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चलिए आज हम बहुव्रीहि समास की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।
बहुव्रीहि समास की परिभाषा
बहुव्रीहि समास ऐसा समास होता है जिसके समस्त्पदों में से कोई भी पद प्रधान नहीं होता एवं दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की और संकेत करते हैं वह समास बहुव्रीहि समास कहलाता है।
जिस समास में कोई पद प्रधान न होकर (दिए गए पदों में) किसी अन्य पद की प्रधानता होती है। यह अपने पदों से भिन्न किसी विशेष संज्ञा का विशेषण है, उसे बहुव्रीहि समास कहते है।
बहुव्रीहि समास के उदाहरण
कलह है प्रिय जिसको वह | कलहप्रिय (कर्म में उक्त) |
जीती गई हैं इन्द्रियाँ जिससे वह | जितेन्द्रिय (करण में उक्त) |
दिया गया है धन जिसके लिए वह | दत्तधन (मम्प्रदान में उक्त) |
पीत है अम्बर जिसका वह | पीताम्बर (संबंध में उन) |
चार हैं लड़ियाँ जिसमें वह | चौलड़ी (अधिकरण में उक्त) |
गज से आनन वाला | गजानन (गणेश) |
चार हैं भुजाएं जिसकी | चतुर्भुज (विष्णु) |
तीन आँखों वाला | त्रिलोचन (शिव) |
दस हैं आनन जिसके | दशानन (रावण) |
मुरली धारण करने वाला | मुरलीधर (श्री कृष्ण) |
निशा अर्थात रात में विचरण करने वाला | निशाचर (राक्षस) |
चार हैं मुख जिसके | चतुर्मुख (ब्रह्म) |
लंबा है उदर जिसका | लम्बोदर |
अन्य में है मन जिसका वह | अन्यमनस्क |
साथ है पत्नी जिसके वह | सपत्नीक |
वह जो नाक (स्वर्ग) का पति है | नाकपति (इन्द्र) |
विष को धारण करने वाला | विषधर (साँप) |
चक्र धारण करने वाला | चक्रधर (श्री कृष्ण) |
पशुओं का पति | पशुपति (शिव) |
महान है जो ईश्वर | महेश्वर (शिव) |
वह जो वाक् (भाषा) की देवी है | वाग्देवी (सरस्वती) |
दिशाएँ ही हैं वस्त्र जिसके | दिगम्बर (शिव) |
वह जो सूर्य का पुत्र है | सूर्यपुत्र (कर्ण) |
वह जिनके सिंह का वाहन है | सिंहवाहिनी (दुर्गा) |
वह जो शैल (हिमालय) की नंदिनी (पुत्री) हैं- | शैलनंदिनी (पार्वती) |
वह जो रशरथ के नंदन है | दशरथनंदन (राम) |
नीला है कण्ठ जिनका | नीलकण्ठ (शिव) |
वह जो वारि से जन्मता है | वारिज (कमल) |
हल को धारण करने वाला | हलधर (बलराम) |
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उम्मीद हैं आपको बहुव्रीहि समास की परिभाषा और उदाहरण समझ में आ गए होंगे।
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Itna vadiya hai apne vadiya trike naal likhiya or Samajne like likha hai or isme ratne Ki bhi jrurat Nhi pedi wow that’s I like it samas
THANK YOU SO MUCH AAPKO JANKAARI PASAND AAI