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चलिए आज हम स्वभावोक्ति अलंकार की परिभाषा और उदाहरण की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।
स्वभावोक्ति अलंकार किसे कहते हैं
किसी वस्तु के स्वाभाविक वर्णन को ही स्वभावोक्ति अलंकार कहते हैं। यहाँ सादगी में चमत्कार होता हैं।
उदाहरण :
1. सीस मुकुट कटी काछनी , कर मुरली उर माल।
इहि बानिक मो मन बसौ , सदा बिहारीलाल।।
2. चितवनि भोरे भाय की, गोरे मुख मुसकानि।
लगनि लटकि आली गरे, चित खटकति नित आनि।।
उपर दिए गए वाक्यो में जिन बातों का चित्रण हुआ है, वह सभी स्वाभाविक हैं। कहीं भी अतिशयोक्ति से काम नहीं लिया गया।
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