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चलिए आज हम विशेषोक्ति अलंकार की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।
विशेषोक्ति अलंकार किसे कहते हैं
‘विशेषोक्ति’ का मतलब ‘विशेष उक्ति’ होता है। कारण के रहने पर कार्य करना पड़ता है, लेकिन किसी कारण के रहते हुए भी कार्य का न होना ‘विशेषोक्ति’ अलंकार कहलाता है।
जैसे :
सोवत जागत सपन बस, रस रिस चैन कुचैन।
सुरति श्याम घन की सुरति, बिसराये बिसरै न।।
यहाँ भुलाने के साधनों (कारणों) के होने पर भी न भुला पाने (कार्य न होने) में विशेषोक्ति अलंकार है।
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