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चलिए आज हम दृश्य काव्य की समस्त जानाकारी को पढ़ते और समझते हैं।
दृश्य काव्य किसे कहते हैं
जिस काव्य का आनंद रंगमंच पर देख कर लिया जाए वह दृश्य काव्य कहलाता है। दृश्य का मतलब होता है देखने के योग्य यानी जिसका वर्ण्य विषय मंच पर देखने योग्य होता है।
इस तरह से काव्य के कथानक को अभिनय द्वारा मंच पर प्रस्तुत किया जाता है और मनुष्य उसे देख कर आनंदित हो उठता है इसी आधार पर इसे दृश्य काव्य कहते हैं।
लेकिन आज इसे केवल दृश्य काव्य कहना गलत होगा क्योंकि नाटक आदि को रेडियो पर सुनकर भी आनंद की प्राप्ति होती है।
इसलिए इसे दृक-श्राव्य काव्य भी कह सकते हैं। आज रेडियो नाटक रूप प्रचलित है लेकिन रंगमंच पर प्रत्यक्ष प्रदर्शन से ही नाटक अधिक प्रभावी होता है।
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