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चलिए आज हम अतिश्योक्ति अलंकार की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।
अतिश्योक्ति अलंकार किसे कहते हैं
अतिशयोक्ति का मतलब उक्ति में अतिशयता का समावेश होता है। यहाँ उपमेय और उपमान का समान कथन न होकर सिर्फ उपमान का वर्णन होता है।
जहाँ किसी का वर्णन इतना बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए कि लोक समाज की सीमा या मर्यादा का उल्लंघन हो जाय, वहाँ ‘अतिशयोक्ति अलंकार’ होता है।
उदाहरण :-
1. हनुमान की पूंछ में लगन न पायी आगि।
सगरी लंका जल गई , गये निसाचर भागि।
उपर दिए वाक्य में बताया गया है कि हनुमान के पुंछ में तो आग नही लग पाया लेकिन पूरी लंका जल गई और सभी निशाचर अर्थात सभी दैत्य या असुर भाग गए।
2. बाँधा था विधु को किसने, इन काली जंजीरों से,
मणिवाले फणियों का मुख, क्यों भरा हुआ हीरों से।
यहाँ मोतियों से भरी हुई प्रिया की माँग का कवि ने वर्णन किया है। विधु या चन्द्र से मुख का, काली जंजीरों से केश का और मणिवाले फणियों से मोती भरी माँग का बोध होता है।
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