व्यतिरेक अलंकार की परिभाषा और उदाहरण

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चलिए आज हम व्यतिरेक अलंकार की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।

व्यतिरेक अलंकार किसे कहते हैं

व्यतिरेक का शाब्दिक आधिक्य मतलब होता है।

व्यतिरेक में किसी कारण का होना जरुरी होता है। अत: जहाँ पर उपमान की अपेक्षा अधिक गुण होने के कारण उपमेय का उत्कर्ष हो वहाँ पर व्यतिरेक अलंकार होता है।

जैसे :

का सरवरि तेहिं देउं मयंकू। 
चांद कलंकी वह निकलंकू।।

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