रोला छन्द की परिभाषा और उदाहरण

इस पेज पर आप रोला छन्द की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो पोस्ट को पूरा जरूर पढ़िए।

पिछले पेज पर हमने रस और काल की जानकारी शेयर की हैं तो उस पोस्ट को भी पढ़े।

चलिए आज हम रोला छन्द की समस्त जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।

रोला छंद किसे कहते हैं

यह एक मात्रिक सम छन्द है। इसके हर एक चरण में 24 मात्राएँ होती हैं। इसके हर एक चरण में 11 और 13 मात्राओं पर यति अधिक प्रचलित है। हर एक चरण के अन्त में दो गुरु वर्ण या दो लघु वर्ण होते हैं। दो-दो चरणों में तुक होना आवश्यक है।

उदाहरण :-

1.  जो जगहित पर प्राण निछावर है कर पाता ।
जिसका तन है किसी लोकहित में लग जाता ।।

2. “नीलाम्बर परिधान, हरित पट पर सुन्दर है।
सूर्य चन्द्र युग-मुकुट मेखला रत्नाकर है।
नदियाँ प्रेम-प्रवाह, फूल तारे मंडन है।
बंदी जन खग-वृन्द, शेष फन सिंहासन है।”

3. यही सयानो काम, राम को सुमिरन कीजै।
पर-स्वारथ के काज, शीश आगे धर दीजै॥

जरूर पढ़िए :

उम्मीद हैं आपको रोला छन्द की समस्त जानकारी पसंद आयी होगीं।

यदि आपको यह पोस्ट पसंद आयी हो तो दोस्तों के साथ शेयर कीजिए।

3 thoughts on “रोला छन्द की परिभाषा और उदाहरण”

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.