इस पेज पर आप लोकोक्तियां की परिभाषा उदाहरण सहित पढ़ेंगे और समझेंगे।
पिछले पेज पर हमने पर्यायवाची शब्द शेयर किए हैं यदि आपने उन्हें नहीं पढ़ा तो उन्हें भी जरूर पढ़े।
चलिए आज लोकोक्तियां की परिभाषा को उदाहरण सहित पढ़ते और समझते हैं।
लोकोक्तियां की परिभाषा
अरस्तु के अनुसार :- संक्षिप्त और प्रयोग करने के लिए उपयुक्त होने के कारण तत्वज्ञान के खंडहरों में से चुनकर निकाले हुए टुकड़े बचा लिए गए अंश को लोकोक्ति की संज्ञा से अभिहित किया जा सकता हैं।
डॉ. भोलानाथ तिवारी के अनुसार :- विभिन्न प्रकार के अनुभवों, पौराणिक तथा ऐतिहासिक व्यक्तियों एवं कथाओं, प्राकृतिक नियमों एवं लोक विश्वास आदि पर आधारित चुटीला, सरगर्भित, सजीव, संक्षिप्त लोक प्रचलित ऐसी उक्तियों को लोकोक्ति कहते हैं जिनका प्रयोग बात की पुष्टि या विरोध, सीख तथा भविष्य कथन आदि के लिए किया जाता है।
डॉ. सत्येंद्र के अनुसार :- लोकोक्तियों में लय और तान या ताल न होकर संतुलित स्पंदनशीलता ही होती हैं।
धीरेंद्र वर्मा के अनुसार :- लोकोक्तियां ग्रामीण जनता की नीति शास्त्र है। यह मानवीय ज्ञान के घनीभूत रत्न हैं।
टेनिसन के अनुसार :- लोकोक्ति वे रत्न हैं जो लघु आकार होने पर भी अनंत काल से चली आ रही उक्ति हैं।
लोकोक्तियां एवं कहावते
लोकोक्तियां :- जिसकी बंदरी वही नचावे और नचावे तो काटन धावे ।
अर्थ :- जिसका जो काम होता है वही उसे कर सकता है।
लोकोक्तियां :- जिसकी लाठी उसकी भैंस ।
अर्थ :- शक्ति अनधिकारी को भी अधिकारी बना देती है, शक्तिशाली की ही विजय होती है।
लोकोक्तियां :- जिसके राम धनी, उसे कौन कमी।
अर्थ :- जो भगवान के भरोसे रहता है उसे किसी बात की कोई कमी नहीं रहती हैं।
लोकोक्तियां :- जिसके हाथ डोई (करछी) उसका सब कोई ।
अर्थ :- सब लोग धनवान का साथ देते हैं और उसकी खुशामद करते हैं।
लोकोक्तियां :- जिसे पिया चाहे वही सुहागिन।
अर्थ :- जिस पर मालिक की कृपा होती है उसी की उन्नति होती है और उसी का सम्मान होता है।
लोकोक्तियां :- जी कहो जी कहलाओ।
अर्थ :- यदि तुम दूसरों का आदर करोगे, तो लोग तुम्हारा भी आदर करेंगे।
लोकोक्तियां :- जीभ और थैली को बंद ही रखना अच्छा है।
अर्थ :- कम बोलने और कम खर्च करने से बड़ा लाभ होता है।
लोकोक्तियां :- जीभ भी जली और स्वाद भी न पाया।
अर्थ :- यदि किसी को बहुत थोड़ी-सी चीज खाने को दी जाये।
लोकोक्तियां :- जीये न मानें पितृ और मुए करें श्राद्ध।
अर्थ :- कुपात्र पुत्रों के लिए कहते हैं जो अपने पिता के जीवित रहने पर उनकी सेवा-सुश्रुषा नहीं।
लोकोक्तियां :- जी ही से जहान है।
अर्थ :- यदि जीवन है तो सब कुछ है। इसलिए सब तरह से प्राण-रक्षा की चेष्टा करनी चाहिए।
लोकोक्तियां :- जुत-जुत मरें बैलवा, बैठे खाय तुरंग।
अर्थ :- जब कोई कठिन परिश्रम करे और उसका आनंद दूसरा उठावे तब कहते हैं, जैसे गरीब आदमी परिश्रम करते हैं और पूँजीपति उससे लाभ उठाते हैं।
लोकोक्तियां :- जूँ के डर से गुदड़ी नहीं फेंकी जाती।
अर्थ :- धारण कष्ट या हानि के डर से कोई व्यक्ति काम नहीं छोड़ देता।
लोकोक्तियां :- जेठ के भरोसे पेट।
अर्थ :- जब कोई मनुष्य बहुत निर्धन होता है और उसकी स्त्री का पालन-पोषण उसका बड़ा भाई (स्त्री का जेठ) करता है तब कहते हैं।
लोकोक्तियां :- जैसा ऊँट लम्बा, वैसा गधा खवास।
अर्थ :- जब एक ही प्रकार के दो मूर्खों का साथ हो जाता है।
लोकोक्तियां :- जैसा कन भर वैसा मन भर।
अर्थ :- थोड़ी-सी चीज की जाँच करने से पता चला जाता है कि राशि कैसी है।
लोकोक्तियां :- जैसा काछ काछे वैसा नाच नाचे।
अर्थ :- जैसा वेश हो उसी के अनुकूल काम करना चाहिए।
लोकोक्तियां :- जैसा तेरा ताना-बाना वैसी मेरी भरनी।
अर्थ :- जैसा व्यवहार तुम मेरे साथ करोगे, वैसा ही मैं तुम्हारे साथ करूँगा।
लोकोक्तियां :- जैसा देश वैसा वेश।
अर्थ :- जहाँ रहना हो वहीं की रीतियों के अनुसार आचरण करना चाहिए।
लोकोक्तियां :- जैसा मुँह वैसा तमाचा।
अर्थ :- जैसा आदमी होता है वैसा ही उसके साथ व्यवहार किया जाता है।
लोकोक्तियां :- जैसी औढ़ी कामली वैसा ओढ़ा खेश।
अर्थ :- जैसा समय आ पड़े उसी के अनुसार अपना रहन-सहन बना लेना चाहिए।
लोकोक्तियां :- जैसी चले बयार, तब तैसी दीजे ओट।
अर्थ :- जैसी कोई मजदूरी देगा, वैसा ही उसका काम होगा।
लोकोक्तियां :- जैसे कन्ता घर रहे वैसे रहे विदेश।
अर्थ :- निकम्मे आदमी के घर रहने से न तो कोई लाभ होता है और न बाहर रहने से कोई हानि होती है।
लोकोक्तियां :- जैसे को तैसा मिले, मिले डोम को डोम।
अर्थ :- दाता को दाता मिले, मिले सूम को सूम।
लोकोक्तियां :- जैसे बाबा आप लबार, वैसा उनका कुल परिवार।
अर्थ :- जैसे बाबास्वयं झूठे हैं वैसे ही उनके परिवार वाले भी हैं।
लोकोक्तियां :- जो गुड़ खाय वही कान छिदावे।
अर्थ :- जो आनंद लेता हो वही परिश्रम भी करे और कष्ट भी उठावे।
लोकोक्तियां :- जो गुड़ देने से मरे उसे विषय क्यों दिया जाए।
अर्थ :- जो मीठी-मीठी बातों या सुखद प्रलोभनों से नष्ट हो जाय उससे लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहिए।
लोकोक्तियां :- जो टट्टू जीते संग्राम, तो क्यों खरचैं तुरकी दाम।
अर्थ :- यदि छोटे आदमियों से काम चल जाता तो बड़े लोगों को कौन पूछता।
लोकोक्तियां :- जो दूसरों के लिए गड्ढ़ा खोदता है उसके लिए कुआँ तैयार रहता है।
अर्थ :- जो दूसरे लोगों को हानि पहुँचाता है उसकी हानि अपने आप हो जाती है।
लोकोक्तियां :- जो धन दीखे जात, आधा दीजे बाँट।
अर्थ :- यदि वस्तु के नष्ट हो जाने की आशंका हो तो उसका कुछ भाग खर्च करके शेष भाग बचा लेना चाहिए।
लोकोक्तियां :- जो धावे सो पावे, जो सोवे सो खोवे।
अर्थ :- जो परिश्रम करता है उसे लाभ होता है, आलसी को केवल हानि ही हानि होती है।
लोकोक्तियां :- जो पूत दरबारी भए, देव पितर सबसे गए।
अर्थ :- जो लोग दरबारी या परदेसी होते हैं उनका धर्म नष्ट हो जाता है और वे संसार के कर्तव्यों का भी समुचित पालन नहीं कर सकते।
लोकोक्तियां :- जो बोले सो कुंडा खोले।
अर्थ :- यदि कोई मनुष्य कोई काम करने का उपाय बतावे और उसी को वह काम करने का भार सौपा जाये।
लोकोक्तियां :- जो सुख छज्जू के चौबारे में, सो न बलख बुखारे में।
अर्थ :- जो सुखअपने घर में मिलता है वह अन्यत्र कहीं भी नहीं मिल सकता।
लोकोक्तियां :- जोगी काके मीत, कलंदर किसके भाई।
अर्थ :- जोगी किसी के मित्र नहीं होते और फकीर किसी के भाई नहीं होते, क्योंकि वे नित्य एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते रहते हैं।
लोकोक्तियां :- आस-पास बरसे, दिल्ली पड़ी तरसे।
अर्थ :- जिसे जरूरत हो, उसे न मिलकर किसी चीज का दूसरे को मिलना।
लोकोक्तियां :- उधरे अन्त न होहिं निबाह । कालनेमि जिमि रावण राहू।।
अर्थ :- जब किसी कपटी आदमी को पोल खुल जाती है, तब उसका निर्वाह नहीं होता। उस पर अनेक विपत्ति आती है।
लोकोक्तियां :- उत्तम विद्या लीजिए, जदपि नीच पै होय।
अर्थ :- छोटे व्यक्ति के पास यदि कोई ज्ञान है, तो उसे ग्रहण करना चाहिए।
लोकोक्तियां :- उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई।
अर्थ :- जब इज्जत ही नहीं है तो डर किसका?
लोकोक्तियां :- उधार का खाना और फूस का तापना बराबर है।
अर्थ :- फूस की आग बहुत देर तक नहीं ठहरती। इसी प्रकार कोई व्यक्ति बहुत दिनों तक उधार लेकर अपना खर्च नहीं चला सकता।
लोकोक्तियां :- उमादास जोतिष की नाई, सबहिं नचावत राम गोसाई।
अर्थ :- मनुष्य का किया कुछ नहीं होता। मनुष्य को ईश्वर की इच्छा के अनुसार काम करना पड़ता है।
लोकोक्तियां :- उसी की जूती उसी का सिर।
अर्थ :- किसी को उसी की युक्ति(वस्तु)से बेवकूफ बनाना।
लोकोक्तियां :- ऊंट के मुंह में जीरा।
अर्थ :- बहुत अधिक आवश्यकता वाले या खाने वाले को बहुत थोड़ी-सी चीज देना।
लोकोक्तियां :- एक और एक ग्यारह होते हैं ।
अर्थ :- मेल में बड़ी शक्ति होती है।
लोकोक्तियां :- एक जिन्दगी हजार नियामत है।
अर्थ :- जीवन बहुत बहुमूल्य होता है।
लोकोक्तियां :- एक तवे की रोटी, क्या पतली क्या मोटी।
अर्थ :- एक परिवार के मनुष्यों में या एक पदार्थ के कई भागों में बहुत कम अन्तर होता है।
लोकोक्तियां :- एक तो करेला (कड़वा) दूसरे नीम चढ़ा।
अर्थ :- कटु या कुटिल स्वभाव वाले मनुष्य कुसंगति में पड़कर और बिगड़ जाते हैं।
लोकोक्तियां :- एक (ही) थैले के चट्टे-बट्टे।
अर्थ :- एक ही प्रकार के लोग
लोकोक्तियां :- एक न शुद, दो शुद।
अर्थ :- एक विपत्ति तो है ही दूसरी और सही।
लोकोक्तियां :- एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है।
अर्थ :- यदि किसी घर या समूह में एक व्यक्ति बुरे चरित्र वाला होता है तो सारा घर या समूह बुरा या बदनाम हो जाता है।
लोकोक्तियां :- ओठों निकली कोठों चढ़ी।
अर्थ :- जो बात मुंह से निकल है, वह फैल जाती है, गुप्त नहीं रहती।
लोकोक्तियां :- ओखली में सिर दिया तो मूसलों का क्या डर।
अर्थ :- कष्ट सहने पर उतारू होने पर कष्ट का डर नहीं रहता।
लोकोक्तियां :- और बात खोटी, सही दाल-रोटी।
अर्थ :- संसार की सब चीजों में भोजन ही मुख्य है।
लोकोक्तियां :- जोगी जुगत जानी नहीं, कपड़े रंगे तो क्या हुआ।
अर्थ :- गैरिक वस्त्र पहनने से ही कोई जोगी नहीं हो जाता।
लोकोक्तियां :- जोगी जोगी लड़ पड़े, खप्पड़ का नुकसान।
अर्थ :- बड़ों की लड़ाई मेंगरीबों की हानि होती है।
लोकोक्तियां :- जोरू चिकनी मियाँ मजूर।
अर्थ :- पति-पत्नी के रूप में विषमता हो, पत्नी तो सुन्दर हो परन्तु पति निर्धन और कुरूप हो।
लोकोक्तियां :- जोरू टटोले गठरी, माँ टटोले अंतड़ी।
अर्थ :- स्त्री धन चाहती है औरमाता अपने पुत्र का स्वास्थ्य चाहती है। स्त्री यह देखना चाहती है कि मेरे पति ने कितना रुपया कमाया. माता यह देखती है कि मेरा पुत्र भूखा तो नहीं है।
लोकोक्तियां :- जोरू न जांता, अल्लाह मियां से नाता।
अर्थ :- जो संसार में अकेला हो, जिसके कोई न हो।
लोकोक्तियां :- ज्यों-ज्यों भीजै कामरी, त्यों-त्यों भारी होय।
अर्थ :- जितना ही अधिक ऋण लिया जाएगा उतना ही बोझ बढ़ता जाएगा।
लोकोक्तियां :- ज्यों-ज्यों मुर्गी मोटी हो, त्यों-त्यों दुम सिकुड़े।
अर्थ :- ज्यों-ज्यों आमदनी बढ़े, त्यों-त्यों कंजूसी करे।
लोकोक्तियां :- ज्यों नकटे को आरसी, होत दिखाए क्रोध।
अर्थ :- जब कोई व्यक्तिकिसी दोषी पुरुष के दोष को बतलाता है तो उसे बहुत बुरा लगता है।
लोकोक्तियां :- झगड़े की तीन जड़, जन, जमीन, जर।
अर्थ :- स्त्री, पृथ्वी और धन इन्हीं तीनों के कारण संसार में लड़ाई-झगड़े हुआ करते हैं।
लोकोक्तियां :- झट मँगनी पट ब्याह।
अर्थ :- किसी काम के जल्दी से हो जाने पर उक्ति।
लोकोक्तियां :- झटपट की धानी, आधा तेल आधा पानी।
अर्थ :- जल्दी का काम अच्छा नहीं होता।
लोकोक्तियां :- झड़बेरी के जंगल में बिल्ली शेर।
अर्थ :- छोटी जगह में छोटे आदमी बड़े समझे जाते हैं।
लोकोक्तियां :- झूठ के पांव नहीं होते।
अर्थ :- झूठा आदमी बहस में नहीं ठहरता, उसे हार माननी होती है।
लोकोक्तियां :- झूठ बोलने में सरफ़ा क्या।
अर्थ :- झूठ बोलने में कुछ खर्च नहीं होता।
लोकोक्तियां :- झूठे को घर तक पहुँचाना चाहिए।
अर्थ :- झूठे से तब तक तर्क-वितर्क करना चाहिए जब तक वह सच न कह दे।
लोकोक्तियां :- टंटा विष की बेल है।
अर्थ :- झगड़ा करने से बहुत हानि होती है।
लोकोक्तियां :- टट्टू को कोड़ा और ताजी को इशारा।
अर्थ :- मूर्ख को दंड देने की आवश्यकता पड़ती है और बुद्धिमानों के लिए इशारा काफी होता है।
लोकोक्तियां :- टाट का लंगोटा नवाब से यारी।
अर्थ :- निर्धन व्यक्ति का धनी-मानी व्यक्तियों के साथ मित्रता करने का प्रयास।
लोकोक्तियां :- टुकड़ा खाए दिल बहलाए, कपड़े फाटे घर को आए।
अर्थ :- ऐसा काम करना जिसमें केवल भरपेट भोजन मिले, कोई लाभ न हो।
लोकोक्तियां :- टेर-टेर के रोवे, अपनी लाज खोवे।
अर्थ :- जो अपनी हानि की बात सबसे कहा करता है उसकी साख जाती रहती है।
लोकोक्तियां :- ठग मारे अनजान, बनिया मारे जान।
अर्थ :- ठग अनजान आदमियों को ठगता है, परन्तु बनिया जान-पहचान वालों को ठगता है।
लोकोक्तियां :- ठुक-ठुक सोनार की, एक चोट लोहार की।
अर्थ :- जब कोई निर्बल मनुष्य किसी बलवान् व्यक्ति से बार-बार छेड़खानी करता है।
लोकोक्तियां :- ठुमकी गैया सदा कलोर।
अर्थ :- नाटी गाय सदा बछिया ही जान पड़ती है। नाटा आदमी सदा लड़का ही जान पड़ता है।
लोकोक्तियां :- ठेस लगे बुद्धि बढ़े।
अर्थ :- हानि सहकर मनुष्य बुद्धिमान होता है।
लोकोक्तियां :- डरें लोमड़ी से नाम शेर खाँ।
अर्थ :- नाम के विपरीत गुण होने पर।
लोकोक्तियां :- डायन को भी दामाद प्यारा।
अर्थ :- दुष्ट स्त्र्िायाँ भी दामाद को प्यार करती हैं।
लोकोक्तियां :- डूबते को तिनके का सहारा।
अर्थ :- विपत्त्िा में पड़े हुए मनुष्यों को थोड़ा सहारा भी काफी होता है।
लोकोक्तियां :- डेढ़ पाव आटा पुल पर रसोई।
अर्थ :- थोड़ी पूँजी पर झूठा दिखावा करना।
लोकोक्तियां :- डोली न कहार, बीबी हुई हैं तैयार।
अर्थ :- जब कोई बिना बुलाए कहीं जाने को तैयार हो।
लोकोक्तियां :- ढाक के वही तीन पात।
अर्थ :- सदा से समान रूप से निर्धन रहने पर उक्त, परिणाम कुछ नहीं, बात वहीं की वहीं।
लोकोक्तियां :- ढाक तले की फूहड़, महुए तले की सुघड़।
अर्थ :- जिसके पास धन नहीं होता वह गुणहीन और धनी व्यक्ति गुणवान् माना जाता है।
लोकोक्तियां :- ढेले ऊपर चील जो बोलै, गली-गली में पानी डोलै।
अर्थ :- यदि चील ढेले पर बैठकर बोले तो समझना चाहिए कि बहुत अधिक वर्षा होगी।
लोकोक्तियां :- बाँझ का जाने प्रसव की पीड़ा।
अर्थ :- पीड़ा को सहकर ही समझा जा सकता है।
लोकोक्तियां :- बाड़ ही जब खेत को खाए तो रखवाली कौन करे।
अर्थ :- रक्षक का भक्षक हो जाना।
लोकोक्तियां :- बाप भला न भइया, सब से भला रूपइया।
अर्थ :- धन ही सबसे बड़ा होता है।
लोकोक्तियां :- बाप न मारे मेढकी, बेटा तीरंदाज़।
अर्थ :- छोटे का बड़े से बढ़ जाना।
लोकोक्तियां :- आंख के अंधे नाम नयनसुख।
अर्थ :- नाम और गुण में विरोध होना, गुणहीन को बहुत गुणी कहना।
लोकोक्तियां :- आंखों के आगे पलकों की बुराई।
अर्थ :- किसी के भाई- बन्धुओं या इष्ट-मित्रों के सामने उसकी बुराई करना।
लोकोक्तियां :- आंखों पर पलकों का बोझ नहीं होता।
अर्थ :- अपने कुटुम्बियों को खिलाना-पिलाना नहीं खलता। या काम की चीज महंगी नहीं जान पड़ती।
लोकोक्तियां :- आंसू एक नहीं और कलेजा टूक-टूक।
अर्थ :- दिखावटी रोना।
लोकोक्तियां :- आई है जान के साथ जाएगी जनाजे के साथ।
अर्थ :- वह विपत्ति या बीमारी जो आजीवन बनी रहे।
लोकोक्तियां :- आ गई तो ईद बारात नहीं तो काली जुम्मे रात।
अर्थ :- पैसे हुए तो अच्छा खाना खायेंगे, नहीं तो रूखा-सूखा ही सही।
लोकोक्तियां :- आई मौज फकीर को, दिया झोपड़ा फूंक।
अर्थ :- विरक्त(बिगड़ा हुए) पुरुष मनमौजी होते हैं।
लोकोक्तियां :- आए थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास।
अर्थ :- जिस काम के लिए गए थे, उसे छोड़कर दूसरे काम में लग गए।
लोकोक्तियां :- बाप से बैर, पूत से सगाई।
अर्थ :- पिता से दुश्मनी और पुत्र से लगाव।
लोकोक्तियां :- बारह गाँव का चौधरी अस्सी गाँव का राव, अपने काम न आवे तो ऐसी-तैसी में जाव।
अर्थ :- बड़ा होकर यदि किसी के काम न आए, तो बड़प्पन व्यर्थ है।
लोकोक्तियां :- आगे कुआं, पीछे खाई।
अर्थ :- दोनों तरफ विपत्ति होना।
लोकोक्तियां :- आठों पहर चौंसठ घड़ी।
अर्थ :- हर समय, दिन-रात।
लोकोक्तियां :- आठों गांठ कुम्मैत।
अर्थ :- पूरा धूर्त, घुटा हुआ।
लोकोक्तियां :- आत्मा सुखी तो परमात्मा सुखी।
अर्थ :- पेट भरता है तो ईश्वर की याद आती है।
लोकोक्तियां :- आधी छोड़ सारी को धावे, आधी रहे न सारी पावे।
अर्थ :- अधिक लालच करना अच्छा नहीं होता; जो मिले उसी से सन्तोष करना चाहिए।
लोकोक्तियां :- आपको न चाहे ताके बाप को न चाहिए।
अर्थ :- जो आपका आदर न करे आपको भी उसका आदर नहीं करना चाहिए।
लोकोक्तियां :- आप जाय नहीं सासुरे, औरन को सिखि देत।
अर्थ :- आप स्वयं कोई काम न करके दूसरों को वही काम करने का उपदेश देना।
लोकोक्तियां :- आप तो मियां हफ्तहजारी, घर में रोवें कर्मों मारी।
अर्थ :- जब कोई मनुष्य स्वयं तो बड़े ठाट-बाट से रहता है पर उसकी स्त्री बड़े कष्ट से जीवन व्यतीत करती है तब ऐसा कहते हैं।
लोकोक्तियां :- आप मरे जग परलय।
अर्थ :- मूत्यु के बाद की चिन्ता नहीं करनी चाहिए।
लोकोक्तियां :- आ बैल मुझे मार।
अर्थ :- जान- बूझकर विपत्ति में पड़ना।
लोकोक्तियां :- आप मियां मांगते दरवाजे खड़ा दरवेश।
अर्थ :- जब कोई मनुष्य स्वयं तो बड़े ठाट-बाट से रहता है पर उसकी स्त्री बड़े कष्ट से जीवन व्यतीत करती है तब ऐसा कहते हैं।
लोकोक्तियां :- आम के आम गुठलियों के दाम।
अर्थ :- किसी काम में दोहरा लाभ होना।
लोकोक्तियां :- आम खाने से काम, पेड़ गिनने से क्या काम?
अर्थ :- जब कोई मतलब का काम न करके फिजूल बातें करता है तब इस कहावत का प्रयोग करते हैं।
लोकोक्तियां :- आया है जो जायेगा, राजा रंक फकीर।
अर्थ :- अमीर-गरीब सभी को मरना है।
लोकोक्तियां :- बारह बरस पीछे घूरे के भी दिन फिरते हैं।
अर्थ :- एक न एक दिन अच्छे दिन आ ही जाते हैं।
लोकोक्तियां :- बासी कढ़ी में उबाल नहीं आता।
अर्थ :- काम करने के लिए शक्ति का होना आवश्यक होता है।
लोकोक्तियां :- बासी बचे न कुत्ता खाय।
अर्थ :- जरूरत के अनुसार ही सामान बनाना।
लोकोक्तियां :- बिंध गया सो मोती, रह गया सो सीप।
अर्थ :- जो वस्तु काम आ जाए वही अच्छी।
लोकोक्तियां :- बिच्छू का मंतर न जाने, साँप के बिल में हाथ डाले।
अर्थ :- मूर्खतापूर्ण कार्य करना।
लोकोक्तियां :- बिना रोए तो माँ भी दूध नहीं पिलाती।
अर्थ :- बिना यत्न किए कुछ भी नहीं मिलता।
लोकोक्तियां :- बिल्ली और दूध की रखवाली?
अर्थ :- भक्षक रक्षक नहीं हो सकता।
लोकोक्तियां :- बिल्ली के सपने में चूहा।
अर्थ :- जरूरतमंद को सपने में भी जरूरत की ही वस्तु दिखाई देती है।
लोकोक्तियां :- बिल्ली गई चूहों की बन आयी।
अर्थ :- डर खत्म होते ही मौज मनाना।
लोकोक्तियां :- बीमार की रात पहाड़ बराबर।
अर्थ :- खराब समय मुश्किल से कटता है।
लोकोक्तियां :- बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम।
अर्थ :- वय के हिसाब से ही काम करना चाहिए।
लोकोक्तियां :- बुढ़ापे में मिट्टी खराब।
अर्थ :- बुढ़ापे में इज्जत में बट्टा लगना।
लोकोक्तियां :- बुढि़या मरी तो आगरा तो देखा।
अर्थ :- प्रत्येक घटना के दो पहलू होते हैं – अच्छा और बुरा।
लोकोक्तियां :- लिखे ईसा पढ़े मूसा।
अर्थ :- गंदी लिखावट।
लोकोक्तियां :- अन्त भले का भला।
अर्थ :- जो भले काम करता है, अन्त में उसे सुख मिलता है।
लोकोक्तियां :- अंडा सिखावे बच्चे को कि चीं-चीं मत कर।
अर्थ :- जब कोई छोटा बड़े को उपदेश दे।
लोकोक्तियां :- अंधा क्या चाहे, दो आंखे।
अर्थ :- आवश्यक या अभीष्ट वस्तु अचानक या अनायास मिल जाती है, तब ऐसा कहते है।
लोकोक्तियां :- अंधा बांटे रेवड़ी फिर-फिर अपने को ही दे।
अर्थ :- अधिकार पाने पर स्वार्थी मनुष्य अपने ही लोगों और इष्ट-मित्रों को ही लाभ पहुंचाते हैं।
लोकोक्तियां :- अंधा सिपाही कानी घोड़ी, विधि ने खूब मिलाई जोड़ी।
अर्थ :- जहां दो व्यक्ति हों और दोनों ही एक समान मूर्ख, दुष्ट या अवगुणी हों वहां ऐसा कहते हैं।
लोकोक्तियां :- अंधी पीसे, कुत्ते खायें।
अर्थ :- मूर्खों को कमाई व्यर्थ नष्ट होती है।
लोकोक्तियां :- अंधे के आगे रोवे, अपना दीदा खोवे।
अर्थ :- मूर्खों को सदुपदेश देना या उनके लिए शुभ कार्य करना व्यर्थ है।
लोकोक्तियां :- अंधे को अंधेरे में बहुत दूर की सूझी।
अर्थ :- जब कोई मूर्ख मनुष्य बुद्धिमानी की बात कहता है तब ऐसा कहते हैं।
लोकोक्तियां :- अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा।
अर्थ :- जहां मालिक मूर्ख होता है, वहां गुण का आदर नहीं होता।
लोकोक्तियां :- अंधों में काना राजा।
अर्थ :- मूर्खों या अज्ञानियों में अल्पज्ञ लोगों का भी बहुत आदर होता है।
लोकोक्तियां :- अपनी-अपनी डफली, अपना-अपना राग।
अर्थ :- कोई काम नियम-कायदे से न करना।
लोकोक्तियां :- अपनी पगड़ी अपने हाथ।
अर्थ :- अपनी इज्जत अपने हाथ होती है।
लोकोक्तियां :- अमानत में खयानत।
अर्थ :- किसी के पास अमानत के रूप में रखी कोई वस्तु खर्च कर देना।
लोकोक्तियां :- अस्सी की आमद, चौरासी खर्च।
अर्थ :- आमदनी से अधिक खर्च।
लोकोक्तियां :- अति सर्वत्र वर्जयेत्।
अर्थ :- किसी भी काम में हमें मर्यादा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।
लोकोक्तियां :- अपनी करनी पार उतरनी।
अर्थ :- मनुष्य को अपने कर्म के अनुसार ही फल मिलता है।
लोकोक्तियां :- अंधे की लकड़ी।
अर्थ :- बेसहारे का सहारा।
लोकोक्तियां :- अपना रख पराया चख।
अर्थ :- निजी वस्तु की रक्षा एवं अन्य वस्तु का उपभोग।
लोकोक्तियां :- अच्छी मति जो चाहो बूढ़े पूछन जाओ।
अर्थ :- बड़े बूढ़ों की सलाह से कार्य सिद्ध हो सकते हैं।
लोकोक्तियां :- अब की अब, जब की जब के साथ।
अर्थ :- सदा वर्तमान की ही चिन्ता करनी चाहिए।
लोकोक्तियां :- अपनी नींद सोना, अपनी नींद जागना।
अर्थ :- पूर्ण स्वतंत्र होना।
लोकोक्तियां :- अपने झोपड़े की खैर मनाओ।
अर्थ :- अपनी कुशल देखो।
लोकोक्तियां :- अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
अर्थ :- अकेला आदमी कोई बड़ा काम नहीं कर सकता; उसे अन्य लोगों की सहयोग की आवश्यकता होती है।
लोकोक्तियां :- अक्ल के अंधे, गाँठ के पूरे।
अर्थ :- निर्बुद्धि धनवान् इसका मतलब यह है कि जिसके पास बिलकुल बुद्धि नहीं हो फिर भी वह धनवान हो तब इसका प्रयोग किया जाता है।
लोकोक्तियां :- अक्ल बड़ी कि भैंस।
अर्थ :- बुद्धि शारीरिक शक्ति से श्रेष्ठ होती है।
लोकोक्तियां :- अटका बनिया दे उधार।
अर्थ :- जिस बनिये का मामला फंस जाता है, वह उधार सौदा देता है।
लोकोक्तियां :- अति भक्ति चोर के लक्षण।
अर्थ :- यदि कोई अति भक्ति का प्रदर्शन करे तो समझना चाहिए कि वह कपटी और दम्भी है।
लोकोक्तियां :- अधजल/अधभर गगरी छलकत जाय।
अर्थ :- जिसके पास थोड़ा धन या ज्ञान होता है, वह उसका प्रदर्शन करता है।
लोकोक्तियां :- अधेला न दे, अधेली दे।
अर्थ :- भलमन साहत से कुछ न देना पर दबाव पड़ने पर या फंस जाने पर आशा से अधिक चीज दे देना।
लोकोक्तियां :- अनदेखा चोर बाप बराबर।
अर्थ :- जिस मनुष्य के चोर होने का कोई प्रमाण न हो, उसका अनादर नहीं करना चाहिए।
लोकोक्तियां :- अनमांगे मोती मिले मांगे मिले न भीख।
अर्थ :- संतोषी और भाग्यवान् को बैठे-बिठाये बहुत कुछ मिल जाता है परन्तु लोभी और अभागे को मांगने पर भी कुछ नहीं मिलता।
लोकोक्तियां :- अपना घर दूर से सूझता है।
अर्थ :- अपने मतलब की बात कोई नहीं भूलता। या प्रियजन सबको याद रहते हैं।
लोकोक्तियां :- पना पैसा सिक्का खोटा तो परखैया का क्या दोष?
अर्थ :- यदि अपने सगे-सम्बन्धी में कोई दोष हो और कोई अन्य व्यक्ति उसे बुरा कहे, तो उससे नाराज नहीं होना चाहिए।
लोकोक्तियां :- अपना लाल गंवाय के दर-दर मांगे भीख।
अर्थ :- अपना धन खोकर दूसरों से छोटी-छोटी चीजें मांगना।
लोकोक्तियां :- अपना हाथ जगन्नाथ का भात।
अर्थ :- दूसरे की वस्तु का निर्भय और उन्मुक्त उपभोग।
लोकोक्तियां :- अपनी अक्ल और पराई दौलत सबको बड़ी मालूम पड़ती है।
अर्थ :- मनुष्य स्वयं को सबसे बुद्धिमान समझता है और दूसरे की संपत्ति उसे ज्यादा लगती है।
लोकोक्तियां :- अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है।
अर्थ :- अपने घर या मोहल्ले आदि में सब लोग बहादुर बनते हैं।
लोकोक्तियां :- अपने दही को कोई खट्टा नहीं कहता।
अर्थ :- अपनी चीज को कोई बुरा नहीं कहता।
लोकोक्तियां :- अपने मरे बिना स्वर्ग नहीं दिखता।
अर्थ :- अपने किये बिना काम नहीं होता।
लोकोक्तियां :- अभी दिल्ली दूर है।
अर्थ :- अभी काम पूरा होने में देर है।
लोकोक्तियां :- अमीर को जान प्यारी, फकीर/गरीब एकदम भारी।
अर्थ :- अमीर विषय-भोग के लिए बहुत दिन जीना चाहता है. लेकिन खाने की कमी के कारण गरीब आदमी जल्द मर जाना चाहता है।
लोकोक्तियां :- अरध तजहिं बुध सरबस जाता।
अर्थ :- जब सर्वनाश की नौबत आती है तब बुद्धिमान लोग आधे को छोड़ देते हैं और आधे को बचा लेते हैं।
लोकोक्तियां :- अशर्फियों की लूट और कोयलों पर छाप /मोहर।
अर्थ :- बहुमूल्य पदार्थों की परवाह न करके छोटी-छोटी वस्तुओं की रक्षा के लिए विशेष चेष्टा करने पर उक्ति।
लोकोक्तियां :- अशुभस्य काल हरणम्।
अर्थ :- जहां तक हो सके, अशुभ समय टालने का प्रयत्न करना चाहिए।
लोकोक्तियां :- अहमक से पड़ी बात, काढ़ो सोटा तोड़ो दांत।
अर्थ :- मूर्खों के साथ कठोर व्यवहार करने से काम चलता है।
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