भ्रांतिमान अलंकार की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण

इस पेज पर आप भ्रांतिमान अलंकार की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो पोस्ट को पूरा जरूर पढ़िए।

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चलिए आज हम भ्रांतिमान अलंकार की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।

भ्रांतिमान अलंकार किसे कहते हैं

जब उपमेय में उपमान के होने का भ्रम हो जाता हैं तब वहाँ पर भ्रांतिमान अलंकार होता है।

मतलब जहाँ एक वस्तु को देखने पर दूसरी वस्तु का भ्रम उत्पन्न हो जाता हैं वहाँ पर भ्रांतिमान अलंकार होता है। यह अलंकार उभयालंकार का भी अंग माना जाता है।

वस्तुतः दोनो वस्तुओं में इतनी समानता होती है कि स्वाभाविक रूप से भ्रम हो जाता है और एक वस्तु को ही दूसरी वस्तु समझ ली जाती है। 

उदाहरण :-

पायें महावर देन को नाईन बैठी आय ।
फिरि-फिरि जानि महावरी, एडी भीड़त जाये।।

उपर दिए गए वाक्य में नाइन नायिका की एड़ी को बहुत अधिक लाल होने के कारण महावर की गोली समझकर बार-बार उसी को (एड़ी को) मलती जाती है। अतः यहाँ ‘भ्रान्तिमान’ अलंकार होता है।

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