इस पोस्ट में आप कहानी लेखन से संबंधित समस्त जानकारी पढ़ेंगे तो पोस्ट को पुरा जरूर पढ़ें।
पिछले पोस्ट में हमने सारांश भावार्थ से संबंधित जानकारी शेयर की है तो उसे भी जरूर पढ़ें।
चलिए कहानी लेखन की परिभाषा एवं कहानी कैसे लिखी जाती हैं की समस्त जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।
कहानी किसे कहते हैं
विभिन्न लेखकों ने कहानी की विभिन्न परिभाषाएं दी है और एक परिभाषा मान्य नहीं। लेकिन हम कह सकते हैं कि,
किसी घटना, पात्र या समस्या का क्रमबद्ध ब्यौरा जिसमें कथा का क्रमिक विकास हो, उसे कहानी कहा जाता है।
वास्तव में कहानी हमारे जीवन से इतनी निकट है कि हर आदमी किसी रूप में कहानी सुनता और सुनाता है।
कहानियों का इतिहास
कहानी का इतिहास उतना ही पुराना है जितना मानव इतिहास, क्योंकि कहानी मानव के स्वभाव और प्रकृति का हिस्सा है।
कहानी कहने की कला का विकास मानव के अस्तित्व के साथ हुआ। हालांकि पहले कहानियां आज जैसी नहीं होती थी।
पहले की कहानियां देवी देवताओं, राक्षसों या जानवरों से संबंधित हुआ करती थी।
प्राचीन काल में कहानियां मौखिक हुआ करती थी क्योंकि यही संचार का सबसे बड़ा माध्यम था।
लेकिन धीरे-धीरे कहानियों में विकास हुआ। फिर कहानियां किसी घटना, युद्ध, प्रेम तथा प्रतिशोध पर आधारित होने लगी।
सच्ची घटनाओं पर आधारित कहानियों को सुनाते सुनाते उसमें कल्पना का भी मिश्रण होने लगा। और आज हम काल्पनिक कहानियां सुनते हैं।
कहानी लेखन क्या है
मन में उपजे भावों व विचारों को एक कहानी का रूप देना ही कहानी लेखन कहलाता है।
संक्षिप्त में कहानी लिखने की विद्या को ही कहानी लेखन कहा जाता है।
कहानी कैसे लिखी जाती हैं
कहानी का विचार आमतौर पर कहानीकार के मन में किसी घटना, जानकारी, अनुभव या कल्पना के कारण आता है।
उसके बाद कहानीकार उसे विस्तार देने में जुट जाता है जिसका काम कल्पना के आधार पर किया जाता है।
लेकिन यह जानना जरूरी है कि कहानीकार की कल्पना कोरी कल्पना नहीं होती ऐसी कल्पना नहीं होती जो असंभव हो।
कल्पना के विस्तार के लिए लेखक के पास जो सूत्र होता है उसी के माध्यम से कहानी आगे बढ़ती है।
इनके आधार पर लेखक संभावनाओं पर विचार करता है और काल्पनिक ढांचा तैयार करता है।
कहानी का ढांचा बनने के बाद कहानीकार कहानी को विस्तार देता है जिसमे वह पात्रों का चरित्र चित्रण और संवाद लिखता है।
पात्रों का चरित्र चित्रण उनके क्रियाकलापों, संवादों तथा दूसरे लोगो द्वारा बोले गए संवादों के मध्य से प्रभावशाली होता है।
पात्रों का संवाद कहानी में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इसके बिना पात्र की कल्पना मुश्किल है। संवाद ही कहानी को आगे बढ़ाते हैं।
कहानी लिखने की कला सीखने का सबसे अच्छा तरीका यह है की अच्छी कहानियों की कल्पना की जाए।
कहानी लेखन के भाग
कथा लेखन को मुख्य तौर पर चार भागों में बांटा गया हैं।
- कहानी के आधार पर कहानी लिखना
- संकेतो या रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखना
- अपूर्ण कहानी को पुरा करना
- चित्र के आधार पर
1. कहानी के आधार पर कहानी लिखना
किसी कहानी को पढ़कर उसके आधार पर कहानी लिखना ही कहानी के आधार पर कहानी लिखना कहलाता हैं।
ऐसी प्रक्रिया में हमें निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए :
- कहानी की शुरुआत रोमांचक हो।
- संवाद छोटे हो।
- कहानी का क्रमिक विकास हो।
- भाषा सरल और आसान हो।
2. संकेतों के आधार पर कहानी लिखना
इसका मतलब है की आपको कुछ संकेत दिए जाते हैं। और इसको आधार मानकर आपको कहानी की रचना करनी होगी।
जैसे – एक बूढ़ा, बीमार किसान, चार झगड़ने वाले पुत्र, किसान चिंतित, पुत्रों को बुलाया, लकड़ी का गट्ठर दिया, नहीं टूटा, एक लकड़ी टूट गई, एकता में बल है।
उपर दिए गए संकेतों को आधार मानकर उसे कहानी का रूप देना संकेतों के आधार पर कहानी लेखन कहलाता हैं।
3. अपूर्ण कहानी को पुरा करना
जो कहानियां अधूरी होती है उन्हे पूरा करके भी कहानी लिखी जा सकती हैं। इससे कल्पना शक्ति प्रौढ़ होती हैं।
इस प्रकार की कहानी को दो-चार बार पढ़कर, क्रमों को समझकर पूरा करना चाहिए।
4. चित्र के आधार पर कहानी लिखना
किसी चित्र को देखकर उसके बारे में विस्तार से लिखित रूप से विस्तृत रूप देना, चित्र लेखन कहलाता हैं।
इसके लिए आपको चित्र को ध्यान से देखकर तस्वीरों को अपने दिमाग में बैठान होगा।
इस बात का ध्यान रखना चाहिए की पूरी कहानी चित्र के अनुरूप हो।
कहानी कैसी होनी चाहिए
कहानी लिखते समय ध्यान देने योग्य बात है की।
- घटनाओं का पारस्परिक संबंध होना चाहिए।
- कहानी रोचक और स्वाभाविक हो।
- भाषा सरल और समझने योग्य हो।
- कहानी से कोई-न-कोई उपदेश मिलना चाहिए।
- अंत में कहानी को एक अच्छा शीर्षक या नाम देना चाहिए।
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