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चलिए आज हम विषम छंद की समस्त जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।
विषम छंद किसे कहते हैं
इसके पहले तथा तीसरे चरण में 12 और दूसरे तथा चौथे चरण में 7 मात्राएँ होती हैं। इसके सम चरणों के अंत में जगण और तगण के आने से मिठास की बढ़ोतरी होती है तथा इस छंद में यति को हर एक चरण के अंत में रखा जाता है।
उदाहरण :-
चम्पक हरवा अंग मिलि अधिक सुहाय।
जानि परै सिय हियरे, जब कुम्हिलाय।।
उम्मीद हैं आपको विषम छंद की समस्त जानकारी पसंद आयी होगीं।
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