स्वतंत्रता दिवस पर निबंध

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चलिए आज हम स्वतंत्रता दिवस पर निबंध की सम्पूर्ण जानकारी पढ़ना शुरू करते हैं।

स्वतंत्रता दिवस पर निबंध

  • प्रस्तावना
  • महत्वपूर्ण ऐतिहासिक पल
  • निष्कर्ष

प्रस्तावना

भारत के राष्ट्रीय त्योहारों में से एक है हमारा स्वतंत्रता दिवस, एक ऐसा दिन जब भारत आज़ाद हुआ था।

कहने को अंग्रेज़ भारत छोड़ कर चले गए थे लेकिन यह आजादी और भी कई मायनों में जरुरी थी।

हम अब न तो शारीरिक रूप से गुलाम थे और न ही मानसिक तौर पर। हमें खुल के बोलने, पढ़ने, लिखने, घूमने हर क्षेत्र में आजादी मिल गयी थी।

महत्वपूर्ण ऐतिहासिक पल

महत्वपूर्ण ऐतिहासिक पल निम्नानुसार है।

1. अंग्रेजों का भारत आगमन :- बात उन दिनों की है जब भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। 17वीं शताब्दी में अंग्रेज़ व्यापार करने भारत आए उस समय यहां मुगलों का शासन था।

धीरे-धीरे अंग्रेजों ने व्यापार के बहाने अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाया और कई राजाओं को धोखे से युद्ध में हरा के उनके क्षेत्रों को अपने अधीन कर लिया।

18वीं सदी तक ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम से अपना वर्चस्व स्थापित कर, अपने आस-पास के क्षेत्रों को वशीभूत कर लिया।

2. भारत एक गुलाम के तौर पर :- हमें एहसास हो चुका था कि हम गुलाम बन चुके हैं। हम अब सीधे ब्रितानी ताज़ के अधीन थे।

शुरू-शुरू में अंग्रेजों ने हमें शिक्षित करने या हमारे विकास का हवाला देकर हम पर अपनी चीज़े थोपना शुरू कि फिर धीरे-धीरे वह, उनके व्यवहार में शमिल हो गया और वे हम पर शासन करने लगे।

अंग्रेजो ने हमें शारीरिक, मानसिक हर तौर से प्रताड़ित किया। इस दौरान कई युद्ध भी हुए, जिसमें सबसे प्रमुख था द्वितीय विश्व युद्ध, जिसके लिए थोक के भाव में भारतियों की सेना में जबरन भर्ती की गयी।

भारतीयों का अपने ही देश में कोई अस्तित्व नहीं रह गया था, अंग्रेजों ने जलियांवाला बाग जैसे नरसंहार को भी अंजाम दिया और भारतीय केवल उनके दास मात्र बन के रह गए थे।

3. राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की स्थापना :- इस संघर्षपूर्ण वातावरण के बीच 28 दिसम्बर 1885 को 64 व्यक्तियों द्वारा राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की स्थापना की गयी। जिसमें दादा भाई नौरोजी और ए ओ ह्यूम की महत्वपूर्ण भूमिका रही और धीरे-धीरे क्रान्तिकारी गतिविधियों को अंजाम दिया जाने लगा, लोग बढ़ चढ़कर पार्टी में भाग लेने लगे।

इसी क्रम में भारतीय मुस्लिम लीग की भी स्थापना हुई। ऐसे ही कई दल सामने आये और उनके अतुल्य योगदान का ही नतीज़ा है कि हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

जिसके लिए कई वीरों ने गोली खाई और कईयों को तो फांसी हुई, कई मांओं की कोखें रोईं, तो कुछ भरी जवानी अभागन हुई।

4. सांप्रदायिक दंगे और भारत का बंटवारा :- इस प्रकार देश को अंग्रेज़ छोड़ के तो चले गये और हम आज़ाद भी हो गये परंतु एक और जंग अभी देखना बाकी था, जो की थे सांप्रदायिक हमले।

स्वतंत्रता प्राप्त करते ही सांप्रदायिक हिंसे भड़क उठे, नेहरू और जिन्ना दोनों को प्रधानमंत्री बनना था, नतीज़न देश का बटवारा हुआ।

भारत और पाकिस्तान नाम से एक हिंदू और एक मुस्लिम राष्ट्र की स्थापना हुई।

गांधी जी की मौजूदगी से इन हमलों कमी तो आई, फिर भी मरने वालों कि तादात लाखों की थी।

एक तरफ आजादी का माहौल था तो वहीं दूसरी ओर नरसंहार का मंज़र। देश का बटवारा हुआ और क्रमशः 14 अगस्त को पाकिस्तान का और 15 अगस्त को भारत का स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया।

5. स्वतंत्र भारत व आजादी का पर्व :- आजादी एवं बटवारे के बाद हम हर वर्ष, स्वतंत्रता दिवस को अपने अमर वीर ज़वानों एवं दंगे में मारे गए निर्दोष लोगों को याद कर के मनाते हैं। अमर ज़वानों की कोई निश्चित गणना नहीं है, क्योंकि इसमें बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सब शामिल थें।

पूरा देश एक जुट था तब जाकर ये सपना साकार हुआ। हां कुछ प्रमुख देश भक्त ऐसे थे जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता जैसे की भगत सिंह, सुखदेव, राज गुरू जिन्हें फांसी हुई, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, सुभाष चंद्र बोस इत्यादि। महिलाएं भी इस काम में पीछे न थीं, जैसे कि एनी बेसेंट, सरोजिनी नायडू व कई अन्य।

निष्कर्ष

यह पर्व हमें अमर वीरों के बलिदान के साथ-साथ इतिहास को न भूलने का स्मरण कराता है, ताकी दोबारा किसी को व्यापार के बहाने शासन का मौका न दिया जाए और आज के युवा पीढ़ी का परिचय उनके गौरवपूर्ण इतिहास से कराया जाए।

भले ही स्वतंत्रता दिवस मनाने के सबके तरीके अलग हों, मकसद एक ही होता है। सब मिल-जुल कर एक दिन देश के लिए जीते हैं, स्वादिष्ट पकवान खाते हैं और मित्रों को मुबारक बाद देते हैं।

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