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पिछले पेज पर हमने क्रिया की परिभाषा की जानकारी शेयर की हैं तो उस पोस्ट को भी पढ़े।
चलिए आज हम छप्पय छंद किसे कहते हैं इसके प्रकार और उदाहरण की समस्त जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।
छप्पय छंद की परिभाषा
यह एक संयुक्त मात्रिक छंद होता है। इसका निर्माण मात्रिक छंद के रोला छंद और उल्लाला छंद के योग से होता है। छप्पय छंद में 6 चरण होते हैं।
प्रथम चार चरण रोला छंद के होते हैं और आखिरी के दो चरण उल्लाला छंद के होते हैं। पहले के चार चरणों में 24 मात्राएँ और बाद के दो चरणों में 26-26 या 28-28 मात्राएँ होती हैं।
जिस तरह तुलसी की चौपाइयाँ, बिहारी के दोहे, रसखान के सवैये, पद्माकर के कविता तथा गिरिधर कविराय की कुंडलिया प्रसिद्ध हैं उसी तरह नाभादास के छप्पय प्रसिद्ध हैं।
उदाहरण :-
1. जिसकी रज में लोट-पोट कर बड़े हुए हैं।
घुटनों के बल सरक-सरक कर खड़े हुए हैं।।
परमहंस सम बाल्यकाल में सब सुख पाये।
जिसके कारण धूल-भरे हीरे कहलाये।।
हम खेले कूदे हर्षयुत, जिसकी प्यारी गोद में।
हे मातृभूमि ! तुमको निरख मग्न क्यों न हों मोद में।।
2. नीलाम्बर परिधान हरित पट पर सुन्दर है।
सूर्य-चन्द्र युग मुकुट, मेखला रत्नाकर है।
नदिया प्रेम-प्रवाह, फूल -तो मंडन है।
बंदी जन खग-वृन्द, शेषफन सिंहासन है।
करते अभिषेक पयोद है, बलिहारी इस वेश की।
हे मातृभूमि! तू सत्य ही,सगुण मूर्ति सर्वेश की।।”
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Muje chand achee se samaj me aa gaye h thanks for all of you best of luck👌👌👌👌
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