संवाद लेखन की परिभाषा, अंग और उदाहरण

इस पोस्ट में आप संवाद लेखन से संबंधित समस्त जानकारी पढ़ेंगे तो पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें।

पिछले पोस्ट में हमने भावार्थ से संबंधित जानकारी शेयर की है तो उसे भी जरूर पढ़ें।

चलिए आज हम संवाद लेखन की परिभाषा, अंग और उदाहरण की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।

संवाद लेखन किसे कहते हैं

संवाद लेखन को जानने से पूर्व हमें यह जानना होगा की संवाद क्या है?

दो व्यक्तियों के बीच की बातचीत को ही संवाद कहा जाता है। जैसे भाषा की आधारभूत इकाई वाक्य है वैसे ही संप्रेषण की आधारभूत इकाई संवाद हैं।

हम अपनी बातों को संप्रेषित करने के लिए बातचीत या वार्तालाप करते हैं और वार्तालाप या संवाद को लिखने की प्रक्रिया ही संवाद लेखन कहलाती हैं।

संवाद लेखन के अंग

वार्तालाप के लिए हमेशा कम से कम दो लोगों की आवश्यकता होती है।

1. वक्ता

वक्ता अर्थात बोलने वाला व्यक्ति। संवाद में जो व्यक्ति बोलता है वह वक्ता कहलाता हैं।

2. श्रोता

श्रोता अर्थात सुनने वाला व्यक्ति। संवाद में जो व्यक्ति सुनता है वह श्रोता कहलाता हैं।

संवाद कैसे होता है

संवाद में वक्ता अपने मन की बात को श्रोता तक पहुंचाता है और श्रोता उसे सुनकर समझता है और वक्ता को उत्तर देता है।

वक्ता अपने विचारों को श्रोता तक पहुंचाने के लिए किसी न किसी कोड या भाषा का सहारा लेता है।

संप्रेषण के लिए यह जरूरी है कि श्रोता भी उस भाषा से परिचित हो, नही तो संप्रेषण नही होगा।

यदि प्रेषित संदेश का कोड भाषा है तो उसके दो रूप हो सकते हैं।

1. मौखिक भाषा

मौखिक भाषा में वक्ता बोलकर अपनी बात श्रोता तक पहुंचाता है, जिसे श्रोता सुनकर ग्रहण करता है।

2. लिखित भाषा

यदि भाषा लिखित हो तो लेखक अपनी बात लिखकर पाठक तक पहुंचाता है, जिसे पाठक पढ़ कर ग्रहण करता है।

संवाद में वक्ता और श्रोता की भूमिकाएं बदलती रहती हैं। वक्ता की बात को सुनने के बाद जब श्रोता अपनी बात कहता है तो वह वक्ता बन जाता है।

संवाद कैसे लिखते हैं

परीक्षा में किसी विषय पर दो व्यक्तियों की बातचीत को संवाद के रूप में लिखने के लिए कहा जाता हैं।

संवाद लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  1. संवाद संक्षिप्त, सरल और सारगर्भिक होना चाहिए।
  2. संवादों की भाषा सरल और पढ़ने योग्य होनी चाहिए।
  3. संवाद में क्रमबद्धता का ध्यान रखना चाहिए।
  4. पात्रों के मन के भावों को कोष्ठक में लिखना चाहिए।
  5. संवादों में भाव के अनुसार विराम चिह्नो का प्रयोग करना चाहिए।

संवाद के उदाहरण

नीचे संवाद के कुछ उदाहरण दिए जा रहे हैं।

मोबाइल फोन के बारे में दो मित्रों के बीच संवाद

विपिन : सौरभ! तुमने मोबाइल क्यों नही खरीदा?

सौरभ : मैं मोबाइल रखना पसंद नहीं करता।

विपिन : क्यों? यह तो संप्रेषण का एक बढ़िया माध्यम है।

सौरभ : अरे! जब मोबाइल नही था तो लोग संप्रेषण नही करते थे? इसके कारण लोग समय का दुरुपयोग करते हैं।

विपिन : मोबाइल ही क्या किसी भी वस्तु का दुरुपयोग हानिकारक हो सकता है।

सौरभ : मोबाइल पर अनावश्यक कॉल्स, विज्ञापन और मैसेज कितना परेशान करते है!

विपिन : तुम्हारी सोच केवल नकारात्मक है। कैलकुलेटर, फोन बुक जैसी अच्छी भी सुविधाएं हैं।

सौरभ : नहीं, मैं इसे एक बड़ी समस्या मानता हूं और तुम्हारी बात से सहमत नही हूं।

बुलेट ट्रेन के बीच दो मित्रों के बीच संवाद

सलीम : यार रंजीत! प्रधानमंत्री ने देश में शीघ्र ही बुलेट ट्रेन चलाने की घोषणा की है।

रंजीत : हां सलीम! मैने भी सुना है।

सलीम : रंजीत! ये बताओ, भारत जैसे गरीब देश को बुलेट ट्रेन की जरूरत क्यों है? यहां तो अभी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं है।

रंजीत : नहीं सलीम! सरकार देश के बहुमुखी विकास के लिए कटिबद्ध हैं। धीरे धीरे सब ठीक होगा।

सलीम : मुझे तो इन नेताओं की बातों पर भरोसा नहीं होता।

रंजीत : तुम इस बात से तो सहमत होगे की सरकार ने अब तक जो भी कदम उठाए हैं, सभी आम आदमी के हित में है।

सलीम : हां, इस बात से तो मैं सहमत हूं।

रंजीत : तो बस विश्वास बनाए रखो। अच्छे दिन जरूर आयेंगे।

पिता और पुत्र के बीच संवाद

ओजस्व : पिता जी, मुझे अपने दोस्तों के साथ मॉल जाना है।

पिता : नही ओजस्व, तुम अपने दोस्तों के साथ रहकर घुमक्कड़ होते जा रहे हो! तुमने पढ़ना तो बिल्कल छोड़ ही दिया है।

ओजस्व : नहीं पिता जी, अब मैं पढूंगा, वायदा करता हूं।

पिता : बेटे, ऐसे वायदे तो रोज करते हो।

ओजस्व : पर इस बार मैं पक्का आपको 80% से ऊपर अंक लेकर दिखलाऊंगा।

पिता : और अगर नहीं लाए तो…….

ओजस्व : फिर आप जैसा कहेंगे, मैं वैसा ही करूंगा।

पिता : ठीक है। तुम्हे यह आखिरी अवसर देता हूं।

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उम्मीद हैं आपको संवाद लेखन की समस्त जानकारी पसंद आयी होगी।

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