इस पेज पर आप अनन्वय अलंकार की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो पोस्ट को पूरा जरूर पढ़िए।
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चलिए आज हम अनन्वय अलंकार की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।
अनन्वय अलंकार किसे कहते हैं
एक ही वस्तु को उपमेय और उपमान दोनों बना देना अनन्वय अलंकार कहलाता है।
जब कवि को उपमेय की समानता के लिए कोई दूसरा उपमान नहीं मिलता तब वह उपमेय की समानता के लिए उपमेय को ही उपमान बना डालता है, तब अनन्वय अलंकार होता है।
उदाहरण :-
1. यद्यपि अति आरत-मारत है, भारत के सम भारत है।
2. निरुपम न उपमा आन राम समानु राम, निगम कहे।
उपर दिए गए वाक्य में उपमेय-उपमान एक ही रहने के कारण अनन्वय अलंकार है।
उम्मीद हैं आपको अनन्वय अलंकार की जानकारी पसंद आयी होगी।
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