इस पेज पर रौद्र रस की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़िए।
पिछली पोस्ट में हमने रस की परिभाषा शेयर की हैं तो उस पोस्ट को भी जरूर पढ़े।
चलिए रौद्र रस की परिभाषा, अवयव और उदाहरण की समस्त जानकारी पढ़ना शुरू करते है।
रौद्र रस की परिभाषा
जिस काव्य रचना को पढ़कर या सुनकर हृदय में क्रोध के भाव उत्पन्न होता हैं वहां पर रौद्र रस होता हैं। इस प्रकार की रचनाओं में उत्प्रेरण सम्बन्धी विवरण होता हैं।
जब कोई व्यक्ति या पक्ष आपकी निंदा करता है, बुरा भला बोलता है, अपमान करता है या जब कोई आपकी आत्मीय निंदा करता है, तो उसके प्रति मन में जो क्रोध का भाव उत्पन्न होता है वही रौद्र रस कहलाता है।
रौद्र रस के 20 उदाहरण
1. श्री कृष्ण के सुन वचन, अर्जुन क्रोध से जलने लगे ।
सब शोक अपना भूल कर, करतल युगल मलने लगे ।।
व्याख्या :- उपरोक्त पंक्ति मैथिलीशरण गुप्त की है। इस पंक्ति में कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश के उपरांत अर्जुन क्रोध से जलने लगते हैं। सब कुछ नाश करने को आतुर होते हैं, अपराधियों को उसका दंड देना, धर्म और नीति का कार्य मांनते हैं।
2. सुनत लखन के बचन कठोर। परसु सुधरि धरेउ कर घोरा ।
अब जनि देर दोसु मोहि लोगू। कटुबादी बालक बध जोगू ।।
व्याख्या :- उपरोक्त प्रसंग सीता स्वयंवर का है, जिसमें लक्ष्मण के द्वारा मुनि परशुराम को भड़काने क्रोध दिलाने का प्रसंग है। लक्ष्मण परशुराम के क्रोध को इतना बढ़ा देते हैं कि वह बालक लक्ष्मण का वध करने को आतुर होते हैं।
उनकी भुजाएं फड़फड़ाने लगती है। इसे देखकर वहां दरबार में उपस्थित सभी राजा-राजकुमार थर-थर कांपने लगते हैं। क्योंकि परशुराम के क्रोध को सभी भली-भांति जानते हैं।
3. माखे लघन, कुटिल भयी भौंहें ।
रद-पट फरकत नैन रिसौहैं ॥
कहि न सकत रघुवीर डर, लगे वचन जनु बान
नाइ राम-पद-कमल-जुग, बोले गिरा प्रसाद ॥
4. खून उसका उबल रहा था।
मनुष्य से वह दैत्य में बदल रहा था।।
5. उस काल मरे क्रोध के तन काँपने उसका लगा
मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा
6. फिर दुष्ट दुःशासन समर में शीघ्र सम्मुख आ गया।
अभिमन्यु उसको देखते ही क्रोध से जलने लगा।
निश्वास बारम्बार उसका उष्णतर चलने लगा।
7. सुनहूँ राम जेहि शिवधनु तोरा सहसबाहु सम सो रिपु मोरा
सो बिलगाउ बिहाइ समाजा न त मारे जइहें सब राजा
8. अतिरस बोले बचन कठोर।
बेगि देखाउ मूढ़ नत आजू।
उलटउँ महि जहाँ लग तवराजू।।
9. जब तैं कुमति जियं ठयऊ। खंड-खंड होइ हृदउ न गयऊ।।
बर मागत मन भइ नहिं पीरा। गरि न जीह मुँह परेउ न कीरा।।
10. जो राउर अनुशासन पाऊँ।
कन्दुक इव ब्रह्माण्ड उठाऊँ।
काँचे घट जिमि डारिऊँ फोरी| सकौं मेरु मूले इव तोरी।।
11. उबल उठा शोणित अंगो का, पुतली में उत्तरी लाली।
काली बनी स्वय वह बाला, अलक अलक विषधर काली।।
रौद्र रस के अवयव
स्थाई भाव :- क्रोध
संचारी विभाव :-
- मोह
- उग्रता
- आशा
- हर्ष
- स्मृति
- भावेग
- चपलता
- मति
- उत्सुकता
- अमर्ष आदि।
अनुभाव :-
- आँख लाल होना
- होठों का फड़फड़ाना
- भौंटों का रेढा होना
- दांत पीसना
- शत्रुओं को ललकारना
- अस्त्र-शस्त्र चलाना।
आलंबन विभाव :-
- अपराधी व्यक्ति
- शत्रु, विपक्षी
- दुराचारी
- लोक पीड़ा
- अत्यचरी
- अन्यायी।
उद्दीपन विभाव :-
- अनिष्ट कार्य
- निंदा
- कठोर वचन
- अपमानजनक वाक्य।
रौद्र रस से संबंधित प्रश्न उत्तर
1. क्रोध किस रस का स्थायी भाव हैं?
A. वीभत्स
B. भयानक
C. रौंद्र
D. वीर
उत्तर :- रौंद्र
2. श्री कृष्ण के सुन वचन, अर्जुन क्रोध से जलने लगे
सब शील अपना भूल कर, करतल युगल मलने लगे।।
निम्न पंक्तिया किसके द्वारा लिखित है?
A. केशवदास
B. द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
C. मैथली शरण गुप्त
D. तुलसी दास
उत्तर :- मैथली शरण गुप्त
3. रे नृपबालक कालबस बोलत तोहि न संभार ।
धनुही सम त्रिपुरारी द्युत बिदित सकल संसार ।।
निम्न पंक्तियो में कौन सा रस है?
A. वात्सल्य रस
B. शांत रस
C. वीभत्स रस
D. रौद्र रस
उत्तर :- रौद्र रस
4. रस कितने प्रकार के होते है?
A. 8
B. 9
C. 10
D. 11
उत्तर :- 11
5. दांत पीसना कौन सा भाव है?
A. विभाव
B. अनुभाव
C. संचारी भाव
D. आलंबन
उत्तर :- अनुभाव
6. स्थायी भाव कितने प्रकार के होते है?
A. 8
B. 9
C. 10
D. 11
उत्तर :- 9
7. अपराधी व्यक्ति कौन सा विभाव है?
A. उद्दीपन विभाव
B. अनुभाव
C. आलंबन विभाव
D. संचारी विभाव
उत्तर :- आलंबन विभाव
8. उस काल कारे क्रोध के, तन कांपने उसका लगा | मानो हवा के जोर से, सोता हुआ सागर जगा ।।
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन -सा रस है?
A. वीर रस
B. रौद्र रस
C. अद्भुत रस
D. करुण रस
उत्तर :- रौद्र रस
9. क्रोध किस रस का स्थायी भाव है?
A. वीभत्स
B. भयानक
C. वीर रस
D. रौद्र
उत्तर :- रौद्र
10. रस मुख्य रूप से कितने प्रकार के होते हैं?
A. 1
B. 2
C. 3
D. 4
उत्तर :- 1
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