भावार्थ की परिभाषा, उदाहरण और महत्त्वपूर्ण बाते

इस पेज पर आप भावार्थ से संबंधित समस्त जानकारी पढ़ेंगे तो पोस्ट को पूरा जरूर पढ़िए।

पिछले पोस्ट में हमने मुहावरे और उनके अर्थ से जुड़ी जानकारी शेयर की है तो उसे भी जरूर पढ़ें।

चलिए आज हम भावार्थ की समस्त जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।

भावार्थ किसे कहते हैं

भावार्थ का मतलब भाव का अर्थ होता है। अर्थात किसी भी गद्य या पद्य रचना के मूल भावों को ही भावार्थ कहा जाता है।भावार्थ में छोटे-बड़े सभी भावों का समावेश किया जाता है।

सरल भाषा में गद्यांश या पद्यांश में आये गए विचारों को संक्षेप में और सरल भाषा में लिख देने के प्रयास को ही भावार्थ कहते है।

भावार्थ के उदाहरण

चलते-चलते जो कभी गिर जाओ,
खुद को संभालो और फिर से चलो
चोट खाकर ही सीख मिलती है।

भावार्थ : प्रस्तुत पंक्तियां कवि त्रिपुरारी जी द्वारा रचित ‘प्रेरणा’ कविता से ली गई है। प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने हिम्मत न हारने की सीख दी है। कवि कहते हैं कि कर्तव्य पथ पर चलते हुए यदि हम कभी गिर पड़ते हैं अर्थात यदि हम असफल हो जाते हैं तो हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए।

ऐसी स्थिति में हमें खुद को संभाल कर आगे बढ़ना चाहिए। जीवन में इस तरह की चोटों अर्थात असफलताओं से ही हमें सीख मिलती है जो हमें सफलता दिलाने में बहुत सहायक होती है।

भावार्थ से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

भावार्थ के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए।

  1. मूल रचना को दो-तीन बार ध्यानपूर्वक पढ़कर उसके मूल विचारों को रेखांकित करना चाहिए।
  2. व्यर्थ बातों या शब्दों को भावार्थ से हटा देना चाहिए।
  3. रेखांकित किए गए वाक्यों और शब्दों को मिलाकर सार्थक वाक्य बनाना चाहिए।
  4. भावार्थ की भाषा साफ और सरल होनी चाहिए।
  5. आलंकारिक शब्दों या भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  6. भावार्थ में भावों का पदान्वय नहीं होना चाहिए।

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