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निबंध लेखन की परिभाषा, प्रकार, अंग और उदाहरण

nibandh lekhan

इस पोस्ट में आप निबंध लेखन से संबंधित समस्त जानकारी पढ़ेंगे तो पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें।

पिछले पोस्ट में हमने पत्र-लेखन से संबंधित जानकारी शेयर की है तो उसे भी जरूर पढ़ें।

चलिए निबंध लेखन की परिभाषा, प्रकार, अंग और उदाहरण को पढ़ते और समझते हैं।

निबंध किसे कहते हैं

नि + बंध को मिलाकर निबंध शब्द का निर्माण होता है। इसका अर्थ होता है कि अच्छे तरीके बनाई गई रचना जो विचारपूर्वक लिखी होती है।

अर्थात जब अपने विचारों और भावों को हम नियंत्रण ढंग से लिखते हैं तब वह निबंध के रूप में जाना जाता है ‌और किसी भी विषय पर अपने भावों के अनुसार हम लिपि बंद करते हैं वह निबंध लेखन कहलाता है।

निबंध के अंग

निबंध के चार अंग होते हैं।

1. शीर्षक

निबंध में शीर्षक का आकर्षक होना जरूरी है। शीर्षक पढ़ने से लोगों में पढ़ने की उत्सुकता होती है।

2. प्रस्तावना

इसे भूमिका भी कहा जाता है। निबंध की शुरुआत हम स्तुति, श्लोक या उदाहरण से करते हैं तो उसका अलग ही प्रभाव पड़ता है।

3. विषय

निबंध में विषय प्रमुख अंश होता है, इसके अंदर तीन से चार अनुच्छेदों के अलग-अलग पहलुओं पर विचार प्रकट किया जा सकता है।

निबंध लेखन में इसका संतुलन होना बहुत ही आवश्यक है। विषय में निबंधकार अपने दृष्टिकोण को प्रकट करता है।

4. उपसंहार

उपसंहार को निबंध के अंत में लिखा जाता है। इसमें हम निबंध के निष्कर्ष को संक्षिप्त अनुच्छेद में बताते हैं।

इसके अंदर हम संदेश, उपदेश, विचारों या कविता की पंक्ति के माध्यम से निबंध को समाप्त कर सकते हैं ‌।

निबंध के प्रकार

विषय के अनुसार निबंध के तीन प्रकार होते हैं।

1. वर्णनात्मक

सजीव या निर्जीव पदार्थ पर लिखे गए निबंध, वर्णनात्मक निबंध कहलाते हैं। यह निबंध स्थान, परिस्थिति, व्यक्ति आदि पर लिखा जाता है।

2. विवरणात्मक

ऐतिहासिक, पौराणिक या आकस्मिक घटनाओं पर लिखे गए निबंध, विवरणात्मक निबंध कहलाते हैं। इसमें यात्रा, मैच, ऋतु आदि पर निबंध लिख सकते हैं।

3. विचारात्मक निबंध

गुण, दोष या धर्म पर लिखे गए निबंध, विचारात्मक निबंध कहलाते है। इसमें केवल कल्पना और चिंतन की बातें लिख सकते हैं।

निबंध कैसा होना चाहिए

  1. निबंध में विषय का पूरा ज्ञान होना चाहिए।
  2. अलग-अलग प्रकार के अनुच्छेद को एक दूसरे के साथ जुड़े होना चाहिए।
  3. निबंध की भाषा सरल होनी चाहिए।
  4. लिखे गए विषय की अधिक से अधिक जानकारी होनी चाहिए।
  5. निबंध में स्वच्छता और विराम चिन्हों पर खास ध्यान देना चाहिए।
  6. मुहावरों का प्रयोग निबंध में आवश्यक होता है।
  7. निबंध में छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
  8. आरंभ और अंत में कविता की पंक्तियों का भी उल्लेख कर सकते हैं।

निबंध के उदाहरण

महात्मा गांधी

“उस देश के धन्य का क्या कहना,
जिसने गांधी संतान जनी।
मस्तक भारत का खूब उठा,
जब में इसकी पहचान बनी।

भारत शुरू से ही महापुरुषों की उर्वर भूमि रहा है। एक से एक दिग्गजों ने अपने अद्भुत गुणों और सुंदर विचारों से अपने देश को सुशोभित किया। उन्हीं में से एक थे महात्मा गांधी।

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। इनका जन्म गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था। इनके पिता का नाम करमचंद गांधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। गांधी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में तथा माध्यमिक शिक्षा काठियावाड़ में पाई।

बैरिस्टर की शिक्षा पाने के लिए इन्हें लंदन जाना पड़ा। बैरिस्टरी पास करने के बाद वह भारत के मुंबई शहर में वकालत करने लगे। एक व्यापारी के एक केस में इन्हें अफ्रीका जाना पड़ा था, वहां उन्होंने अंग्रेजों की तानाशाही देखी। उसके खिलाफ उन्होंने अहिंसात्मक ढंग से आवाज उठाई और अंत में उन्हें सफलता मिली।

1915 ईस्वी में गांधीजी भारत चले आए। भारत में गांधीजी ने गरीबी और गुलामी देखी। अतः इसके लिए उन्होंने व्यापक आंदोलन छेड़ा। इसके लिए उन्होंने कभी अस्त्र-शस्त्र का प्रयोग नहीं किया। सत्य और अहिंसा ही इनके हथियार थे और अंत में 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों को भारत छोड़कर भागना ही पड़ा।

हमें आजाद कराने में सुख, आनंद और चैन त्यागने में महात्मा गांधी ने कितनी यातनाएं सही थी। उन्होंने अपनी परवाह ना कर के अपने देशवासियों की परवाह की तथा उन्हें मान सम्मान दिलवाया। तभी तो हम उन्हें राष्ट्रपिता कहते हैं।

जरूर पढ़िए : महात्मा गाँधी पर निबंध

शिष्टाचार

शिष्ट + आचार = शिष्टाचार। शिष्टाचार का शाब्दिक अर्थ होता है जिसका आचरण शिष्ट और सभ्य हो। शिष्ट आचरण के लिए व्यक्ति का रहन-सहन, बात-विचार, संगी-साथी, घर-परिवार आदि महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। इन्हीं के आधार पर शिष्टाचार की दीवार खड़ी की जा सकती है।

शिष्टाचार के बहुत गुण हैं जिनमें प्रमुख हैं -व्यक्ति में विनम्रता का समावेश, दूसरों की निजी बातों में दखल न देने की आदत है और हर प्रकार के अनुशासन का पालन। विनम्रता वाणी, व्यवहार और विचार का संगम है। इसके द्वारा जीवन में सफलताओं की मंजिलें प्राप्त होती हैं।

विनम्रता बड़ों के प्रति ही नही बल्कि छोटों और बराबर वालों के प्रति भी होनी चाहिए। विनम्रता सिर्फ वाणी में नहीं बल्कि व्यवहार में भी होनी चाहिए। दो लोगों के बातें करने पर बीच में बोलना, किसी के लिखते समय ताक-झांक करना इत्यादि अशिष्ट आचरण है।

किसी द्वारा भलाई करने पर उसे प्रसन्नता से धन्यवाद देना चाहिए। किसी अतिथि के पधारने पर उनकी रूचि के अनुसार ही भोजन कराना चाहिए। दूसरे के साथ भोजन करते समय न ही अधीरता दिखानी चाहिए और न ही मुंह से आवाज निकालनी चाहिए।

अनुशासन का पालन करना शिष्टाचार का सबसे बड़ा गुण है। अनुशासन का अर्थ है अच्छे नियमों पर खुद-ब-खुद चलना। जैसे धार्मिक स्थानों में जाने से पहले जूते चप्पल बाहर ही उतार देना, सड़क पर बाई और चलना, सभा में शोर न मचाना, लोगों के बीच पैर फैला कर न बैठना, राष्ट्रगान के समय शांत रहना इत्यादि शिष्ट व्यवहार है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि शिष्टाचार का हमारे जीवन में काफी महत्व है। एक ओर जहां यह हमें सम्मान दिलाता है, वहीं दूसरी ओर हमारे जीवन को उज्जवल भी बनाता है।

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