समुच्चय बोधक अव्यय की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण

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चलिए आज हम समुच्चय बोधक अव्यय की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण की समस्त जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।

समुच्चय बोधक अव्यय क्या हैं

समुच्चय बोधक अव्यय वह शब्द है जो दो शब्दों, वाक्यांशों अथवा वाक्यों को जोड़ता है। वाक्यों को जोड़ने के कारण इसे संयोजक अव्यय भी कहते हैं।

उदाहरण :-

  • राजन और इकबाल लंबे हैं।
  • मुझे एक कलम या पेंसिल दो।
  • मैं उस पर विश्वास करता हूं क्योंकि वह ईमानदार है।

ऊपर दिए गए वाक्यों में ‘और’,या’, ‘क्योंकि’ संयोजक अव्यय हैं। प्रथम वाक्य में और दो शब्दों को जोड़ता है। दूसरे वाक्यों में या दो वाक्यांशों को जोड़ता है, जबकि तीसरे वाक्य में क्योंकि दो वाक्यों को जोड़ता है।

समुच्चय बोधक के प्रकार

समुच्चयबोधक के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं।

  • समानाधिकरण समुच्चय बोधक
  • व्यधिकरण समुच्चय बोधक

1. समानाधिकरण समुच्चय बोधक 

समानाधिकरण समुच्चयबोधक सामान वाक्य, वाक्यांशों को जोड़ने का काम करते हैं।

जैसे :- तथा, तो, और इत्यादि।

  • राम और लक्ष्मण भाई थे।
  • तुम तो बहुत समझदार हो।
  • आलू तथा गोभी सब्जी हैं।

समानाधिकरण समुच्चयबोधक के प्रकार

समानाधिकरण समुच्चयबोधक के मुख्यतः छः प्रकार होते हैं।

  • संयोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक
  • विभाजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक
  • विकल्पसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक
  • विरोधदर्शक समानाधिकरण समुच्चयबोधक
  • परिमाणदर्शक समानाधिकरण समुच्चयबोधक
  • वियोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

(i). संयोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

संयोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक दो या दो से अधिक वाक्यों को आपस में जोड़ने का काम करते हैं।

जैसे :- व, तथा, और, भी, एवं इत्यादि।

  • मै और तुम साथ विद्यालय जायेंगे।
  • कमल तथा सुनील कमजोर विद्यार्थी हैं।
  • बड़े एवं छोटे सभी का सम्मान करना चाहिए।
  • वह कल और परसो अनुपस्थित था।

(ii). विभाजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

विभाजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक दुसरे शब्दों, वाक्यों या वाक्यांशों में विभाजन प्रकट करते हैं अर्थात यह दो वाक्यों या शब्दों को अलग करते हैं।

जैसे :- अन्यथा, चाहे, नही तो, क्या क्या, परंतु, तो, वा, या, मगर, चाहे, या-या, ताकि, चाहे-चाहे, न-न, न कि, चाहे, अथवा, वा इत्यादि।

  • अभी से सो जाओ ताकि अगली सुबह जल्दी उठ सको।
  • उसने बहुत कहा मगर उसकी बात किसी ने नहीं सुनी।
  • मैं यह काम करूंगा चाहे तुम कुछ भी कर लो।

(iii). विकल्पसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

विकल्पसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय से हमें विकल्पो का बोध होता है।

जैसे :- या, अन्यथा, अथवा, कि इत्यादि।

  • तुम या तो खेलो या पढ़ाई करो।
  • थोड़ा जल्दी करो अन्यथा देर हो जायेगी।
  • वह कर से जायेगा अथवा बस से।

(iv). विरोधसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

विरोधसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक दो विरोधी वाक्य या उपवाक्यों को जोड़ने का काम करते हैं।

जैसे :- वरना, लेकिन, मगर, किंतु, पर, परन्तु, बल्कि इत्यादि।

  • सोहन ने बहुत पढ़ाई की परन्तु प्रथम नही आ सका।
  • अच्छा हो या बुरा पर मुझे यह काम करना है।
  • तुम जाओ वरना मैं चला जाऊंगा।

(v). परिणामसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

परिणामसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक दो उपवाक्यों को जोड़ते हैं और जोड़ने के बाद उन दोनों वाक्य के परिणाम का बोध कराते हैं। 

जैसे :- अतः, फलताः, इस कारण, अतएव, परिणाम स्वरूप, इसलिए, अन्यथा, फलस्वरूप इत्यादि।

  • उसने सबसे नेक काम किया परिणामस्वरूप उसे अच्छी पहचान मिली।
  • इस फल में बहुत अधिक कीड़े होते हैं इसलिए यह खाने के लिए सही नहीं हैं।
  • मैं छोटा हूँ, अतः मैं वहां नहीं पहुंच सकता हूँ।

(vi). वियोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

वियोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय से जुड़ने या त्याग करने का बोध होता है। 

जैसे :- या, न, अथवा इत्यादि।

  • सोहन अथवा राम में से ही कोई जीतेगा।
  • तो मैने और ही तुमने वहां जाने की हिम्मत दिखाई।

2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक 

व्यधिकरण समुच्चयबोधक किसी वाक्य के आश्रित उपवाक्यों को जोड़ने का काम करते हैं।

जैसे :- यधपी, इसलिए, तथापि इत्यादि।

व्यधिकरण समुच्चय बोधक के प्रकार

व्यधिकरण समुच्चयबोधक चार प्रकार के होते है।

  • कारणसूचक व्याधिकरण समुच्चयबोधक
  • संकेतसूचक व्याधिकरण समुच्चयबोधक
  • उद्देश्यसूचक व्याधिकरण समुच्चयबोधक
  • स्वरुपसूचक व्याधिकरण समुच्चयबोधक

(i). कारणसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक

कारणसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक से दो जुड़े हुए वाक्यों में हो रहे क्रिया के कारण का पता चलता है।

जैसे :- क्योंकि, इस लिए, ताकि, चुकी, इस कारण, जोकि, इसलिए कि, कि इत्यादि।

  • तुम अभी खेलने नहीं जा सकते क्योंकि तुम अभी बीमारी हो।
  • वह बहुत सुंदर है इसलिए मुझे पसंद है।
  • तुम बैठ जाओ ताकि मैं पढ़ा सकूं।

(ii). संकेतसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक

संकेतसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक दो वाक्यों में से पूरे वाक्य की घटना का परीणाम का बोध कराता है।

जैसे :- यदि, परंतु, यदपी, जा, तो, तथापि इत्यादि।

  • ज़िन्दगी में सफल होना हैं तो मेहनत करना पड़ता है।
  • अगर मैं वहा नही पहुंचा तो मैं हार जाऊँगा।

(iii). उद्देश्यवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक

उद्देश्यवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक दो वाक्यों को जोड़कर उनके उद्देश्य का बोध कराते हैं। 

जैसे :- ताकि, जिससे, इसलिए की, कि, जो इत्यादि।

  • तुम खड़े हो जाओ ताकि वह बैठ सके।
  • तुम्हे कसरत करनी चाहिए जिससे तुम स्वस्थ रहो।
  • मैंने यह सब इसलिए किया कि वह सुधर जाए।

(iv). स्वरूपवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक

स्वरूपवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक से मुख्य वाक्य के अर्थ का बोध होता है। 

जैसे :- यानी, जैसे, अर्थात, कि, मानो इत्यादि।

  • तुम्हारा चेहरा ऐसा खिला है जैसे कि कोई गुलाब हो।
  • सात दिन यानी एक सप्ताह होता है।

समुच्चय बोधक अव्यय से संबंधित प्रश्न उत्तर

1. निम्नलिखित वाक्यों को संयोजक से जोड़कर एक वाक्य बनाएं।

(क). राम खेलता है। मदन खेलता है।

उत्तर : राम और मदन खेलते हैं।

(ख). उसने मेहनत किया। वह असफल हो गया।

उत्तर : उसने मेहनत किया लेकिन वह असफल हो गया।

(ग). मेहनत करो। तुम परीक्षा में फेल हो जाओगे।

उत्तर : मेहनत करो वरना तुम परीक्षा में फेल हो जाओगे।

(घ). वह बीमार थी। वह स्कूल नहीं गई।

उत्तर : वह बीमार थी इसलिए वह स्कूल नहीं गई। / वह स्कूल नहीं गई क्योंकि वह बीमार थी।

(च). प्रिया एक अच्छी लड़की है। वह बहुत नेक है।

उत्तर : प्रिया एक अच्छी लड़की ही नहीं बल्कि बहुत नेक भी है।

(छ). तुम अमीर हो। मैं गरीब हूं।

उत्तर : तुम अमीर हो लेकिन मैं गरीब हूं।

(ज). यहां से जाओ। चुप रहो।

उत्तर : यहां से जाओ या चुप रहो।

2. नीचे दिए गए संयोजक अव्यय से वाक्य बनाएं।

(क). कि

उत्तर : मैं जानता हूं कि वह बीमार है।

(ख). जब

उत्तर : मैं तब पहुंचा जब वह जा चुका था।

(ग). वरना

उत्तर : मेहनत करो वरना जीवन में असफल ही रह जाओगे।

(घ). क्योंकि

उत्तर : वह नहीं आया क्योंकि उसके पास गाड़ी नहीं थी।

(च). फिर भी

उत्तर : वह गरीब है फिर भी ईमानदार हैं।

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