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चलिए आज हम वीभत्स रस की परिभाषा, अवयव और उदाहरण की जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।
वीभत्स रस की परिभाषा
जिस काव्य रचना में घृणात्तम वस्तु या घटनाओं का उल्लेख हो वहां पर वीभत्स रस होता हैं।
घृणित वस्तुओं, घृणित चीजों या घृणित व्यक्ति को देखकर अथवा उनके संबंध में विचार करके अथवा उनके सम्बन्ध में सुनकर मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कि पुष्टि करती है अर्थात वीभत्स रस के लिए घृणा और जुगुप्सा का होना आवश्यक होता है।
उदाहरण :-
सिर पर बैठो काग, आँखि दोउ खात निकारत।
खींचत जी भहिं स्यार, अतिहि आनन्द उर धारत।।
गिद्ध जाँघ कह खोदि-खोदि के मांस उचारत।
स्वान आँगुरिन काटि-काटि के खान बिचारत।।
बहु चील्ह नोंचि ले जात तुच, मोद मठ्यो सबको हियो।
जनु ब्रह्म भोज जिजमान कोउ, आज भिखारिन कहुँ दियो।।
व्याख्या – इस पंक्ति में मृत जीव का वर्णन है, जिसके सिर पर कौवा बैठे हैं जो आंख निकाल कर खा रहे हैं। चारों ओर से सियार घेर कर उस लाश को नोच रहे हैं और आनंद की अनुभूति कर रहे हैं।
गिद्ध उस मृत के मासों को नोच रहा है तथा कुत्ते उसे काट काट कर खा रहे हैं। चील तथा अन्य जीव भी इस मृत जीव का आनंद लेकर भक्षण कर रहे हैं।
वीभत्स रस के 10 उदाहरण
1. धर में लासे, बाहर लासे
जन – पथ पर पर, सड़ती लाशें।।
आँखे न्रिशंस यह, दृश्य देख
मुद जाती घुटती है साँसे।।
2. रक्त-मांस के सड़े पंक से उमड़ रही है,
महाघोर दुर्गन्ध, रुद्ध हो उठती श्वासा।।
तैर रहे गल अस्थि- खण्डशत, रुण्ड-मुण्डहत,
कुत्सित. कृमि-संकुल कर्दम में महानाश के।।
3. जहँ – तहँ मज्जा माँस रुचिर लखि परत बगारे।।
जित – जित छिटके हाड़, सेत कहुं -कहुं रतनारे।।
4. गीध जांधि को खोदि-खोदि कै मांस उपारत।।
स्वान आंगुरिन काटि-काटि के खात विदारत।।
5. आँखें निकाल उड़ जाते, क्षण भर उड़ कर आ जाते।
शव जीभ खींचकर कौवे, चुभला-चभला कर खाते।।
भोजन में श्वान लगे मुरदे थे भू पर लेटे,
खा माँस चाट लेते थे, चटनी सम बहते बेटे।।
6. बहु चील्ह नोंचि ले जात तुच, मोद मठ्यो सबको हियो।
जनु ब्रह्म भोज जिजमान कोउ, आज भिखारिन कहुँ दियो।।
7. सिर पर बैठो काग, आँख दोऊ खात निकारत ।
खेचत जीनहि स्यार अतिहि आनंद उर धारत ।।
8. ‘वस्तु घिनौनी देखी सुनि घिन उपजे जिय माँहि।
छिन बाढ़े बीभत्स रस, चित की रुचि मिट जाँहि।
निन्द्य कर्म करि निन्द्य गति, सुनै कि देखै कोइ।
तन संकोच मन सम्भ्रमरु द्विविध जुगुत्सा होइ।।
9. आंतन की तांत बाजी, खाल की मृदंग बाजी।
खोपरी की ताल, पशु पाल के अखारे में।।
10. लेकिन हाय मैंने यह क्या देखा,
तलवों में वाण विधते ही,
पीप भरा दुर्गंधित नीला रक्त,
वैसा ही बहा,
जैसा इन जख्मों से अक्सर बहा करता है।।
11. इस ओर देखो, रक्त की यह कीच कैसी मच रही,
है पट रही खंडित हुए, बहु रुंड-मुंडों से मही।।
कर-पद असंख्य कटे पड़े, शस्त्रादि फैले हैं तथा
रणस्थली ही मृत्यु का एकत्र प्रकटी हो यथा।।
12. गिद्ध चील सब मंडप छावहिं
काम कलोल करहि औ गावहिं।।
वीभत्स रस के अवयव
स्थायी भाव :- घृणा / जुगुप्सा
अनुभाव :-
- थूकना
- झुकना
- मुंह फेरना
- आंखें मूंद लेना
संचारी भाव :-
- मोह
- अपस्मार
- आवेद
- व्याधि
- मरण
- मूर्छा
आलंबन विभाव :-
- विलासिता
- व्यभिचारी
- छुआछूत
- धार्मिक पाखंडता
- अन्याय
- नैतिक पतन
- पाप कर्म
- घृणास्पद व्यक्ति या वस्तुएं
- दुर्गंधमय मांस
- रक्त
- चर्बी
उद्दीपन विभाव :-
- कीड़े पड़ना
- घृणित चेष्टाएं
वीभत्स रस से संबंधित प्रश्न उत्तर
1. वीभत्स रस का स्थाई भाव क्या है?
A. रति
B. हास
C. शोक
D. जुगुप्सा
उत्तर :- जुगुप्सा
2. धार्मिक पाखंडता निम्न में से क्या है?
A. आलंबन विभाव
B. अनुभाव
C. संचारी भाव
D. उद्दीपन विभाव
उत्तर :- आलंबन विभाव
3. मरण निम्न में से किस तरह का भाव है?
A. स्थाई भाव
B. अनुभाव
C. संचारी भाव
D. उद्दीपन विभाव
उत्तर :- संचारी भाव
4. जुगुप्सा किस रस का स्थाई भाव है?
A. शांत
B. वीभत्स
C. वात्सल्य
D. रौद्र
उत्तर :- वीभत्स
5. जहँ-तहँ मज्जा मॉस, रूचिर लखि परत बयारे।
जित-जित छिटके हाड़, सेत कहुँ-कहुँ रतनारे।।
निम्न पंक्तियों में कौन सा रस है?
A. वीभत्स
B. अद्भुद
C. हास्य
D. वीर रस
उत्तर :- वीभत्स
6. कीड़े पड़ना निम्न में से क्या है
A. विभाव
B. अनुभाव
C. उद्दीपन विभाव
D. आलंबन
उत्तर :- उद्दीपन विभाव
7. जुगुप्सा किस रस का स्थायी भाव है?
A. रौद्र रस
B. वीभत्स रस
C. अद्भुत रस
D. करुण रस
उत्तर :- वीभत्स रस
8. शव जीभ खींचकर कौवे, चुभला-चभला कर खाते।
निम्न पंक्तियों में कौन सा भाव है?
A. हास
B. शोक
C. घृणा
D. वीभत्स
उत्तर :- वीभत्स
9. थूकना निम्न में से क्या है?
A. उद्दीपन
B. आलंबन
C. विभाव
D. अनुभाव
उत्तर :- अनुभाव
10. दुर्गंधमय मांस निम्न में से क्या है?
A. आलंबन विभाव
B. अनुभाव
C. संचारी भाव
D. उद्दीपन विभाव
उत्तर :- आलंबन विभाव
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