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चलिए आज हम काव्यलिंग अलंकार की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।
काव्यलिंग अलंकार किसे कहते हैं
किसी युक्ति के द्वारा समर्थित की गयी बात को काव्यलिंग अलंकार कहते हैं। अर्थात जहाँ पर किसी बात के समर्थन में कोई-न-कोई युक्ति या कारण जरुर दिया जाता है बिना ऐसा किये वाक्य की बातें अधूरी रह जायेंगी वहां काव्यालिंग अलंकार होता है।
उदाहरण :
कनक कनक ते सौगुनी, मादकता अधिकाय।
उहि खाए बौरात नर, इहि पाए बौराय।
उपर दिए गए वाक्य का मतलब है की धतूरा खाने से नशा होता है, लेकिन सोना पाने से ही नशा हो जाता है। यह एक अजीब बात है।
यहाँ इस बात का समर्थन किया गया है कि सोना में धतूरे से अधिक मादकता होती है। धतूरा खाने से नशा चढ़ता है, लेकिन सोना पाने से ही मद की वृद्धि होती है।
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