी वर्ग के तीसरे अथवा चौथे वर्ण या य्, र्, ल्, व्, ह या किसी स्वर से हो जाए तो क् को ग् च् को ज्, ट् को ड् और प् को ब् हो जाता है।
उदाहरण :-
दिक् + गज | दिग्गज | क् + ग = ग्ग |
वाक् + ईश | वागीश | क् + ई = गी |
अच् + अंत | अजंत | च् + अ = ज् |
षट् + आनन | षडानन | ट् + आ = डा |
अप् + ज | अब्ज | प + ज + ब्ज |
नियम 2. यदि किसी वर्ग के पहले वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्) का मेल न् या म् वर्ण से हो तो उसके स्थान पर उसी वर्ग का पाँचवाँ वर्ण हो जाता है।
उदाहरण :-
वाक् + मय | वाड़्मय | क् + म = ड़् |
अच् + नाश | अञ्नाश | च् + न = ञ् |
षट् + मास | षण्मास | ट् + म = ण् |
उत् + नयन | उन्नयन | त् + न = न् |
अप् + मय | अम्मय | प् + म् = म् |
नियम 3. जब त् का मेल ग, घ, द, ध, ब, भ, य, र, व या किसी स्वर से हो जाए तो द् हो जाता है।
उदाहरण :-
जगत् + ईश | जगदीश | त् + ई = दी |
तत् + रूप | तद्रूप | त् + र = द्र |
सत् + धर्म | सद्धर्म | त् + ध = द्ध |
सत् + भावना | सद्भावना | त् + भ = द्भ |
भगवत् + भक्ति | भगवद्भक्ति | त् + भ = द्भ |
नियम 4. त् से परे च् या छ् होने पर च, ज् या झ् होने पर ज्, ट् या ठ् होने पर ट्, ड् या ढ् होने पर ड् और ल होने पर ल् हो जाता है।
उदाहरण :-
उत् + चारण | उच्चारण | त् + च = च्च |
सत् + जन | सज्जन | त् + ज = ज्ज |
उत् + झटिका | उज्झटिका | त् + झ = ज्झ |
तत् + टीका | तट्टीका | त् + ट = ट्ट |
उत् + डयन | उड्डयन | त् + ड = ड्ड |
उत् + लास | उल्लास | त् + ल = ल्ल |
नियम 5. त् का मेल यदि श् से हो तो त् को च् और श् का छ् बन जाता है।
उत् + श्वास | उच्छ्वास | त् + श् = च्छ |
उत् + शिष्ट | उच्छिष्ट | त् + श = च्छ |
सत् + शास्त्र | सच्छास्त्र | त् + श = च्छ |
नियम 6. त् का मेल यदि ह् से हो तो त् का द् और ह् का ध् हो जाता है।
उत् + हार | उद्धार | त् + ह = द्ध |
उत् + हरण | उद्धरण | त् + ह = द्ध |
तत् + हित | तद्धित | त् + ह = द्ध |
नियम 7. स्वर के बाद यदि छ् वर्ण आ जाए तो छ् से पहले च् वर्ण बढ़ा दिया जाता है।
स्व + छंद | स्वच्छंद | अ + छ = अच्छ |
आ + छादन | आच्छादन | आ + छ = आच्छ |
संधि + छेद | संधिच्छेद | इ + छ = इच्छ |
अनु + छेद | अनुच्छेद | उ + छ = उच्छ |
नियम 8. यदि म् के बाद क् से म् तक कोई व्यंजन हो तो म् अनुस्वार में बदल जाता है।
किम् + कर | किंकर | म् + क = ं |
सम् + कल्प | संकल्प | म् + क = ं |
किम् + चित | किंचित | म् + च् = ं |
सम् + चय | संचय | म् + च = ं |
सम् + पूर्ण | संपूर्ण | म् + प = ं |
सम् + बंध | संबंध | म् + ब = ं |
सम् + तोष | संतोष | म् + त = ं |
सम् + बंध | संबंध | म् + ब = ं |
सम् + पूर्ण | संपूर्ण | म् + प = ं |
नियम 9. म् के बाद म का द्वित्व हो जाता है । जैसे – (म् + म = म्म) सम् + मति = सम्मति।
सम् + मति | सम्मति | म् + म = म्म |
सम् + मान | सम्मान | म् + म = म्म |
नियम 10. म् के बाद य्, र्, ल्, व्, श्, ष्, स्, ह् में से कोई व्यंजन होने पर म् का अनुस्वार हो जाता है।
सम् + रक्षण | संरक्षण | म् + र = ं |
सम् + विधान | संविधान | म् + व = ं |
सम् + वाद | संवाद | म् + व = ं |
सम् + योग | संयोग | म् + य = ं |
सम् + शय | संशय | म् + श = ं |
सम् + सार | संसार | म् + स = ं |
सम् + लग्न | संलग्न | म् + ल = ं |
नियम 11. ऋ,र्, ष् से परे न् का ण् हो जाता है। परन्तु चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग, श और स का व्यवधान हो जाने पर न् का ण् नहीं होता।
परि + नाम | परिणाम | र् + न = ण |
प्र + मान | प्रमाण | र् + म = ण |
नियम 12. स् से पहले अ, आ से भिन्न कोई स्वर आ जाए तो स् को ष हो जाता है।
अभि + सेक | अभिषेक | भ् + स् = ष |
वि + सम | विषम | |
नि + सिद्ध | निषिद्ध |
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