वीर रस की परिभाषा, अवयव, प्रकार और उदाहरण

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चलिए वीर रस की परिभाषा, अवयव, प्रकार और उदाहरण को पढ़ते और समझते हैं।

वीर रस की परिभाषा

जब काव्य में उमंग, उत्साह और पराक्रम से संबंधित भाव का उल्लेख होता हैं तब वहां वीर रस की उत्पत्ति होती हैं।

जिस प्रसंग अथवा काव्य में वीरता युक्त भाव प्रकट हो, जिसके माध्यम से उत्साह का प्रदर्शन किया गया हो वहां वीर रस होता हैं।

उदाहरण :

मैं सत्य कहता हूँ, सके सुकुमार न मानो मुझे।
यमराज से भी युद्ध को, प्रस्तुत सदा मानो मुझे।।

वीर रस के 10 उदाहरण

उदाहरण 1. झाँसी वाली रानी थी

बुन्देलों हर बोलो के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

उदाहरण 2. घननाद का रव

सौमित्री से घननाद का रव अल्प भी न सहा गया।
निज शत्रु को देखे विना, उनसे तनिक न रहा गया।
रघुवीर से आदेश ले युद्धार्थ वे सजने लगे।
रणवाद्य भी निर्घाष करके धूम से बजने लगे।

उदाहरण 3. सिवाजी जंग जीतन चलत है

साजि चतुरंग सैन अंग उमंग धारि
सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत है।
भूषन भनत नाद बिहद नगारन के
नदी नाद मद गैबरन के रलत हैं॥

उदाहरण 4. वीर तुम बढ़े चलो

वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो।
हाथ में ध्वज रहे बाल दल सजा रहे,
ध्वज कभी झुके नहीं दल कभी रुके नहीं
वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो।
सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो
तुम निडर डरो नहीं तुम निडर डटो वहीं
वीर तुम बढ़े चलो धीर तुम बढ़े चलो।

उदाहरण 5. सुकुमार मत जानों मुझे

सत्य कहता हूँ सखे, सुकुमार मत जानों मुझे,
यमराज से भी युद्ध में, प्रस्तुत सदा मानो मुझे।
है और कि तो बात क्या, गर्व मैं करता नही,
मामा तथा निज तात से भी युद्ध में डरता नहीं॥

उदाहरण 6. पैदल के संग पैदल भिरिगे

बातन बातन बतबढ़ होइगै, औ बातन माँ बाढ़ी रार,
दुनहू दल मा हल्ला होइगा दुनहू खैंच लई तलवार।
पैदल के संग पैदल भिरिगे औ असवारन ते असवार,
खट-खट खट-खट टेगा बोलै, बोलै छपक-छपक तरवार॥

उदाहरण 7. रजकण कर देने को चंचल

जय के दृढ विश्वासयुक्त थे दीप्तिमान जिनके मुखमंडल
पर्वत को भी खंड-खंड कर रजकण कर देने को चंचल
फड़क रहे थे अतिप्रचंड भुजदंड शत्रुमर्दन को विह्वल
ग्राम ग्राम से निकल-निकल कर ऐसे युवक चले दल के दल

उदाहरण 8. कंटक-जाल लगे पुनि जोये

ऐसे बेहाल बेवाइन सों पग, कंटक-जाल लगे पुनि जोये।
हाय! महादुख पायो सखा तुम, आये इतै न किते दिन खोये॥
देखि सुदामा की दीन दसा, करुना करिके करुनानिधि रोये।
पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सौं पग धोये॥

उदाहरण 9. लच्छन तच्छन रक्त किये

क्रुद्ध दशानन बीस भुजानि सो लै कपि रिद्द अनी सर बट्ठत
लच्छन तच्छन रक्त किये, दृग लच्छ विपच्छन के सिर कट्टत

उदाहरण 10. बलिदान की ज्वाला

फहरी ध्वजा, फड़की भुजा, बलिदान की ज्वाला उठी।
निज जन्मभू के मान में, चढ़ मुण्ड की माला उठी।

वीर रस के अवयव

स्थायी भाव :- उत्साह

अनुभाव :-

  • अंग स्फुरण
  • रोंगटे खड़े हो जाना

संचारी विभाव :-

  • गर्व
  • उत्सुकता
  • मोह
  • हर्ष आदि।

आलंबन विभाव :-

  • शत्रु
  • धार्मिक ग्रंथ पर्व
  • तीर्थ स्थान
  • दयनीय व्यक्ति
  • स्वाभिमान की रक्षा के लिए प्रस्तुत व्यक्ति
  • अन्याय
  • अत्याचार का सामना करने वाला व्यक्ति
  • साह
  • उत्साह।

उद्दीपन विभाव :-

  • शत्रु का पराक्रम
  • अन्नदाता ओं का दान
  • धार्मिक कार्य
  • दुखियों की सुरक्षा आदि।

वीर रस के प्रकार

  • युद्धवीर
  • दानवीर
  • दया वीर
  • धर्मवीर

1. युद्धवीर

जब लड़ने का उत्साह हो।

उदाहरण :-

बुंदेले हर बोलो के मुख हमने सुनी कहानी थी ।
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी ।।

2. दानवीर

जब याचक और दीनों दान करने का उत्साह हो।

उदाहरण :-

भामिनि देहुँ सब लोक तज्यौ हठ मोरे यहै मन भाई।
लोक चतुर्दश की सुख सम्पति लागत विप्र बिना दुःखदाई ।।
जाइ बसौं उनके गृह में करिहौं द्विज दम्पति की सेवकाई।
तौ मनमाहि रुचै न रुचै सो रुचै हमैं तो वह ठौर सदाई ।।

3. दया वीर

जब दीनों पर दया करने का उत्साह हो।

उदाहरण :-

लेकिन अब मेरी धरती पर जुल्म न होंगे,
और किसी अबला पर अत्याचार न होगा ।।
अब नीलाम न होगी निर्धनता हाटों में,
कोई आँख दीनता से बीमार न होगी ।।

4. धर्मवीर

सदा धर्म करने का उत्साह हो।

उदाहरण :-

फिरे द्रौपदी बिना वसह, परवाह नहीं है।
धन-वैभव-सुत राजपाट की चाह नहीं है ।।
पहले पाण्डव और युधिष्ठिर मिट जायेंगे।
तदन्तर ही दीप धर्म के बुझ पायेंगे ।।

वीर रस से संबंधित प्रश्न

1. वीर रस का स्थायी भाव है?
A. रति
B. उत्साह 
C. क्रोध
D. अद्भुत

उत्तर :- उत्साह

2. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ किस रस के कवि मुख्यतः माने जाते है?
A. रौद्र रस
B. करुण रस
C. श्रृंगार रस
D. वीर रस

उत्तर :- वीर रस

3. उत्साह की रस का स्थाई भाव है?
A. भयानक रस
B. अद्भुद रस
C. वीर रस
D. शृंगार रस

उत्तर :- वीर रस

4. मैं सत्य कहता हूँ सखे, सुकुमार मत जानो मुझे।
यमराज से भी युद्ध में प्रस्तुत सदा मानो मुझे।।

निम्न पंक्तियों में कौन सा रस है?
A. वीर रस
B. संयोग रस
C. शांत रस
D. करुण रस

उत्तर :- वीर रस

5. फिरे द्रौपदी बिना वसह, परवाह नहीं है।
धन-वैभव-सुत राजपाट की चाह नहीं है।

निम्न पंक्तियों वीर रस कौन सा प्रकार हैं?
A. युद्धवीर
B. दानवीर
C. दयावीर
D. धर्मवीर

उत्तर :- धर्मवीर

6. अब नीलाम न होगी निर्धनता हाटों में,
कोई आँख दीनता से बीमार न होगी॥

निम्न पंक्तियों वीर रस कौन सा प्रकार है?
A. धर्मवीर
B. दयावीर
C. दानवीर
D. युद्धवीर

उत्तर :- दयावीर

7. वीर रस का इन मे से कौन भेद नहीं है?
A. युध्दवीर
B. धर्मवीर
C. दयावीर
D. क्रोधवीर

उत्तर :- क्रोधवीर

8. वीर रस में सबसे अधिक कौन सा रस होता है?
A. उत्साह
B. क्रोध
C. विस्मय
D. हास

उत्तर :- उत्साह

9. मोह वीर रस का कौन सा अवयव है?
A. अनुभाव
B. विभाव
C. संचारी भाव
D. उद्दीपन विभाव

उत्तर :- संचारी भाव

10. शत्रु का पराक्रम में कौन सा अवयव है?
A. उद्दीपन विभाव
B. अनुभाव
C. संचारी भाव
D. आलंबन

उत्तर :- उद्दीपन विभाव

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