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सकर्मक क्रिया की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण

sakarmak kriya

इस पेज पर हम सकर्मक क्रिया की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो पोस्ट को पूरा जरूर पढ़िए।

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चलिए आज हम सकर्मक क्रिया की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।

सकर्मक क्रिया क्या हैं

सकर्मक का मतलब कर्म के साथ होता है। अर्थात जिस क्रिया का प्रभाव कर्ता पर न पढ़कर कर्म पर पड़ता है तो उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं।

जैसे :-

उपर्युक्त वाक्य में लिखना एक सकर्मक क्रिया है क्योंकि यहां आप पत्र कर्म है और लिखना क्रिया है। क्रिया लिखता है का फल कर्म पत्र पर पड़ा है। प्रश्न करने पर वह क्या लिखता है तब उत्तर मिलेगा वह एक पत्र लिखता है अतः लिखना एक सकर्मक क्रिया होगी।

इसी प्रकार

सकर्मक क्रिया के प्रकार

सकर्मक क्रिया के मुख्य रूप से तीन प्रकार होते हैं।

1. एककर्मक क्रिया

जिस क्रिया के केवल एक कर्म के संपूर्ण होने अर्थात पूरा होने का पता चलता है उसे पूर्ण एककर्मक क्रिया अथवा एककर्मक क्रिया कहते हैं।

जैसे :-

2. द्विकर्मक क्रिया

द्विकर्मक का मतलब दो कर्म वाला होता है। अर्थात जिस क्रिया के साथ दो कर्मों के पूरे होने का पता चलता है उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं। इसमें पहला कर्म प्राणीवाचक होता है और दूसरा कर्म निर्जीव होता है।

जैसे :-

3. अपूर्ण क्रिया

जब क्रिया के होते हुए अकर्मक और सकर्मक क्रिया स्पष्ट अर्थ न दें वहाँ पर अपूर्ण क्रिया होती है। इनके अर्थों को पूरा करने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है उसे पूरक कहते है।

जैसे :-

महात्मा गाँधी राष्ट्रपिता थे। इसमें राष्ट्रपिता लिखने से स्पष्टता आ गई है।

अपूर्ण क्रिया के प्रकार

अपूर्ण क्रिया के दो प्रकार होते हैं।

1. अपूर्ण अकर्मक क्रिया :- कभी कभी कुछ अकर्मक क्रिया को पूरा करने के लिए उनके साथ संज्ञा और विशेषण को पूरक की जगह पर लगाना पड़ता हैं उसे अपूर्ण अकर्मक क्रिया कहते हैं।

जैसे :- वह बीमार रहा।

2. अपूर्ण सकर्मक क्रिया :- कभी कभी कुछ सकर्मक क्रियाओं में भी संज्ञा और विशेषण को पूरक की जगह पर लगाना पड़ता हैं उसे अपूर्ण सकर्मक क्रिया कहते हैं।

जैसे :- आपने उसे महान बनाया है।

सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया में अंतर

सकर्मक क्रियाअकर्मक क्रिया
सकर्मक क्रिया में कर्ता, क्रिया और कर्म तीनों उपस्थित होते हैं। अकर्मक क्रिया में कर्ता और क्रिया तो होते हैं, लेकिन कर्म नहीं होता।
सकर्मक क्रिया में कर्ता द्वारा किए गए कार्य का प्रभाव दूसरी चीजों पर पड़ता है। अकर्मक क्रिया में कर्ता द्वारा किए गए कार्य से किसी और चीज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
सीता घर जाती है, बच्चे गणित पढ़ते हैं इत्यादि सकर्मक क्रिया के उदाहरण हैबच्चे रोते हैं, सीता हंसती है इत्यादि अकर्मक क्रिया के उदाहरण है।

सकर्मक क्रिया के प्रश्न उत्तर

1. नीचे दिए गए वाक्यों में बताएं कि क्रिया कौन है और वह किस प्रकार की क्रिया है?

(क). पक्षी उड़ते हैं।

उत्तर :- इसमें उड़ना क्रिया है। जो अकर्मक क्रिया है।

(ख). मैंने एक किताब लिखा।

उत्तर :- यहां लिखना एक क्रिया है। जो सकर्मक क्रिया है।

(ग). वह पानी पीती है।

उत्तर :- यहां पीना एक क्रिया है। जो सकर्मक क्रिया है।

(घ). सूर्य उगता है।

उत्तर :- यहां उगना एक क्रिया है। जो अकर्मक क्रिया है।

(च). रीता रोती है।

उत्तर :- यहां रोना एक क्रिया है। जो अकर्मक क्रिया है।

(छ). वह एक खिलौना खरीदता है।

उत्तर :- यहां खरीदना एक क्रिया है। जो सकर्मक क्रिया है।

(ज). हम आम खाते हैं।

उत्तर :- यहां खाना एक क्रिया है। जो सकर्मक क्रिया है।

(झ). पृथ्वी घूमती है।

उत्तर :- यहां घूमना एक क्रिया है। जो अकर्मक क्रिया है।

(ट). मुकुल किताब पढ़ता है।

उत्तर :- यहां पढ़ना एक क्रिया है। जो सकर्मक क्रिया है।

(ठ). कपिल क्रिकेट खेलता है।

उत्तर :- यहां खेलना एक क्रिया है जो सकर्मक क्रिया है।

Q.1 सकर्मक क्रिया का अर्थ क्या है?

Ans. क्रियाएँ मुख्यत: दो प्रकार की होती हैं−सकर्मक और अकर्मक। सकर्मक क्रिया − वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा रहती है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे − शीला ने सेब खाया।

Q.2 सकर्मक क्रिया को कैसे पहचाने?

Ans. सकर्मक क्रिया कैसे पहचानें सकर्मक क्रिया की यही पहचान है कि उसके साथ ‘क्या’, ‘किसको’ लगाकर देखिये।

Q.3 सकर्मकता का अर्थ क्या है?

Ans. तीन तत्वों के बीच एक संबंध है जैसे कि यदि यह पहले और दूसरे के बीच है और यह दूसरे और तीसरे के बीच भी है तो यह आवश्यक रूप से पहले और तीसरे के बीच होना चाहिए।

Q.4 सकर्मक और अकर्मक का अर्थ क्या है?

Ans. एक क्रिया सकर्मक होती है जब क्रिया की क्रिया विषय से प्रत्यक्ष वस्तु तक जाती है। अकर्मक क्रियाओं को अर्थ निकालने के लिए किसी वस्तु की आवश्यकता नहीं होती – उनका अपना अर्थ होता है।

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