विरोधाभाष अलंकार किसे कहते हैं इसके उदाहरण

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चलिए आज हम विरोधाभाष अलंकार किसे कहते हैं इसके उदाहरण की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।

विरोधाभाष अलंकार किसे कहते हैं

जब किसी वस्तु का वर्णन करते समय विरोध के न होते हुए भी विरोध का आभास होता हो वहाँ पर विरोधाभास अलंकार होता है।

उदाहरण :

1. आग हूँ जिससे ढुलकते बिंदु हिमजल के।
शून्य हूँ जिसमें बिछे हैं पांवड़े पलकें।

2. बैन सुन्या जबतें मधुर, तबतें सुनत न बैन। 

उपर दिए गए वाक्य में ‘आग हुं’ और ‘शून्य हूं’ में तथा  ‘बैन सुन्यों’ और ‘सुनत न बैन’ में विरोध दिखाई पड़ता है। सच तो यह है कि दोनों में वास्तविक विरोध नहीं हो रहा है। यह विरोध तो प्रेम की तन्मयता का सूचक है।

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