मुक्तक छन्द की परिभाषा, प्रकार और मुक्तक छन्द के उदाहरण

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चलिए आज हम मुक्तक छन्द की परिभाषा, प्रकार और मुक्तक छन्द के उदाहरण की समस्त जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।

मुक्तक छन्द की परिभाषा

मुक्त छंद को आधुनिक युग की देन माना जाता है। जिस छंद में वर्णों और मात्राओं का बंधन नहीं होता है, उसे मुक्त छंद कहते हैं। आजकल हिंदी में स्वतंत्र रूप से लिखे जाने वाले छंद मुक्त छंद होते हैं। 

चरणों की अनियमित, असमान, स्व छन्द गति तथा भाव के अनुकूल यति विधान ही मुक्त छंद की विशेषताए है। इसे रबर या केंचुआ छंद भी कहते हैं। इसमें न वर्णों की गिनती और न ही मात्राओं की गिनती होती है।

मुक्तक छन्द के उदाहरण

1. वह आता
दो टूक कलेजे के करता पछताता
पथ पर आता।
पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक ,
चल रहा लकुटिया टेक ,
मुट्ठी भर दाने को भूख मिटाने को
मुँह फटी पुरानी झोली का फैलता
दो टूक कलेजे के कर्ता पछताता पथ पर आता।

2.  चितकबरे चाँद को छेड़ो मत 
शकुंतला-लालित-मृगछौना-सा अलबेला है। 
प्रणय के प्रथम चुंबन-सा 
लुके-छिपे फेंके इशारे-सा कितना भोला है। 
टाँग रहा किरणों के झालर शयनकक्ष में चौबारा 
ओ मत्सरी, विद्वेषी ! द्वेषा नल में जलना अशोभन है। 
दक्षिण हस्त से यदि रहोगे कार्यरत 
तो पहनायेगा चाँद कभी न कभी जय माला।

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