इस पेज पर आप सन्देह अलंकार की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो पोस्ट को पूरा जरूर पढ़िए।
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चलिए आज हम सन्देह अलंकार की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।
सन्देह अलंकार किसे कहते हैं
जब उपमेय और उपमान में समानता देखकर यह तय नहीं हो पाता है कि उपमान वास्तव में उपमेय है या नहीं। जब यह दुविधा बनती है, तब वहां संदेह अलंकार होता है।
अथार्त जहाँ पर किसी व्यक्ति या वस्तु को देखकर संशय बना रहे वहाँ पर संदेह अलंकार होता है। यह अलंकार उभयालंकार का भी एक अंग है।
इस अलंकार में तीन बातों का होना आवश्यक होता है।
1. विषय का अनिश्चित ज्ञान।
2. यह अनिश्चित समानता पर निर्भर हो।
3. अनिश्चय का चमत्कारपूर्ण वर्णन हो।
उदाहरण :-
1. यह काया है या शेष उसी की छाया,
क्षण भर उनकी कुछ नहीं समझ में आया।
ऊपर दिए गए वाक्य में बताया गया हैं कि दुबली-पतली उर्मिला को देख कर लक्ष्मण यह तय नहीं कर पाए कि यह उर्मिला की काया है या उसका शरीर। यहाँ सन्देह उत्पन्न हुआ है।
उम्मीद हैं आपको सन्देह अलंकार की जानकारी पसंद आयी होगी।
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