श्रव्य काव्य की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण

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चलिए आज हम श्रव्य काव्य की समस्त जानाकारी को पढ़ते और समझते हैं।

श्रव्य काव्य किसे कहते हैं

जिस काव्य का आनंद सुनकर लिया जाता हैं वह श्रव्यकाव्य कहलाता हैं। इसका आनंद रंगमंच पर देखकर नही लिया जा सकता इसीलिए इसे श्रव्य काव्य या सुनने योग्य काव्य भी कहा जाता हैं। 

श्रव्य काव्य के प्रकार

श्रव्य काव्य के भी दो प्रकार होते हैं।

  1. प्रबन्ध काव्य
  2. मुक्तक काव्य

1. प्रबंध काव्य    

प्रबंध काव्य वह है जिसमें कोई कथा सूत्र होता है। प्रबंध काव्य में जीवन का विस्तार पूर्वक चित्रण किया जाता है। इसमें समाज के हर अंग का चित्रण किया जाता है।

प्रकृति चित्रण भी इसकी महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं। सभी रसों का निरूपण इसमें किया जाता है। जैसे रामचरितमानस।

प्रबंध काव्य के मुख्य दो प्रकार माने जाते हैं।

  1. महाकाव्य तथा 
  2. खंडकाव्य। 

2. मुक्तक काव्य

मुक्तक काव्य प्रबंध काव्य से बिल्कुल उल्टा होता है। इसमें जीवन का विस्तार पूर्वक वर्णन नहीं बल्कि झलकियां प्रस्तुत की जाती है। इसमें विस्तार कथा सूत्र नहीं होता।

इसका प्रत्येक छंद अपने आप में पूरा होता है। आगे पीछे कोई संबंध ना होने से यह मुक्त या स्वतंत्र माने जाते हैं। मुक्त होने के कारण इन्हें मुक्तक कहते हैं। मुक्तक गीत के रूप में भी पाए जाते हैं।

मुक्तक काव्य के दो प्रकार माने जाते हैं।

  1. गीतिकाव्य तथा
  2. गज़ल

मुक्तक और प्रबंध काव्य में अंतर

मुक्तक और प्रबंध काव्य में निम्नलिखित अंतर होते हैं।

मुक्तक और प्रबंध काव्य मुक्तक और प्रबंध काव्य
प्रबंध काव्य में जीवन का बड़े पैमाने पर विस्तार पूर्वक चित्रण किया जाता है। मुक्तक काव्य में जीवन का विस्तार पूर्वक चित्र नहीं होता है।
प्रबंध काव्य में एक कथा सूत्र होने से पूर्वापर संबंध होता है। मुक्तक काव्य स्वतंत्र और मुक्त होने से इसमें पूर्वापर संबंध नहीं होता है।
प्रबंध काव्य का स्वरूप बड़ा होता है। मुक्तक काव्य का स्वरूप छोटा होता है।

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